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Sunday, 17 November, 2024
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जीडीपी वृद्धि दर तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत पर, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था

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नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही अक्टूबर-दिसंबर में धीमी पड़कर 5.4 प्रतिशत रही। हालांकि, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के इस आंकड़े के बाद भी देश ने दुनिया की तीव्र वृद्धि दर वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था का दर्जा बरकरार रखा है।

सांख्यिकी मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2021-22 में 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह पहले के 9.2 प्रतिशत के अनुमान से कम है।

तीसरी तिमाही की आर्थिक वृद्धि दर का 5.4 प्रतिशत का आंकड़ा सालाना आधार पर अधिक लेकिन तिमाही आधार पर कम है। एक साल पहले 2020-21 की इसी तिमाही में यह 0.7 प्रतिशत और पिछली तिमाही (जुलाई-सितंबर) में यह 8.5 प्रतिशत थी।

वृद्धि दर का यह आंकड़ा देश में कोविड महामारी की तीसरी लहर के पूर्ण रूप से आने से पहले का है। इसके अलावा रूस के यूक्रेन पर हमले से जिंसों और ऊर्जा की ऊंची कीमत के साथ भू-राजनीतिक जोखिम भी बढ़ा है।

आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट महामारी की तीसरी लहर की रोकथाम के लिये तिमाही के अंत में लगायी गयी पाबंदियों के साथ आयी है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जबकि पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में इसमें 6.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर में कमी कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर उम्मीद से कम (2.6 प्रतिशत) रहने, विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन हल्का (0.2 प्रतिशत) रहने तथा गतिविधियां बढ़ने के बावजूद निर्माण क्षेत्र में गिरावट (-2.8 प्रतिशत) का नतीजा है।

जीडीपी वृद्धि का यह आंकड़ा इस साल की शुरुआत में कोरोना वायरस के नये स्वरूप ओमीक्रोन के फैलने से पहले का है। इसकी रोकथाम के लिये कई राज्यों ने पाबंदियां लगायी थी। इसके अलावा तीसरी तिमाही में कई त्योहार भी थे। इससे मांग को गति मिली। वृद्धि दर में नरमी निजी व्यय में कमी को दर्शाती है।

हालांकि, कोविड महामारी अब मंद पड़ गयी है लेकिन अथर्व्यवस्था के समक्ष रूस पर यूक्रेन के हमले के कारण उत्पन्न भू-राजनीतिक संकट है। मुद्रास्फीति और ऊर्जा के दाम में वृद्धि से पूरे वित्त वर्ष की जीडीपी वृद्धि दर पर दबाव पड़ सकता है।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2021-22 की तिमाही की जीडीपी वृद्धि के आंकड़े पर तुलनात्मक आधार का प्रभाव है। तीसरी तिमाही के आंकड़ों के आधार पर पुनरुद्धार को मजबूत नहीं कहा जा सकता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस्पात की खपत, वाणिज्यिक/यात्री वाहनों की बिक्री, बंदरगाहों पर कार्गो का प्रबंधन जैसे कई संकेतक या तो नकारात्मक वृद्धि अथवा कम वृद्धि को बता रहे हैं। यह स्थिति तब है कि 2020-21 की तिमाही का तुलनात्मक आधार काफी नीचे है। महामारी की तीसरी लहर के कारण चौथी तिमाही में भी स्थिति कोई बहुत अलग रहने की संभावना नहीं है।’’

मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान में 2021-22 के लिये कृषि वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है। यह पिछले वित्त वर्ष के समान है। औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर 2021-22 में 10.4 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा, ‘‘आपूर्ति की बाधाओं और कमजोर मांग ने तीसरी तिमाही में वृद्धि की गति को प्रभावित किया है। भू-राजनीतिक संकट से उत्पन्न नई अनिश्चितताएं वृद्धि को प्रभावित कर सकती हैं।’’

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती कच्चे तेल के दाम में उछाल के कारण मुद्रास्फीति की होगी। इससे वृद्धि की स्थिरता पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘जीडीपी स्थिर मूल्य (2011-12) पर तीसरी तिमाही में 38.22 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो 2020-21 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 36.26 लाख था।

बयान के अनुसार, 2021-22 में वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर स्थिर मूल्य (2011-12) पर 147.72 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। जबकि 2020-21 के लिये 31 जनवरी, 2022 को जारी पहले संशोधित अनुमान के तहत यह 135.58 लाख करोड़ रुपये था।

इस बीच, चीन की आर्थिक वृद्धि दर अक्टूबर-दिसंबर, 2021 तिमाही में चार प्रतिशत रही है।

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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