पटना, 26 फरवरी (भाषा) ऐतिहासिक पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) की स्थापना के 97 साल पूरे हो गये हैं। इस मौके पर कॉलेज के अधिकारियों और पूर्व छात्रों के संघ ने बिहार सरकार से एक बार फिर संस्थान के प्रमुख विरासत स्थलों को संरक्षित करने की अपील की है, जिसके नवीकरण का कार्य चल रहा है।
पीएमसीएच की स्थापना प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज के रूप में हुई थी। पीएमसीएच की पुरानी इमारतों को इसके विशाल परिसर में आधुनिक, ऊंची इमारतों के निर्माण के सिलसिले में चरणबद्ध तरीके से ध्वस्त किया जा रहा है।
संस्थान के प्रिंसिपल वी.पी. चौधरी ने कहा कि पटना में कोविड -19 मामलों में गिरावट के बीच शुक्रवार को बिहार और ओडिशा के इस पहले मेडिकल कॉलेज की स्थापना की 97 वीं वर्षगांठ मनाई गई और विभिन्न विषयों में 74 छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
दिसंबर 1921 में हुई तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में किंग एडवर्ड अष्टम) की पटना यात्रा की स्मृति को बनाये रखने के लिये वर्ष 1925 में संस्थान की स्थापना की गयी थी। शुरुआत में इसका नाम प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज था। भारत की आजादी के बाद इसका नाम बदलकर पीएमसीएच कर दिया गया।
वर्षगांठ का कार्यक्रम परिसर में आयोजित किया गया और इसमें बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे व कुछ प्रख्यात डॉक्टरों ने भाग लिया।
पीएमसीएच पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष डॉ सत्यजीत कुमार सिंह ने कहा, “गौरवान्वित पूर्व छात्र के रूप में हम आपसे (बिहार के स्वास्थ्य मंत्री) कुछ विरासत स्थलों की देखभाल करने का अनुरोध करते, ताकि उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए बरकरार रखा जा सके और वे यह देख सकें कि पिछली शताब्दी के शुरुआत में यह कैसा होता था। सभी महान समाज विरासत भवनों को संरक्षित करते हैं।”
पीएमसीएच की पूर्व छात्र रहीं इसकी प्रिंसिपल चौधरी ने कहा, ”हमने भी सरकारी अधिकारियों को एक अपील भेजी है, और हमें आशा है कि परिसर में एक नया अत्याधुनिक चिकित्सा बुनियादी ढांचा तैयार करते समय प्रमुख विरासत स्थलों को अगली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जायेगा।”
भाषा जोहेब संतोष
संतोष
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