रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष में वहां फंसे भारतीय स्टूडेंट परेशानियों का सामना कर रहे हैं. यूक्रेन में कई भारतीय स्टूडेंट फंसे हुए हैं जिनका अपने देश लौट पाना मुश्किल हो रहा है. यूक्रेन में हवाईअड्डे बंद किए जा चुके हैं. घर से बाहर निकलने पर रोक है. कुछ लोगों ने बताया है कि दुकानों के बाहर लंबी कतारे हैं.
यूक्रेन में रूसी सैन्य अभियान शुरू होने के बाद अपने देश वापस लौटे भारतीय छात्रों ने कहा कि गुरुवार की सुबह तक स्थिति सामान्य थी, लेकिन फिर बमबारी शुरू हुई, जिससे जल्द ही तनाव बढ़ गया.
यूक्रेन के कीव में बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रही मेडिकल की तीसरी वर्ष की छात्रा मालविका सुनील ने एएनआई को बताया, ‘मेरे कुछ दोस्त अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं, उन्होंने पास में एक विस्फोट सुना है. अब तक वे सभी सुरक्षित हैं.’
मालविका 18 फरवरी को केरल लौट आई थीं, उनके माता-पिता रूस द्वारा संभावित आक्रमण की खबरों से घबराने लगे थे. शुक्रवार को ये खबरें हकीकत में बदल गईं.
अपने माता-पिता के आग्रह पर, मालविका ने शारजाह के रास्ते तिरुवनंतपुरम लौटने का फैसला किया.
मालविका कहती हैं, ‘पिछले एक महीने से रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ रहा था. यूक्रेन और विश्वविद्यालय में स्थिति सामान्य थी. मीडिया में रूस द्वारा संभावित सैन्य अभियान की खबरें आने के बाद हमारे माता-पिता ने घबराने लगे. जिसके बाद मैंने प्रोफेसरों से बात की और ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प चुना.
मालविका ने एएनआई को बताया, ‘कीव से भारत के लिए हवाई टिकट की कीमत 56,000 से 1 लाख रुपये के आसपास थी. केरल के लिए कोई सीधी उड़ान नहीं थी. इसलिए मैं शारजाह गई और वहां से मैंने तिरुवनंतपुरम के लिए सीधी उड़ान भरी.’
उन्होंने बताया कि उनके कुछ दोस्त अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं और वे वापस नहीं आ पा रहे हैं क्योंकि हवाईअड्डा बंद कर दिया गया है. वो कहती हैं, ‘मैं अभी भी वहां कुछ दोस्तों के संपर्क में हूं. गुरुवार की बमबारी के बाद स्थिति और खराब हो गई. हर जगह हो रही बमबारी के बीच उनके लिए अपार्टमेंट से बाहर निकलना मुश्किल है. उन्हें दस्तावेजों की व्यवस्था करनी है, बाहर निकलकर कैश निकालना है, आवश्यक वस्तुएं खरीदनी है. इसके अलावा, सभी दुकानों के बाहर लंबी कतारें हैं.’
उन्होंने कहा कि अब तक, विश्वविद्यालय ने सभी छात्रों को छात्रावासों में आवास प्रदान किया है और वे सुरक्षित हैं.
मालविका ने कहा, ‘अब तक भारत सरकार और दूतावास हमें आश्वासन दे रहे थे कि यूक्रेन में युद्ध जैसे हालात नहीं होंगे.
तीसरे वर्ष की मेडिकल छात्रा इन सब के बाद भी यूक्रेन वापस जाना चाहती है ताकि वह ऑफ़लाइन कक्षाओं में शामिल हो सके. उन्होंने कहा कि वह यूक्रेन से प्यार करती है. सभी फंसे हुए भारतीय छात्रों के 9 मार्च तक पहुंचने की उम्मीद है.
स्टूडेंट्स ने तहखाने में ली शरण
यूक्रेन में रूस की सीमा से लगते सूमी शहर पर रूसी सैनिकों के कब्जे के बाद कम से कम 400 भारतीय छात्रों ने एक तहखाने में शरण ली है और भारत सरकार से उन्हें निकालने की अपील की है.
इनमें अधिकतर सूमी स्टेट मेडिकल कॉलेज के छात्र हैं. उन्होंने कहा कि बाहर गोलियों की आवाजें सुनाई देने के कारण उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है.
छात्र ललित कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘इस वक्त हम अपने छात्रावास के तहखाने में छिपे हुए हैं और हमें नहीं पता कि यहां हम कब तक सुरक्षित रह पाएंगे. हम भारत सरकार से हमें यूक्रेन के पूर्वी इलाके से सुरक्षित निकालने की अपील करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘अपने आप यात्रा करना संभव नहीं है. यहां मार्शल लॉ लागू है, जिसका मतलब है कि कोई बाहर नहीं जा सकता, कार, बस और निजी वाहन नहीं निकल सकते. एटीएम और सुपर मार्केट भी बंद हैं.’
छात्रों ने उस तहखाने का वीडियो भी साझा किया जहां वे छिपे हुए हैं.
कुमार ने कहा, ‘हमारे पास यहां ज्यादा सामान नहीं है कि हम लंबे समय तक यहां नहीं टिक पाएंगे. भारत सरकार हमारी आखिरी उम्मीद है….हम अपने देश वापस जाना चाहते हैं और अपने लोगों से मिलना चाहते हैं. हमारी मदद कीजिए.’
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