जम्मू, 23 फरवरी (भाषा) भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना ने बुधवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के पूर्व नेता मुश्ताक अहमद शाह बुखारी से मुलाकात की। बुखारी ने पहाड़ी भाषी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के मुद्दे को लेकर मंगलवार को एनसी की मूल सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
रैना और पूर्व एनसी नेता की मुलाकात से पुंछ जिले की सुरनकोट विधानसभा सीट से दो बार से विधायक चुने जा रहे बुखारी के भगवा पार्टी में शामिल होने की अटकलों को हवा मिली है। हालांकि, रैना ने इस मुलाकात को महज एक ‘शिष्टाचार भेंट’ करार दिया है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि पूर्व एनसी नेता के साथ उनके पारिवारिक संबंध हैं।
इस बीच, सोशल मीडिया पर बुखारी के इस्तीफे को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और पार्टी के एक कार्यकर्ता के बीच हुई कथित बातचीत का वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में अब्दुल्ला यह स्पष्ट करते नजर आ रहे हैं कि उनकी पार्टी पहाड़ी समुदाय की मांग को लंबे अरसे से उठा रही है और बुखारी को कुछ निजी हितों की रक्षा करना है, यही कारण है कि एनसी छोड़ने तथा भाजपा में शामिल होने के फैसले को जायज ठहराने के लिए वह अपने समुदाय को विशेष दर्जा देने की मांग कर रहे हैं।
जम्मू में 75 वर्षीय बुखारी से उनके आवास पर मुलाकात के बाद रैना ने संवाददाताओं से कहा, ‘बुखारी एक कद्दावर नेता और पहाड़ी समुदाय की आत्मा हैं। मैंने उन्हें बचपन से ही पहाड़ी समुदाय के कल्याण के लिए काम करते देखा है और चूंकि हमारे बीच पारिवारिक संबंध हैं, इसलिए मैं चाय पीने और उनका हालचाल जानने आया था।’
भाजपा नेता ने कहा कि बुखारी ने हमेशा राष्ट्रहित में और लोगों के कल्याण के लिए काम किया है, खास तौर पर पहाड़ी समुदाय के कल्याण के लिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने बुखारी को भाजपा में शामिल होने का न्योता दिया, रैना ने कहा, “वह हमारे नेता हैं, जो अपनी पार्टी (एनसी) से बहुत आहत हुए हैं। हम उनका सम्मान करते हैं और वह हमारे दिल के बहुत करीब हैं।”
वायरल वीडियो में एनसी का एक आज्ञात कार्यकर्ता, जो संभवत: पहाड़ी समुदाय का सदस्य है, अब्दुल्ला से यह कहता नजर आ रहा है कि पार्टी छोड़ने का बुखारी का फैसला ‘गलत’ है और उनकी वापसी सुनिश्चित करने के लिए वह उनसे मुलाकात करना चाहता है।
इस पर अब्दुल्ला यह कहते दिखाई दे रहे हैं, “यह अल्लाह की मेहर है कि बुखारी ने पार्टी छोड़ दी है। उनके पास जाने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हमें ऐसे लोगों की जरूरत नहीं है।”
भाषा पारुल माधव
माधव
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