नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) केंद्र सरकार ने मंगलवार को युद्ध प्रभावित यूक्रेन में भारतीय नागरिकों की मदद करने के लिए अपनी प्रतिक्रिया की तुलना अमेरिका, ब्रिटेन और चीन सहित कई अन्य देशों और वहां के नागरिकों के साथ की और कहा कि ‘ऑपरेशन गंगा’ जारी है और दूतावास भी काम कर रहा है वहीं अन्य देश इतने बड़े पैमाने पर काम नहीं कर पा रहे हैं और कुछ ने अपने नागरिकों की मदद करने में असमर्थता भी व्यक्त की है।
भारतीय नागरिकों द्वारा उत्पीड़न का सामना करने वाले कुछ वीडियो सामने आने के साथ, अपने नागरिकों, ज्यादातर छात्रों को निकालने के लिए भारत की प्रतिक्रिया में कथित देरी को लेकर कुछ वर्गों, विशेष रूप से विपक्षी दलों की ओर से सरकार की आलोचना की गई है।
सरकारी सूत्रों ने आलोचना का जवाब देने के लिए विभिन्न देशों की प्रतिक्रिया साझा की और कहा कि भारत अपने नागरिकों की मदद करने में तत्पर और अथक रहा है।
एक सूत्र ने कहा, “चीन ने अपनी निकासी योजनाओं को स्थगित कर दिया है, जबकि भारतीय ऑपरेशन गंगा आगे बढ़ रहा है। भारतीयों को वापस लाने के वास्ते भारत से पड़ोसी देशों के लिए उड़ानें जारी हैं। चीन ने कोई यात्रा परामर्श और कोई सहायता तंत्र जारी नहीं किया है, जबकि भारत ने संपर्क नंबर, परामर्श और मदद के लिये समूचे तंत्र की व्यवस्था की है। यूक्रेन में चीनी नागरिकों पर हमले हो रहे हैं जबकि भारतीय ध्वज वाली बसों को सुरक्षित रास्ता दिया जा रहा है।”
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने कहा है कि वह अपने नागरिकों को निकालने में सक्षम नहीं होगा, जो अन्य पड़ोसी देशों के माध्यम से निकासी के लिए यूक्रेनी सीमा पर लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे हैं।
उन्होंने अपने दावों का समर्थन करने के लिए चीनी मीडिया की खबरों के अलावा अमेरिका और चीन के आधिकारिक बयानों का हवाला दिया।
उन्होंने कहा कि कुछ बिंदुओं पर, अमेरिका ने अपने नागरिकों को यूक्रेनी सीमा पर दो दिनों के लिए भोजन और अन्य सामान ले जाने के लिए कहा और उनकी प्रतीक्षा की स्थिति भारतीय नागरिकों के समान है। सूत्रों ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों ने समान परामर्श जारी किए और सहायता के लिए कई फोन नंबर जारी किए हैं।
अन्य देशों की प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा कि ब्रिटेन ने स्पष्ट किया है कि वह यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को अधिक सहायता प्रदान नहीं कर पाएगा जबकि भारत ने युद्ध स्तर पर सहयोग बढ़ाया है।
एक सूत्र ने कहा, “ब्रिटिश दूतावास स्थानांतरित हो गया है जबकि कीव में भारतीय दूतावास अब भी काम कर रहा है। ब्रिटेन ने अपने नागरिकों से बिना किसी अतिरिक्त सहायता के यूक्रेनी अधिकारियों की सलाह का पालन करने को कहा है।”
उन्होंने ब्रिटिश सरकार के एक बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया था, “यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई यूक्रेन में दूतावासीय सहायता प्रदान करने की ब्रिटिश सरकार की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी। ब्रिटिश नागरिकों को इन परिस्थितियों में निकासी के लिए अतिरिक्त दूतावासीय सहयोग या मदद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।”
इसी तरह कीव में जर्मन दूतावास भी बंद कर दिया गया है जबकि भारतीय दूतावास अब भी काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि जर्मनी ने स्पष्ट किया है कि वह अपने नागरिकों को निकालने की स्थिति में नहीं है जबकि भारतीयों को निकालने का देश का अभियान ‘ऑपरेशन गंगा’ नाम से जारी है।
एक सूत्र ने दावा किया, “यूक्रेन के शिक्षा और विज्ञान मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, यूक्रेन में 80,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र अध्ययन करते हैं। उनकी सबसे बड़ी संख्या भारत से आती है, इसके बाद मोरक्को, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान और नाइजीरिया से छात्र आते हैं। भारत का निकासी कार्यक्रम, ऑपरेशन गंगा, उन सभी देशों में सबसे अधिक सक्रिय रहा है, जिनके नागरिक यूक्रेन में हैं।”
सूत्रों ने अपने दावे का समर्थन करने के लिए मिस्र, मोरक्को और नाइजीरिया सहित कई अन्य देशों की मीडिया रिपोर्ट साझा की।
कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दल, यूक्रेन से भारतीय छात्रों को समय पर नहीं निकालने के लिए सरकार की आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बाद, उन्हें निकालने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया है। उन्होंने यूक्रेन में भारतीय छात्रों की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए और भारत सरकार से उन्हें जल्द से जल्द निकालने की अपील करते हुए वीडियो साझा किए हैं।
भाषा
प्रशांत मनीषा
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