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Sunday, 17 November, 2024
होमदेशस्मृति-एकता की ‘एकता’ से प्रसार भारती की आजादी को लगी ठेस, दूरदर्शन को लगा चूना

स्मृति-एकता की ‘एकता’ से प्रसार भारती की आजादी को लगी ठेस, दूरदर्शन को लगा चूना

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सूचना व प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने कार्यक्रमों से संबंधित उस सौदे को ही रद्द कर दिया जिसका उल्लंघन एकता कपूर की बालाजी टेलीफिल्म्स करने जा रही थी और जिसके लिए उसे जुर्माना किया जाने वाला था. दूरदर्शन के मुताबिक, ईरानी ने कोई गलत काम नहीं किया लेकिन इससे दूरदर्शन को भारी घाटा होने की उम्मीद है.

नई दिल्ली: दूरदर्शन द्वारा मंगाए गए कार्यक्रमों को रोकने का फरमान जारी करके सूचना व प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने इस संस्थान को भारी कानूनी मुसीबत में डाल दिया है. ‘दिप्रिंट’ को जो दस्तावेज हासिल हुए हैं उनके मुताबिक उसे तीन साल में न केवल 60 करोड़ रु. का भारी घाटा हो सकता है बल्कि कानूनी पेंच के कारण उसे मुआवजा देना पड़ सकता है.

इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि इस विवाद ने हितों का गंभीर टकराव पैदा कर दिया है क्योंकि मंत्री महोदया के आदेश के कारण उनकी सहेली मानी जाने वाली एकता कपूर की मशहूर टीवी प्रोडक्शन कंपनी बालाजी टेलीफिल्म्स को लाभ पहुंचा है और सार्वजनिक प्रसारण संस्थान प्रसार भारती की स्वायत्तता पर आंच आई है. लेकिन सूचना व प्रसारण मंत्री का कहना है कि कुछ भी गलत नहीं किया गया है. उन्होंने ‘दिप्रिंट’ से कहा कि वास्तव में उन्होंने दूरदर्शन को भारी घाटे में जाने से बचाया है. टीवी कलाकार रहीं ईरानी बालाजी के सुपरहिट टीवी धारावाहिक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में अभिनय कर चुकी हैं, जिसका प्रसारण 2000 से 2008 के बीच किया गया था.

बहरहाल, ‘दिप्रिंट’ की करीब दो महीने की पड़ताल से पता चला है कि मंत्री महोदया के हस्तक्षेप के कारण बालाजी भारी जुर्माना देने से बच जाएगी. यह जुर्माना उसे इसलिए किया जा सकता था, क्योंकि उसने दूरदर्शन के लिए टीवी कार्यक्रमों के निर्माण और मार्केटिंग के करार को समय पर पूरा नहीं किया. इन कार्यक्रमों में विज्ञापनों से होने वाली आय में दोनो हिस्सेदारी करने वाले थे. दूरदर्शन के साथ बालाजी का करार यह था कि जिन कार्यक्रमों को बनाकर देने का उसने वादा किया है उन्हें वह छह सप्ताह के भीतर नहीं देती तो उसे 1.05 करोड़ रु. का जुर्माना भरना पड़ेगा. कार्यक्रम शुरू करने की तय तारीख से छह सप्ताह के बाद भी वह उन्हें नहीं देती तो वह बैंक गारंटी के 87.5 लाख रु. गंवा देगी और इसके साथ ही उसे प्रसारण का जो समय (स्लॉट) आवंटित किया गया है वह भी रद्द हो जाएगा.

ईरानी के आदेश से दूसरों को भी नुकसान हुआ

इनमें एक है मुंबई की टीवी प्रोडक्शन कंपनी साईबाबा टेलीफिल्म्स, जिसने दूरदर्शन पर समय लेने के लिए बालाजी की तरह ही सफल बोली लगाई थी. बालाजी के विपरीत उसने करार के मुताबिक कार्यक्रम तैयार कर लिये थे. लेकिन ईरानी ने करार को रद्द कर दिया, तो उसकी सारी मेहनत और लागत बरबाद हो गई. साईबाबा का दावा है कि उसे 26 करोड़ रु. से ज्यादा की आय का नुकसान हुआ है. अब उसने दूरदर्शन को कानूनी नोटिस थमा दिया है और विवाद के निबटारे की मांग की है.

