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Saturday, 16 November, 2024
होमडिफेंस‘सेना की कोई भी यूनिट खुद युद्ध नहीं जीत सकती': IAF चीफ जॉइंट स्वरूप तो चाहते हैं, लेकिन एक कैविएट के साथ

‘सेना की कोई भी यूनिट खुद युद्ध नहीं जीत सकती’: IAF चीफ जॉइंट स्वरूप तो चाहते हैं, लेकिन एक कैविएट के साथ

एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने इस बात को भी रेखांकित किया कि चीन द्वारा एक अक्षम हो चुके उपग्रह को भौतिक रूप से 'ग्रेवयार्ड ऑर्बिट' में धकेला जाना अंतरिक्ष की हथियारबंदी वाली दौड़ में एक नया खतरा है.

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नई दिल्ली: इस बात की ओर ध्यान दिलाते हुए कि सेना की कोई भी एक इकाई – थल सेना, नौसेना या वायु सेना – अपने दम पर कोई युद्ध नहीं जीत सकती, भारतीय वायु सेना प्रमुख वी आर चौधरी ने गुरुवार को सेवाओं की ‘संयुक्तता’ (जॉइन्ट्नेस) की आवश्यकता पर जोर दिया.

हालांकि, एयर चीफ मार्शल (एसीएम) चौधरी ने यह स्पष्ट कर दिया कि इस बात की प्रमुखता का निर्धारण कि कौन क्या करेगा, किसके पास अधिक संख्या में सशस्त्र बल और उपकरण हैं वाली किसी आनुपातिक प्रणाली द्वारा नहीं किया जा सकता है.

वायुसेना प्रमुख की यह टिप्पणी एक ऐसे समय में आई है जब हमारा देश भविष्य के युद्धों को लड़ने के लिए थिएटर कमांड और सशस्त्र बलों की संयुक्तता की दिशा में बढ़ने की प्रक्रिया में है.

एसीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले महीने चीन द्वारा अपने अक्षम हो चुके उपग्रहों को भौतिक रूप से स्थानांतरित करने की क्षमता का प्रदर्शन अंतरिक्ष की हथियारबंदी की दौड़ में एक नया खतरा ला रहा है – यह एक ऐसा डोमेन (परिक्षेत्र) है जिसे अभी तक अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता रहा है.

‘फ्यूचर ऑफ वार्स’ विषय पर बोलते हुए वायुसेना प्रमुख, जो थिंक टैंक सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज (कैप्स) द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे, ने कहा कि हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण सभी स्तरों पर ऑपरेशन्स (सैन्य अभियानों) के संचालन के लिए एक पूर्व शर्त बन गया है.

एसीएम चौधरी ने कहा कि अब चुनौती डॉक्ट्रीन (सिद्धांत), ट्रेनिंग फिलॉसोफी (प्रशिक्षण के फलसफे) और ऑपरेशन्स की अवधारणा को विकसित करने की है.


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मार्गदर्शक सिद्धांत कभी भी पुराने दिनों वाले नहीं हो सकते’

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि डॉक्ट्रीन को हमेशा समकालीन होने की आवश्यकता है क्योंकि ‘यदि मौलिक मार्गदर्शक सिद्धांत पुराने दिनों के हैं, तो हमारी युद्ध लड़ने की कला भी पुरानी हो जाएगी’.

उन्होंने कहा कि डॉक्ट्रीन ही भविष्य के सशस्त्र बलों की संरचनाओं और क्षमता सम्बन्धी आवश्यकताओं के लिए एक महत्वपूर्ण विषय वस्तु है, जिनके लिए समर्पित और विशेष स्तर के प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ट्रेनिंग फिलॉसफी को संयुक्तता पर खास तौर पर ध्यान देते हुए आधुनिक, लचीला और अनुकूलनीय बनाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगला कदम ‘एम्प्लॉयमेंट फिलॉसफी’ और अवधारणाओं को विकसित करने के लिए अपने स्वयं के डॉक्ट्रीन और सुप्रशिक्षित मानवशक्ति का उपयोग करना होगा.

वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘इसके लिए संयुक्त रूप से योजना बनाये जाने तथा इन योजनाओं के संयुक्त कार्यान्वयन की आवश्यकता होगी. कोई भी एक सेना अपने दम पर कोई युद्ध नहीं जीत सकती है और यह बात भविष्य के लिए भी सच है. इस बात की प्रमुखता का निर्धारण कि कौन क्या करेगा, किसके पास अधिक संख्या में सशस्त्र बल और उपकरण हैं वाली किसी आनुपातिक प्रणाली द्वारा नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘इस तरह की सोच वाली प्रक्रिया को बदलना होगा और 2+2 = 5 बनाने के लिए प्रत्येक सेना की क्षमता की कद्र करना महत्वपूर्ण होगा.’

