नयी दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान से घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने के लिए सरकारी अधिकारी पूरी तरह से जुट गए हैं।
सरकारी अधिकारियों ने तेल की कीमतों में वृद्धि और देश के बाहरी व्यापार के प्रभावित होने के कारण मुद्रास्फीति में संभावित वृद्धि से निपटने के लिए पहले से योजनाओं को तैयार करना शुरू कर दिया है।
वही आपूर्ति बाधित होने या व्यापार मार्गों के अवरुद्ध होने की फिलहाल कोई आशंका नहीं दिख रही है। लेकिन कच्चे तेल की कीमतें सात साल के उच्चस्तर यानी 105 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं। इसका अर्थव्यवस्था पर लघु और मध्यम अवधि में असर पड़ेगा।
इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन के खिलाफ ‘विशेष सैन्य अभियान’ को मंजूरी देने के बाद स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी।
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव के मद्देनजर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रोजाना होने वाले बदलाव और रसोई गैस एलपीजी दर में मासिक बदलाव रोक दिया गया था।
पिछले तीन महीने से ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से लागत और बिक्री मूल्य के बीच अंतर बढ़ गया है।
उद्योग के सूत्रों ने कहा कि यह अंतर 10 रुपये प्रति लीटर से अधिक है, जो अगले महीने चुनाव पूरा होने के बाद बढ़ाया जा सकता है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सरकार तेजी से सामने आ रही स्थिति के आर्थिक प्रभाव का आकलन करने में जुट गई है।
अधिकारी ने बताया कि विभिन्न मंत्रालयों से अंदरुनी जानकारी जुटाई जा रही हैं। रूस पर अमेरिका और यूरोपीय देशों के प्रतिबंधों का विदेशी व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसकी भी समीक्षा की जा रही है। सरकार कच्चे तेल की कीमतों में तेजी पर भी नजर बनाये हुए है।
उल्लेखनीय है कि भारत विश्व में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है। भारत को अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत आयात के जरिये पूरा करना पड़ता है।
निर्यातकों के संघ फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) ने कहा कि यूक्रेन-रूस के बीच सैन्य संकट से माल की आवाजाही, भुगतान और तेल की कीमतें प्रभावित होंगी और फलस्वरूप इसका असर देश के व्यापार पर भी पड़ेगा।
भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार इस वित्त वर्ष में अब तक 9.4 अरब डॉलर का रहा। इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में यह 8.1 अरब डॉलर का था।
भारत मुख्य तौर पर रूस से ईंधन, खनिज तेल, मोती, कीमती या अर्ध-कीमती पत्थर, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और यांत्रिक उपकरणों का आयात करता है। वहीं रूस को दवा उत्पाद, बिजली मशीनरी और उपकरण, जैविक रसायन और वाहनों का निर्यात किया जाता है।
भाषा जतिन अजय
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