विडंबना यह है कि मंत्री महोदया के फैसले से खुद दूरदर्शन को भी नुकसान पहुंचा है. नए कार्यक्रमों से न केवल डीडी नेशनल की टीआरपी बढ़ने की उम्मीद थी बल्कि तीन साल में 60 करोड़ रु. की आमदनी भी होती. दूरदर्शन का प्राइम एंटरटेनमेंट चैनल माने जाने वाले डीडी को निजी चैनलों से तगड़ा मुकाबला तो करना ही पड़ रहा है, उसकी आमदनी भी घटती जा रही थी. नए कार्यक्रमों से उसे काफी सहारा मिलने की उम्मीद थी.

बालाजी और साईबाबा को शाम 7 बजे से रात 11 बजे का स्लॉट दिया गया था. अब इस स्लॉट में पुराने कार्यक्रमों और हिंदी फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है.

बहरहाल, ईरानी का कहना है कि कुछ भी गलत नहीं किया गया है. ‘दिप्रिंट’ के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि बालाजी और साईबाबा को प्राइमटाइम स्लॉट देने की नीति गलत थी और इससे दूरदर्शन को तीन साल में 383.25 करोड़ रु. का घाटा होता. उनके मुताबिक, अलग-अलग संदर्भों में यह घाटा 630 करोड़ रु. तक पहुंच सकता था. ईरानी ने यह भी कहा कि उन पर प्रसार भारती की स्वायत्तता को चोट पहुंचाने के आरोप गलत हैं क्योंकि सार्वजनिक प्रसारणकर्ता खुद ही उस नीति की समीक्षा कर रहा है जिसके तहत बालाजी और साईबाबा को स्लॉट आवंटित किए गए थे. लेकिन मंत्री महोदया ने बालाजी के साथ हितों के टकराव से संबंधित सवाल का जवाब नहीं दिया.

बालाजी फिल्म्स के सीओओ नचिकेत पंतवैद्य और समूह के चीफ फाइनांशियल अफसर संजय द्विवेदी को भी हमने सवालों की एक सूची मेल की थी, जिसका जवाब नहीं मिला. दूरदर्शन की महानिदेशक सुप्रिया साहू ने कहा कि उन्हें जो सवाल भेजे गए हैं वे प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेमपति को भेजे जाएं. वेमपति ने सवालों के जवाब नहीं दिए.
प्रसारण से चार घंटे पहले प्रदर्शन रोका गया.

यह मामला जुलाई 2017 का है. प्राइमटाइम के कुछ नए कार्यक्रम डीडी नेशनल चैनल पर प्रसारित किए जाने वाले थे मगर सूचना व प्रसारण मंत्रालय के एक मेल के कारण उन्हें अचानक कुछ घंटे पहले ही रोक दिया गया. लेकिन यह मेल भेजे जाने के एक दिन पहले बालाजी ने प्रसारण के लांच की डेडलाइन बढ़ाने की मांग की थी. उसका कहना था कि अभी वह उस कार्यक्रम को शुरू करने को तैयार नहीं है. दूरदर्शन के साथ करार के तहत कार्यक्रम के निर्माण के अपने वादे के बावजूद बालाजी ने समय बढ़ाने की यह मांग तीसरी बार की थी. ये कार्यक्रम डीडी की महत्वाकांक्षी ‘न्यू कंटेट एक्वीजीशन स्कीम’ के तहत शुरू किए जाने थे. इस स्कीम को पहले ‘स्लॉट सेल पॉलिसी’ के नाम से जाना जाता था. इसके तहत डीडी के प्राइम टाइम स्लॉट निजी प्रॉडक्शन कंपनियों को नीलाम किए गए ताकि बीमार दूरदर्शन के लिए नए और प्रतिस्पद्र्धी कार्यक्रम मंगाए जा सकें. 2016 में हुई नीलामी में बालाजी और साईबाबा ने बोली लगाकर स्लॉट जीते.

लेकिन 29 जुलाई को सूचना व प्रसारण मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव जयश्री मुखर्जी ने प्रसार भारती के सीईओ को एक गोपनीय मेल भेजा, और नए कार्यक्रमों को शुरू करने से पहले अंतिम क्षण में ही रोक दिया गया. मेल में कहा गया कि इस मसले पर ईरानी से उसी दिन हुई बैठक में विचार किया गया. कुछ ही घंटे बाद साईबाबा टेलीफिल्म्स का पहला कार्यक्रम प्रसारित किया जाने वाला था. मेल में कहा गया कि ‘माननीया सूचना व प्रसारण मंत्री जानना चाहती थीं कि डीडी नेशनल के प्राइमटाइम स्लॉट पर दूरदर्शन के लिए घाटे का प्रस्ताव क्यों स्वीकार किया गया है.’’

