बेंगलुरू: बेंगलुरु पुलिस जाँच कर रही है कि राइट-विंग पोर्टल पोस्टकार्ड न्यूज, जिनके सह-संस्थापक और संपादक महेश विक्रम हेगड़े को पिछले सप्ताह ‘नकली समाचार’ पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया था, क्या उनको भाजपा नेताओं का समर्थन प्राप्त है।
राज्य के भाजपा नेताओं ने पहले ही मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर 12 मई के विधानसभा चुनावों से पहले इस मुद्दे को राजनीतिक रूप देकर चुनावों में इसका फायदा उठाने का आरोप लगाया है।
पुलिस सूत्रों के हवाले से यह दावा किया जा रहा है कि हेगड़े ने पूछताछकर्ताओं से कहा था कि उसके ऊपर राइट विंग के कई शीर्ष नेताओं का हाथ है, नतीजन पुलिस उसके पोर्टल में निवेश की तलाश कर रही है कि फंड कहाँ से आ रहा है।
हेगड़े को 18 मार्च को पोस्टकार्ड न्यूज पर एक झूठी खबर पोस्ट करने के बाद गिरफ्तार किया गया था, जो एक जैन संत पर एक मुस्लिम युवा द्वारा हमला करने के बारे में बताती थी। इतना ही नहीं हेगड़े ने अपने ट्विटर हैंडल पर भी इस झूठी खबर को पोस्ट किया।
हालांकि महेश विक्रम हेगड़े की गिरफ्तारी से संबंधित सवाल उठने के साथ ही एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया कि उनके ऊपर पिछले लगे हुए कई आरोपों के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया। भाजपा ने आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए हेगड़े के खिलाफ कार्रवाई की है।
यही पिछले नवंबर, कर्नाटक कांग्रेस आईटी सेल के प्रभारी कार्तिक सोमायाजी की शिकायत के बाद वेबसाइट पर एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके तहत कार्तिक सोमायजी ने इसके बारे में बताया कि उनके ऊपर सोशल मीडिया के तीन पेजों ‘आई सपोर्ट बीजेपी’, ‘सपोर्ट प्रताप सिम्हा’ और ‘नरेंद्र मोदी फैंस फ्रॉम करूनाडू’ तथा पोस्टकार्ड कन्नड़ डॉट कॉम पर अपमानजनक ट्वीट्स और पोस्ट प्रकाशित की गई थीं।
सिम्हा मैसूर से भाजपा के सांसद हैं। महेश विक्रम हेगड़े की गिरफ्तारी को लेकर पहला ट्वीट उन्होंने ही किया था। ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि हेगड़े को फंसाया गया है और कांग्रेस सरकार के इस कदम को एक घटिया साजिश करार दिया।
हेगड़े के वकील तेजसवी सूर्य ने कहा कि जैन संत की झूठी खबर का मामला एक “अनजाने में हुई गलत रिपोर्टिंग” के कारण हुआ है और हेगड़े की गिरफ्तारी का कोई वारंट नहीं दिया गया था।
सूर्या ने पुलिस पर “राजनीतिक रूप से प्रेरित” होने का आरोप लगाते हुए कहा, “उच्च न्यायालय गुरुवार को मामले के साथ जुड़े पहलुओं पर सुनवाई करेगा और मुझे पूरा विश्वास है कि अदालत इन आरोपों पर गंभीरता से ध्यान देगी।”
सूर्या ने यह भी कहा कि पोर्टल पर सिन्हा को जोड़ने से “कुछ भी नहीं, लेकिन भाजपा सांसद को तैयार करने की एक राजनीतिक चाल है।” उन्होंने कहा, “मैं वित्तपोषण के बारे में नहीं जानता, लेकिन प्रताप सिन्हा को इसमें शामिल करना एक राजनीतिक चाल है क्योंकि वह भाजपा में आने वाले एक राजनीतिक सितारा हैं।”
सिन्हा ने दिप्रिंट को बताया कि उनका पोर्टल से कोई भी संबंध नहीं है।
दिप्रिंट द्वारा किए गए अन्वेषण (जांच) की जानकारी के अनुसार, ‘फेक न्यूज’ की उत्पत्ति का मामला एक पथभ्रष्ट ट्वीट में है, जिसे ऑनलाइन खारिज कर दिया गया था लेकिन वह अभी भी वायरल है।
यह सब 18 मार्च को 10:33 बजे सुबह आशू@आशूस्पीक से जैन मुनी घटना के बारे में ट्वीट के साथ शुरू हुआ। ट्विटर पर एक व्यक्ति @आरखान_टेक ने बेंगलुरू पुलिस को इस ट्वीट के बारे में सूचित किया, जिसमे उन्होंने अहिंसाक्रांति, जो कि एक जैन समाज की एक समाचार वेबसाइट है, की एक रिपोर्ट का लिंक जोड़कर सूचना दी थी जिससे यह स्पष्ट हो गया कि मुनी वास्तव में एक दुर्घटना में घायल हो गए है।
बेंगलुरु पुलिस ने ट्वीट पर ध्यान नहीं दिया और कोई कार्रवाई भी नहीं हुई थी।
एक पूर्व सैनिक राजेंद्र कैसरगोड़ पिलिकुंजे ने रात्रि 9:27 बजे अपने फेसबुक पेज और ट्विटर पर इस न्यूज को पोस्ट किया। इस ट्वीट पर 9:41 बजे और 10:30 बजे के मध्य कई अन्य लोगों ने इसे री-ट्वीट किया था।
रात्रि 10:30 बजे, हेगड़े ने जैन मुनी के बारे में एक ट्विट और ‘फेक न्यूज’ पोस्ट की। कहानी वायरल होते ही पुलिस भी कार्रवाई में आ गई।
पुलिस ने सर्वप्रथम कथित तौर पर अपमानजनक लेखों पर हेगड़े के खिलाफ शिकायतों का पता लगाया जिसमें उन्होंने कहा था कि, कर्नाटक की महिला योद्धाओं ओनाके ओबावा, रानी चेनम्मा और बेलावाडी मल्लाम्मा ने “अंग्रेजों के साथ एक बिस्तर साझा किया था।”
जब पुलिस ने गिरफ़्तारी के बाद हेगड़े पर सवाल उठाया तब उससे पहले ही उसने कह दिया था कि उसने जैन मुनी पर कोई ट्वीट पोस्ट नहीं किया है, जैसा कि उसने कथित तौर पर हटा दिया था। जब ट्वीट पोस्ट को सामने लाया गया जिससे पुलिस को मदद प्राप्त हुई थी तब पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि हेगड़े कथित तौर पर टूट गया और अपनी गलती के लिए माफी मांगने लगा।