यूक्रेन में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का सिद्धांत है कि महाशक्तियों को कमजोर लोगों की अधीनता और इच्छा पर बल प्रयोग करने का अधिकार है. यह एक ऐसा विचार है जिसे चीन ने अपनाया हुआ है. भारत को अपने हित में बयानबाजी बंद कर, रूसी सैन्य आक्रामकता को दंडित करने की कोशिश में शामिल होना चाहिए.
यूक्रेन पर भारत की चुप्पी को लेकर यूरोप शिकायत नहीं कर सकता है. इसको गलवान और कश्मीर याद करना चाहिए
यूरोपियन की शिकायत है कि नई दिल्ली ने यूक्रेन पर रूस की निंदा नहीं की है. वो भूल जाते हैं कि उनके देश गलवान के बाद चीन के साथ खड़ा था, न ही उसने कश्मीर पर भारत का समर्थन किया. फ़्रांस के अलावा, लंबे समय से अमेरिकी सुरक्षा गारंटियों के भरोसे बैठे, यूरोप के अधिकृत राष्ट्र वैश्विक व्यवस्था में बहुत कम योगदान देते हैं. यूरोप को अपनी लड़ाई खुद लड़ना सीखना होगा.