मेल में यह भी कहा गया कि इस बात की काफी आशंका है कि निजी कंपनियों को प्राइमटाइम स्लॉट बेचने के फैसले से डीडी को वित्तीय नुकसान होगा. मेल में कहा गया कि यह फैसला अवैध भी हो सकता है, और अगर प्रसारण समय पर शुरू किया गया, तो डीडी/प्रसार भारती को भारी घाटा हो सकता है. मेल में कहा गया कि मामले की जांच करके यह पता लगाना जरूरी है कि इसमें किस-किस के हित जुड़े हैं और ‘शक की सुई’ किसके तरफ घूमती है. सरकार की सलाह है कि जब तक यह प्रारंभिक जांच पूरी नहीं होती तब तक ‘सफल बोली लगाने वालों के साथ करार को लागू करना स्थगित रखा जाए’.

आश्चर्य की बात यह है कि इसी मेल में मुखर्जी ने लिखा कि बैठक में साहू ने दस्तावेजं की मदद से यह बता दिया था कि नई नीति वास्तव में डीडी के लिए लाभकारी है. लेकिन मसले की व्याख्या विस्तार से नहीं की गई. नतीजा: डीडी जिन नए कार्यक्रमों के बूते अपनी टीआरपी और आमदनी बढ़ने की उम्मीद कर रहा था उन्हें स्थगित कर दिया गया.

बोलियों के आधार पर लगाए गए अनुमानों के मुताबिक नए कार्यक्रम अगर शुरू किए जाते तो डीडी नेशनल को पहले वित्त वर्ष में 19.88 करोड़ रु., दूसरे वर्ष में 20.87 करोड़ रु., और तीसरे वर्ष में 22.6 करोड़ रु. की आय होती. लेकिन नुकसान केवल डीडी को नहीं हुआ, साईबाबा टेलीफिल्म्स को भी हुआ, जो 29-30 जुलाई की रात 8 से 9 के बीच ‘सुरों का एकलव्य’ कार्यक्रम प्रसारित करने के लिए तैयार कर चुकी थी.

साईबाबा ने 6 फरवरी 2018 को जो कानूनी नोटिस भेजा है उसमें कहा गया है कि उसे ‘एमबीए सरपंच’ नामक कार्यक्रम में 8.06 करोड़ रु. का, और ‘सुरों का एकलव्य’ कार्यक्रम में 18.20 करोड़ रु. का नुकसान हुआ. नोटिस में कहा गया कि विवाद अब मध्यस्थता से ही सुलझेगा. साईबाबा के विशाल जैन ने वेमपति को मेल भेजा कि ‘अचानक हुई घटना’ से प्रोडक्शन हाउस को ‘अपूरणीय क्षति हुई और उसकी साख को झटका लगा है’, जो उसने वर्षों में बनाई थी. ‘‘हम समझ नहीं पा रहे हैं कि ‘सुरों का एकलव्य’ कार्यक्रम को प्रसारण से क्यों रोका गया…’

29 जुलाई की जिस बैठक में स्लॉट की बिक्री पर रोक लगाई गई, उसका हवाला देते हुए इस मेल में कहा गया कि ‘हमें इस बात से सदमा लगा है कि प्रसार भारती के सीईओ श्री शशि एम. वेमपति इस बैठक में उपस्थित नहीं थे. हमें इस बात से उतना ही आश्चर्य हुआ कि बैठक सूचना व प्रसारण मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी के साथ हुई और हमें खबर तक नहीं की गई कि वह बैठक सूचना व प्रसारण मंत्रालय के साथ हो रही है..’

जैन के मेल में कहा गया कि ईरानी के साथ बैठक दोपहार बाद 3 से 4 बजे के बीच हुई, जिसमें सूचना व प्रसारण सचिव एन.के. सिन्हा, डीडी के दूसरे अधिकारी, और बालाजी के प्रतिनिधि मौजूद थे. प्रसारण से चार घंटे पहले साईबाबा को सूचित किया गया गया उसे रोका जा रहा है. इस फैसले को ‘अनावश्यक, अप्रत्याशित, और नुकसानदेह’ बताते हुए मेल में कहा गया कि साईबाबा ने इस कार्यक्रम के निर्माण, मार्केटिंग तथा विभिन्न मीडिया पर प्रचारित करने पर काफी खर्च किया है.

