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Friday, 20 December, 2024
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दूरस्थ शिक्षा में कौशल आधारित, रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की पहल हो : मिश्र

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जयपुर, 24 फरवरी (भाषा) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से ऐसे रोजगारपरक पाठ्यक्रम संचालित किए जाएं, जिनसे विद्यार्थी स्वावलंबन के लिए प्रेरित हों।

उन्होंने कहा कि कुशल मानव संसाधन से ही देश की आर्थिक एवं औद्योगिक प्रगति सुनिश्चित हो सकती है, इसलिए कौशल आधारित पढ़ाई आज के समय की मांग बन चुकी है।

मिश्र बृहस्पतिवार को यहां राजभवन से कोटा के वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने आह्वान किया कि राज्य के सभी विश्वविद्यालय आपसी समन्वय से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों पर काम करें, ताकि विद्यार्थियों के साथ-साथ उद्योग जगत को भी नवीन मानव संसाधन का फायदा मिल सके।

राज्यपाल ने कहा कि सूचना क्रांति और इंटरनेट के कारण दूरस्थ शिक्षा आसान एवं प्रासंगिक हुई है तथा विजुअल क्लासरूम लर्निंग, इंटरैक्टिव ऑनसाइट लर्निंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये विद्यार्थी घर बैठे ही बेहतर पढ़ाई कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि तकनीक आधारित शिक्षण के क्षेत्र में वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए मानक विश्वविद्यालय साबित हो रही है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान सरकार प्रदेश को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में प्रतिबद्धता से काम कर रही है और उच्च अध्ययन के लिए राज्य में बेहतर अवसर उपलब्ध हैं।

उन्होंने कहा कि मेडिकल, तकनीकी, कृषि, पशुपालन, विधि, पत्रकारिता, आयुर्वेद, पुलिस सुरक्षा आदि से जुड़े विषयों में विश्वविद्यालयों में अध्ययन कर हमारे विद्यार्थी देश और दुनिया में नाम कमा रहे हैं।

गहलोत ने कहा कि इसके चलते प्रदेश के विद्यार्थियों को अब उच्च अध्ययन के लिए अन्य राज्यों में जाने की आवश्यकता नहीं रही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि विश्वविद्यालयों में शोध कार्यां को बढ़ावा मिले, हमारे विश्वविद्यालय विश्व स्तरीय बनें और उनके माध्यम से श्रेष्ठ मानवीय संसाधन तैयार हो।

उन्होंने बताया कि दिव्यांगजनों को उच्च शिक्षा के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए इस वर्ष के बजट में हमने बाबा आम्टे के नाम पर विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा की है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास होगा कि कुलाधिपति कलराज मिश्र के साथ चर्चा कर इस विश्वविद्यालय के माध्यम से कोटा के वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी की तरह ऐसे पाठ्यक्रम संचालित किए जाएं, जिनसे दिव्यांगजनों को सुगमता से शिक्षा के अवसर मिलें।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1998 में जब मैं पहली बार मुख्यमंत्री बना था, तब राजस्थान में मात्र छह सरकारी विश्वविद्यालय थे, लेकिन आज प्रदेश में सरकारी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़कर 28 तक पहुंच गई है।

गहलोत ने कहा कि राजस्थान में आईआईटी, आईआईएम, एम्स, निफ्ट, एनएलयू, सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान स्थापित हो चुके हैं और अब तो दूसरे राज्यों के विद्यार्थी भी हमारे शिक्षण संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि ओपन यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा की दिशा बदली है और इंजीनियरिंग सहित अन्य क्षेत्रों में भी दूरस्थ शिक्षा के कोर्स संचालित करने के सार्थक प्रयास होने चाहिए।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि देश के विश्वविद्यालय अकादमिक श्रेष्ठता के मानदंड स्थापित करते हुए विश्व रैंकिंग में अपना स्थान बनाने के लिए प्रयास करें।

उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ अकादमिक संस्थाओं से शिक्षा प्राप्त प्रतिभाशाली विद्यार्थी ही देश को उन्नति के शिखर पर ले जाने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

रेड्डी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की पहल के तहत रक्षा विनिर्माण की क्षमता में वृद्धि करना देश की प्राथमिकता है और इसी उद्देश्य से डीआरडीओ ने भी कई विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एमटेक पाठ्यक्रम शुरू किए हैं।

दीक्षांत समारोह के दौरान डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएचडी के छात्र-छात्राओं को डिग्री और पदक प्रदान किए गए।

भाषा

कुंज पारुल

पारुल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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