दप्रिन्ट में संपादकों द्वारा चुना गया दिन का सबसे अच्छा भारतीय कार्टून।
चयनित कार्टून, पहले अन्य प्रकाशनों में, या तो प्रिंट या ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर प्रकाशित हुए तथा उन्हें उचित रूप से श्रेय दिया जाता है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में जयंतो द्वारा एक कार्टून को चित्रित किया गया है जिसमें अमित शाह को एक भयानक सपना देखते हुए दिखाया गया है – कांग्रेस की अगुवाई वाली कर्नाटक सरकार ने लिंगायतों को धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक का दर्जा देने का प्रस्ताव दिया है जिसके कारण भाजपा अभियान में बाधाएं आ रही हैं। कार्टून में भाजपा अध्यक्ष और गेंद के साथ छेड़छाड़ करने वाले ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट खिलाड़ियों पर निशाना साधा गया है।
बीबीसी हिन्दी में कीर्तिश भट ने लोगों को सुझाव दिया है कि भारतीयों को मूर्ख बनाने के लिए अप्रैल फूल की जरूरत नहीं है, वे 2014 में जब से भाजपा सरकार सत्ता में आई है तब नरेन्द्र मोदी के वादे वाले अच्छे दिन का इंतजार कर रहे हैं और मूर्ख बन रहे हैं।
नाला पोनप्पा ने कर्नाटक चुनाव से पहले, अमित शाह से लेकर राहुल गाँधी तक, कई नेताओं द्वारा की जाने वाली मंदिर की यात्राओं का मजाक उड़ाया है।
मिड-डे में मंजुल में एक कार्टून को दिखाया गया है जिसको देखकर पता चलता है कि जब महिलाओं के पक्ष में कोई कानूनी फैसला किया जाता है तो आमतौर पर इसके बारे में पुरूष किस प्रकार प्रभावित होते हैं। हालांकि कई मुस्लिम महिलाओं ने ट्रिपल तलाक का समर्थन किया है लेकिन कई रूढ़िवादी मुस्लिम पुरूषों ने इसके खिलाफ विरोध करके शरिया कानून के संरक्षण की माँग की है।
सतीश आचार्य ने सिफी में नीतीश कुमार की दुर्दशा को चित्रित किया है। नीतीश कुमार और जेडी (यू) 2017 में आरजेडी-कांग्रेस से अलग होकर भाजपा
की अगुवाई वाली एनडीए में शामिल हो गए थे, अब उनको सांप्रदायिक तनाव के द्वारा सत्ता से बेदखल किया जा रहा है।
(“यह कैलेंडर को देखने के बाद किसी को बेवकूफ बनाने की हमारी परंपरा नहीं है।”)