नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) उत्तर दिल्ली नगर निगम ने यह पता लगाने के लिए एक समिति का गठन किया है कि क्या उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित सीलिंग निगरानी समिति की ओर से तय नियमों के अनुरूप संपत्तियों को ‘सील मुक्त’ किया जा सकता है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि गत सालों में निगरानी समिति के निर्देश पर नगर निकाय ने कई संपत्तियों को सील किया है।
अधिकारियों के मुताबिक, कोविड-19 महामारी ने कारोबारियों के कारोबार को बुरी तरह से प्रभावित किया है और कई कारोबारी अधिकारियों से राहत देने की अपील कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) से संबद्ध एक मनोनीत सदस्य ने 18 फरवरी को सिविल लाइन्स इलाके की कुछ सील संपत्तियों का मुद्दा एनडीएमसी की स्थायी समिति की बैठक के दौरान उठाया था जिसके बाद समिति के अध्यक्ष जोगी राम जैन ने इसे स्वीकार किया।
बाद में नगर आयुक्त ने सुझाव दिया कि एक छोटी समिति सीलिंग के मुद्दे पर गठित की जा सकती है।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘समिति का गठन किया गया है और इसमें हमारे मुख्य विधि अधिकारी, मुख्य इंजीनियर (इमारत, मुख्यालय) और अतिरिक्त आयुक्त फैक्टरी लाइसेंस (जो समिति का नेतृत्व कर रहे हैं) को शामिल किया गया है।’’
उन्होंने बताया कि समिति यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सीलिंग पर गठित निगरानी समिति की ओर से तय मानदंडों के आधार पर संपत्तियों को सीलमुक्त करने के लिए क्या कोई कानूनी आधार है?
भाषा धीरज मनीषा
मनीषा
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