स्लॉट बिक्री योजना- अनूठी या ‘अवैध’?

‘न्यू कंटेंट एक्वीजीशन स्कीम’ नवंबर 2015 से दिसंबर 2016 के बीच प्रसार भारती बोर्ड की बैठकों में तैयार की गई. इसका लक्ष्य दूरदर्शन की गिरती टीआरपी और आमदनी को ऊपर उठाना था, जो 2012-13 में 1,298.16 करोड़ रु. से घटकर 2014-15 में 1,124.43 करोड़ रु. हो गई थी. इस योजना से पहले डीडी पहले निर्माताओं को भुगतान करता था और फिर विज्ञापनों की कमाई से लागत निकालता था. लेकिन प्रसार भारती बोर्ड की बैठकों के ब्यौरे बताते हैं कि डीडी अपनी आय से ज्यादा का भुगतान निजी निर्माताओं को करता था, और सूचना व प्रसारण मंत्रालय से फंड न मिलने के कारण समस्या और गहरी हो रही थी.

स्लॉट बिक्री के प्रस्ताव की पहली मांग मई 2016 में मानी गई. डीडी के 11 प्राइमटाइम स्लॉट के लिए बोली लगाने को सात प्रोडक्शन कंपनियां आगे आईं. लेकिन उनकी अर्जियों को मामूली कारणों से खारिज कर दिया गया, मसलन यह कि उन्होंने इनकॉरपोरेशन के सर्टिफिकेट नहीं दिए थे. जुलाई 2016 में बोर्ड ने नए स्लॉट की बिक्री आरएफपी की अधिसूचना जारी करने का फैसला किया और ज्यादा प्रोडक्शन कंपनियों को आकर्षित करने के लिए कुछ रियायतें भी दीं. उसी साल अक्टूबर में ‘न्यू कंटेंट एक्वीजीशन स्कीम’ नाम से नया आरएफपी जारी करने का फैसला किया गया, जिसमें और भी रियायतें दी गईं.

नई निविदा 12 दिसंबर 2016 को खोली गई. ‘सा रे गा मा’ से मशहूर हुए गजेंद्र सिंह की साईबाबा टेलीफिल्म्स, और बालाजी टेलीफिल्म्स डीडी के प्राइमटाइम स्लॉट हासिल करने में सफल रहीं. चूकि ये फैसले सूचना व प्रसारण मंत्रालय के हस्तक्षेप के बिना प्रसार भारती ने किए थे, दूरदर्शन द्वारा मंगाए गए कार्यक्रमों पर मंत्रालय की रोक को सार्वजनिक प्रसारणकर्ता की स्वायत्तता पर हमला माना गया.

बालाजी की कहानी

दिसंबर 2016 में प्राइमटाइम स्लॉट हासिल करने के बाद बालाजी ने डीडी के लिए बनाए जाने वाले पांच कार्यक्रमों की रूपरेखा उसी महीने प्रस्तुत कर दी- ‘मीरा का श्याम’, ‘एक बंधन ऐसा भी’, ‘हमसे है सारा जहां’, और ‘बोल’. जनवरी 2017 में बालाजी और डीडी के अधिकारियों के बीच कई मुलाकातें हुईं और तय किया गया कि कार्यक्रमों को अप्रैल 2017 से शुरू किया जाए. लेकिन इसकी तारीख बढ़ाकर 29 मई 2017 तय की गई.

बालाजी को तारीख तथा समय के ब्यौरे दिए जाने के कई दिनों के बाद उसने दूरदर्शन से अनुरोध किया कि लांच की तारीख 29 जून 2017 की जाए. उसने ‘बोल’ और ‘हमसे है सारा जहां’ कार्यक्रमों को वापस लिया जाए, और उसकी जगह दो दूसरे कार्यक्रमों- ‘शिवा’ और ‘तेरे दर पे सनम’- पर विचार किया जाए. डीडी ने शुरू में कहा कि वह लांच की तारीख तो नहीं बढ़ा सकता. बालाजी ने जोर दिया कि दूरदर्शन ऊसके प्रस्तावित नए कार्यक्रमों पर विचार करे और प्रसारण की तारीख बढ़ाकर 15 अगस्त 2017 कर दे.

