नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सात वर्षों से हिरासत केंद्र में बंद एक पाकिस्तानी नागरिक को लेकर सोमवार को केंद्र से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा।
दरअसल, पाकिस्तान ने उसे अपने नागरिक के तौर पर स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष न्यायालय ने केंद्र से कहा, ‘‘आप कितने लंबे समय तक एक व्यक्ति को कैद रख सकते हैं?’’
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज से यह बताने को कहा कि क्या मोहम्मद कमर (62) को संक्षिप्त अवधि के लिए रिहा किया जा सकता है ताकि वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सके क्योंकि उसकी पांच संतान भारतीय नागरिक हैं।
नटराज ने कहा, ‘‘यह एक जटिल मुद्दा है। मुझे निर्देश लेने की जरूरत होगी। पाकिस्तान जो कुछ कह रहा है, उसे मानने के लिए हम बाध्य नहीं हैं। विदेशी(नागरिक) अधिनियम के तहत दोषी करार दिये गये व्यक्ति को हिरासत केंद्र में रखना होता है। उसे बाहर नहीं जाने दिया जा सकता।’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘सवाल यह है कि उसने साढ़े तीन साल की अपनी सजा काट ली है। अब, अपनी सजा काटने के बाद उसे 2015 से हिरासत केंद्र में रखा गया है, जहां वह स्वदेश वापस भेजे जाने का इंतजार कर रहा। जब पाकिस्तान ने उसे अपने नागरिक के तौर पर स्वीकार करने से इनकार कर दिया है तो आप उसे कब तक कैद रख सकते हैं?’’
कमर को उत्तर प्रदेश के मेरठ से आठ अगस्त 2011 को गिरफ्तार किया गया था। उसे यहां की एक अदालत ने अपनी वीजा अवधि खत्म हो जाने के बाद भी भारत में रहने को लेकर दोषी करार दिया था। उसे साढ़े तीन साल की कैद और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।
सजा पूरी करने के बाद उसे पाकिस्तान वापस भेजे जाने के लिए सात फरवरी 2015 को नरेला के लामपुर स्थित हिरासत केंद्र भेज दिया गया था।
भाषा सुभाष अविनाश
अविनाश
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