मुंबई, 23 फरवरी (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और 25 फरवरी को रिलीज होने वाली हिंदी फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ से ‘कमाठीपुरा’, ‘काठियावाड़ी’ और ‘चीन’ शब्दों को हटाने के अनुरोध करने वाली तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की एक खंडपीठ शहर के विधायक अमीन पटेल और हितेन मेहता नाम के व्यक्ति की दो जनहित याचिकाओं (पीआईएल) और दक्षिण मुंबई के कमाठीपुरा इलाके की निवासी श्रद्धा सुर्वे की एक अन्य याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
किसी भी याचिका में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने का अनुरोध नहीं किया गया था जिसमें बॉलीवुड सितारे आलिया भट्ट और अजय देवगन ने अभिनय किया है, लेकिन इसमें अनुरोध किया गया कि कुछ ‘‘आपत्तिजनक’’ शब्दों को हटा दिया जाए या बदल दिया जाए।
सुर्वे ने अपनी याचिका में फिल्म में क्षेत्र (कमाठीपुरा) के नाम के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए दावा किया कि इसमें जगह को खराब तरीके से दिखाया गया है जो वहां के निवासियों को बदनाम कर सकता है। उनके वकील योगेश नायडू ने बुधवार को कहा कि ‘कमाठीपुरा’ का नाम बदल दिया जाना चाहिए जहां अतीत में कई वेश्यालय संचालित थे।
पटेल ने अपनी याचिका में फिल्म से ‘कमाठीपुरा’ और ‘काठियावाड़ी’ शब्दों को हटाने का अनुरोध किया। उनकी वकील धृति कपाड़िया ने दलील दी थी कि फिल्म में इन शब्दों के इस्तेमाल से लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है।
कपाड़िया ने दलील दी, ‘‘काठियावाड़ी गुजरात के सौराष्ट्र से संबंधित व्यक्तियों का एक समुदाय है। उनके समुदाय के नाम का उपयोग उनकी भावनाओं को आहत कर रहा है।’’
कपाड़िया ने कहा कि मुंबादेवी के कांग्रेस विधायक पटेल को कमाठीपुरा के निवासियों से कई पत्र मिले हैं, जिसमें क्षेत्र का नाम फिल्म में इस्तेमाल नहीं करने की मांग की गई है। कपाड़िया ने कहा, ‘‘पूरा कमाठीपुरा रेड लाइट एरिया नहीं है जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है। एक या दो गली हो सकती है … हम इससे इनकार नहीं कर रहे हैं।’’
मेहता ने अपनी याचिका में फिल्म के एक दृश्य में अभिनेत्री आलिया भट्ट द्वारा इस्तेमाल किए गए ‘चीन’ शब्द को हटाने या बदलने का अनुरोध किया था। उनके वकील अशोक सरोगी ने कहा कि इस दृश्य में पूर्वोत्तर के एक दंत चिकित्सक को पात्र भट्ट पर कुछ प्रक्रिया करते हुए दिखाया गया है।
फिल्म के सह-निर्माता और निर्देशक संजय लीला भंसाली की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रवि कदम ने अदालत को बताया कि तीनों याचिकाएं गलत धारणा के आधार पर दायर की गई हैं और किसी को बदनाम करने का कोई इरादा नहीं है।
कदम ने कहा कि जिस सीन में ‘चीन’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है, उसमें दंत चिकित्सक को वास्तव में एक चीनी दंत चिकित्सक के रूप में दिखाया गया है। उन्होंने अदालत से कहा, ‘‘फिल्म 1950 के दशक की है और उस समय इस क्षेत्र में चीन के कई दंत चिकित्सक थे।’’
फिल्म में एक ‘डिस्क्लेमर’ (बयान) है जिसमें कहा गया है कि निर्माताओं का इरादा किसी व्यक्ति या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने या आहत करने का नहीं है।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अंतिम समय में अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जब फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज करने के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। कदम ने कहा, ‘‘सिर्फ फिल्म के टीज़र और ट्रेलर को देखकर याचिका दायर की गई है। फिल्म को सेंसर बोर्ड ने देखा है और रिलीज के लिए मंजूरी दी है।’’
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि वह विस्तृत आदेश बाद में देगी।
भंसाली द्वारा निर्देशित फिल्म, लेखक एस हुसैन जैदी की पुस्तक ‘माफिया क्वींस ऑफ मुंबई’ के एक अध्याय पर आधारित है। इस फिल्म में आलिया भट्ट को गंगूबाई के रूप में दिखाया गया है।
भाषा अमित अनूप
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