डीडी ने आखिर हां कर दी, और मई के अंतिम सप्ताह में बालाजी को लिखा कि उसके तीन कार्यक्रमों की लांच तारीख 14, 27, 30 जून तय की जा रही है. उसने नई पटकथाओं पर विचार करने की उसकी मांग ठुकरा दी. लेकिन बालाजी अड़ी रही. उसने डीडी को फिर मेल भेजा और नई पटकथाओं पर विचार करने और लांच तारीख 15 अगस्त करने की मांग की. उसके सीईओ समीर नायर और उनकी टीम ने डीडी के महानिदेशक से 1 जून को मुलाकात की.
जून के अंत में बालाजी ने कार्यक्रमों को लांच करने संशोधित समयसूची भेजी. उसने कहा कि वह ‘धड़कने’ और ‘मीरा के श्याम’ कार्यक्रम 31 जुलाई तक और ‘एक बंधन ऐसा भी’ 15 अगस्त तक लांच करने को तैयार है. इनमें से केवल तीसरे की रूपरेखा को डीडी पहले मंजूरी दे चुका था.

अब डीडी ने उसकी मांग मान ली और 21 जुलाई 2017 को उसे मेल करके तीनों कार्यक्रमों की रूपरेखा और लांच की तारीखों की मंजूरी भेज दी. लेकिन इस मेल में बालाजी को अंतिम चेतावनी भी दी गई. लांच को कई बार टाले जाने और रूपरेखाओं में परिवर्तनों का हवाला देते हुए मेल में कहा गया कि ‘कार्यक्रमों को लांच करने के हित में आपको नीचे दी गई तारीखों पर अपने कार्यक्रमों का प्रसारण शुरू करने के लिए अबस यह आखिरी मौका दिया जा रहा है. ध्यान रहे कि अब किसी भी हालत में आगे समय नहीं बढ़ाया जाएगा.’

मेल में करार की 10वीं शर्त का भी उल्लेख किया गया, जिसमें कहा गया था कि समझौते के मुताबिक 31 जुलाई तक प्रसारण के लिए कार्यक्रम को नहीं भेजा गया तो पहले दो सप्ताह की देरी पर स्लॉट फीस में 25 प्रतिशत का और इसके बाद 100 प्रतिशत का जुर्माना ठोका जाएगा. छह सप्ताह तक भी प्रसारण नहीं शुरू किया जा सका तो प्रोडक्शन हाउस को बैंक गारंटी का नकद भुगतान करना होगा और आवंटन रद्द कर दिया जाएगा.

‘धड़कने’ और ‘मीरा के श्याम’ कार्यक्रम के लांच की अंतिम तारीख से तीन दिन पहले बालाजी ने डीडी को फिर लिखा कि फ्री कमर्शियल टाइ (एफसीटी), और स्लॉट बिक्री की पूरी नीति को लेकर उसे समस्याएं हैं. एफसीटी का मतलब उस समय से है जिसका इस्तेमाल एक खास स्लॉट में विज्ञापनों के प्रसारण में किया जाता है. बालाजी और डीडी के सौदे के मुताबिक दोनों एफसीटी से हुई आय में हिस्सेदारी कर सकते थे. बालाजी के मेल में यह भी कहा गया कि कार्यक्रमों के प्रसारण से पहले डीडी इस नीति पर पुनर्विचार करे.

बालाजी के चीफ फाइनांशियल अफसर संजय द्विवेदी ने एक मेल में लिखा कि ‘‘हम आपसे इस नीति पर पुनर्विचार करने का विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं और अनुरोध करते हैं कि कार्यक्रम बनाने वाले उन सभी प्रोडक्शन हाउसेज की बेहतरी के लिए इसमें संशोधन करें, जो इस री-लांच के दौर में आपके साथ साझीदारी करना चाहते हैं.’ 31 जुलाई को कार्यक्रमों का प्रसारण शुरू करने में अप्रत्यक्ष रूप् से असमर्थता जताते हुए द्विवेदी ने अटके हुए मुद्दों पर बात करने और जोरदार मार्केटिंग शुरू करने के मामले पर बैठक करने की मांग की. उनका मेल मिलने के अगले ही दिन 29 जुलाई को ईरानी की अध्यक्षता में बैठक हुई और प्रसार भारती के सीईओ को मेल भेज दिया गया.