उन्होंने कहा कहा कि युद्धक शक्ति के एकीकृत और समन्वित अनुप्रयोग के लिए हमें कमान और नियंत्रण की संयुक्त संरचना (जॉइंट कमांड एंड कण्ट्रोल स्ट्रक्चर) विकसित करने की आवश्यकता है.

आईएएफ प्रमुख चौधरी ने कहा कि संभावित दुश्मनों को रोकने और देश के लिए लड़े गए युद्ध को निर्णायक रूप से जीतने के लिए हरेक सेना की मूलभूत शक्ति को एक साथ लाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘कल के दिन होने वाले युद्ध को व्यावहारिकता (प्रैग्मैटिस्म) के साथ लड़ने की जरूरत है न कि किसी तरह के आदर्शवाद के साथ.’

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के कई वर्गों को लगता है कि प्रस्तावित थिएटर कमांड काफी हद तक थल सेना की तरफ उन्मुख है और भविष्य के युद्धों के लिए सबसे उपयुक्त साबित नहीं हो सकते हैं.

अतीत में, आईएएफ ने अपनी हवाई परिसंपत्ति (एयर एसेट्स) को विभिन्न थिएटरों में बांटें जाने का और दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत द्वारा वायुसेना को सिर्फ एक ‘सहयोगी शाखा’ के रूप में देखे जाने का, खुले तौर पर विरोध किया था.

इस बारे में आईएएफ का विचार है कि ‘संयुक्तता’ ही आगे बढ़ने का मुख्य तरीका है, लेकिन इसके लिए सिर्फ एक थिएटर होना चाहिए – भारत थिएटर – न कि कई एसेट्स (संसाधन एवं उपकरण) के बंटवारे के साथ बने हुए कई थिएटर.

मूल योजना के अनुसार, भारत के पास पांच संयुक्त कमांड होने चाहिए, जिनमें से तीन का नेतृत्व थल सेना द्वारा किया जाएगा.

अहानिकर लगने वाले ईमेल या पीडीएफ दस्तावेज़‘ से भी हो सकता है खतरा

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सूचना प्रभुत्व (इनफार्मेशन डोमिनेंस) की प्रकृति ने ‘डेटा और सूचना को भी नए हथियार’ बना दिया है.

उन्होंने कहा, ‘महत्वपूर्ण सूचना के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना और विस्तृत रूप से सेवाओं के उपयोग को रोके जाने ने युद्ध की स्थिति के प्रकट होने की तरीके को बदल दिया है, हवाई और अंतरिक्ष स्थित एसेट्स अब एक ही इकाई बन गई है, जो एक सामान्य नेटवर्क से जुडी हुई है और इसलिए बाह्य हमलों के प्रति भी असुरक्षित है.’

चौधरी ने आगे कहा कि हालांकि भूमि, समुद्र और हवाई क्षेत्र में होने वाले पारंपरिक युद्ध हमेशा होते रहेंगे, मगर पारंपरिक क्षमताओं को बाधित करने के लिए अपनाये जाने वाले अपरंपरागत और हाइब्रिड (मिले-जुले) तरीकों का मुकाबला करने की आवश्यकता होगी.

उन्होंने कहा, ‘आज के दिन एक अहानिकारक प्रतीत होने वाले ईमेल या पीडीएफ दस्तावेज़ में पूरे के पूरे डेटाबेस को मिटा देने या सिस्टम में गड़बड़ी पैदा कर देने की क्षमता है, जिसकी वजह से व्यापक अराजकता और भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है. मेरे विचार में यह उस चीज की एक नई अभिव्यक्ति है जिसे हम परंपरागत रूप से ‘शेपिंग द बैटलफील्ड’ (युद्ध के मैदान को मनचाहा आकार देना) कहते हैं.’

‘एक ‘सम्पूर्ण राष्ट्र वाले दृष्टिकोण’ की आवश्यकता

एसीएम ने प्रौद्योगिकी की वजह से वायु शक्ति के सामने आने वाली चुनौती को रेखांकित किया और इसके साथ तालमेल बनाये रखने की आवश्यकता पर बात की.

उन्होंने कहा कि किसी भी अन्य क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का इतना तीव्र परिवर्तन नहीं देखा गया है जितना की वायु शक्ति ने अपने अस्तित्व के पिछले 120 वर्षों में देखा है.

चौधरी ने कहा, ‘इसके डोमेन में प्रौद्योगिकी विशिष्ट, प्रोप्रिएटरी (मालिकाना हक़ वाली) और अक्सर देशों द्वारा नियंत्रित होती है, इसलिए इसके साथ जुड़ी चुनौती स्वदेशी डिजाइन और विकास की क्षमता विकसित करने तथा भविष्य के लिए उत्पादन क्षमता को विकसित करने की है. अतः एक ‘सम्पूर्ण राष्ट्र वाले दृष्टिकोण’ की आवश्यकता है क्योंकि किसी भी एक इकाई के पास भविष्य की युद्ध के लिए तैयार प्रणालियों को विकसित करने की क्षमता और जानकारी नहीं होगी.’


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