नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) में इतिहास एवं संस्कृति विभाग में एक प्रोफेसर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि कोई मामला नहीं बनता।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने कहा कि अधिकारियों ने कई उदाहरण पेश किए हैं, जहां जामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के पद पर नियुक्तियां की गई हैं।
अदालत ने कहा, ”उपरोक्त के मद्देनजर प्रतिवादी को नोटिस जारी करने का कोई मामला नहीं बनता, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।”
याचिकाकर्ता ने नाजिम हुसैन अल-जाफरी के प्रोफेसर के पद पर चयन और नियुक्ति संबंधी पूरी प्रक्रिया को चुनौती देते हुए इसे जामिया मिल्लिया इस्लामिया अधिनियम और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों का उल्लंघन बताया था।
जाफरी को जामिया में रजिस्ट्रार की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।
याचिकाकर्ता मोहम्मद जावेद मलिक की ओर से पेश वकील एम सरवर ने कहा कि विश्वविद्यालय ने पिछले साल जून में विज्ञापन जारी कर विभिन्न विभागों में पात्रता मानदंड और योग्यता निर्धारित करते हुए आवेदन आमंत्रित किए थे।
हालांकि, इस साल 20 जनवरी को विश्वविद्यालय की कुलपति ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया अधिनियम की धारा 11(3) के तहत जाफरी को इतिहास एवं संस्कृति विभाग में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया।
जामिया की ओर से पक्ष रखते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा के साथ वकील फुजैल अहमद अय्यूबी और प्रीतिश सभरवाल ने कहा कि जाफरी को विश्वविद्यालय प्रशासन में 35 से अधिक वर्षों का अनुभव है और वह विभिन्न विश्वविद्यालयों में कई पदों पर अपनी सेवा दे चुके हैं।
भाषा शफीक अनूप
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