ईरानी का जवाब

‘दिप्रिंट’ के सवालों का मेल से जवाब देते हुए ईरानी ने लिखा कि डीडी की ‘विवादास्पद’ स्लॉट बिक्री नीति पर उनके मंत्रालय का ध्यान जुलाई 2017 में गया. उन्होंने लिखा कि नीति की जांच करने पर पता चला कि यह ‘न केवल त्रुटिपूर्ण है बल्कि घाटा देने वाली भी है’ और दिल्ली हाइकोर्ट के आदेशों के मद्देनजर इसके ‘कानूनी प्रभाव’ भी पड़ सकते हैं. संकेत उस उदाहरण की तरफ था कि डीडी को कार्यक्रम बना कर देने वाले कुछ निर्माता मई 2016 में दिल्ली हाइकोर्ट में यह शिकायत दर्ज कर आए थे स्लॉट बिक्री नीति भेदभावपूर्ण है और छोटे निर्माताओं के हित के खिलाफ है. अदालत ने डीडी को निर्देश दिया कि वह निर्माताओं को यह बताए कि वह उनके कार्यक्रमों का आकलन क्यों नहीं कर रहा है और यह आश्वासन भी दे कि उसका फैसला मनमाना नहीं होगा.

इस आदेश के बाद प्रसार भारती ने स्लॉट बिक्री नीति की शर्तों को उदार बनाया.

ईरानी ने यह भी लिखा कि अगर यह नीति लागू की जाती तो डीडी को प्रति एपिसोड करीब 7 लाख रुपये का ‘अनुमानित घाटा’ होता और पांच स्लॉटों के लिए तीन साल के भीतर 383.25 करोड़ रु. का अनुमानित घाटा होता. ‘इस सूचना और दूसरे तथ्यों से स्पष्ट था कि यह प्रस्ताव प्रकट तौर पर घाटे का, डीडी के व्यावसायिक हितों के विपरीत था.’

प्रसार भारती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ‘यह भी महसूस किया गया कि संवैधानिक जवाबदेही की मांग थी कि मंत्रालय की जानकारी में कोई ऐसी चीज आई है जो घाटा देती है और शुरू से ही त्रुटिपूर्ण है, उसके लिए लहर के साथ बहना, प्रसार भारती को उससे संबंधित गड़बड़ियों की जानकारी न देकर उसे आगे बढ़ने देना ठीक नहीं होगा.’

उन्होंने कहा कि ‘प्रसार भारती को प्रस्ताव की गहन जांच करने के लिए कहा गया’ लेकिन डीडी या प्रसार भारती की तरफ से संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं आया है.’ उन्होंने कहा कि प्रसार भारती को ऐसी खतरनाक स्थिति में पड़ने से सावधान करना मंत्रालय/अधिकारियों का फर्ज है, जहां तीन पहलुओं से 250 से 630 करोड़ रु. तक का नुकसान हो सकता था. लेकिन उन्होंने इन तीन पहलुओं का खुलासा नहीं किया. उन्होंने कहा कि ‘प्रसारण रोकने पर साईबाबा या बालाजी को कोई भुगतान नहीं करना पड़ा. दरअसल उन्हें प्रसार भारती बोर्ड द्वारा मंजूर डीडी की गलत नीति के कारण डीडी की कीमत पर ही अपना व्यापार करने के मौके का लाभ उठाने से रोक दिया गया.’’ उन्होंने यह भी कहा कि प्रसार भारती की स्वायत्तता पर चोट करने का जहां तक सवाल है, वह सही नहीं है क्योंकि 15 फरवरी को उसके बोर्ड की बैठक ने इस ‘प्रस्ताव’ पर विचार किया कि स्लॉट बिक्री नीति के नाम से मशहूर ‘न्यू कंटेंट एक्वीजीशन पॉलिसी’ को खत्म किया जाए और दुनियाभर में सार्वजनिक प्रसारणकर्ता कार्यक्रम हासिल करने की जिन सर्वोत्तम उपायों का प्रयोग करते हैं उनके आधार पर कार्यक्रम हासिल करने की नई योजना बनाई जाए.’

‘जाहिर है कि प्रसार भारती बोर्ड ने अपनी स्वायत्तता का उपयोग करते हुए ही इसकी समीक्षा की जरूरत महसूस की.’

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