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Tuesday, 19 November, 2024
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हिन्द प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियां यूरोप तक पहुंच सकती हैं : जयशंकर

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नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) विदेश मंत्री एय जयशंकर ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए मंगलवार को कहा कि इस क्षेत्र में पेश आ रही चुनौतियों की आंच यूरोप तक भी पहुंच सकती है और यूरोप केवल यह सोच कर निश्ंचित नहीं हो सकता कि वह बहुत दूर है तो सुरक्षित है । उन्होंने ऐसे में इन चुनौतियों से सामूहिक रूप से निपटने की जरूरत को रेखांकित किया।

जयशंकर ने किसी देश का नाम लिये बिना कहा कि असीम शक्ति एवं मजबूत क्षमता के साथ ‘‘जिम्मेदारी एवं संयम’’ होना जरूरी है । उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अर्थव्यवस्था दबाव और राजनीतिक बल प्रयोग के खतरों से मुक्त रहे।

समझा जाता है कि विदेश मंत्री का परोक्ष संदर्भ हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता से है ।

हिन्द प्रशांत पर यूरोपीय संघ (ईयू) के मंत्री स्तरीय मंच को संबोधित करते हुए जयशंकर ने 27 देशों के समूह को सचेत किया कि क्षेत्र में पेश आ रही चुनौतियां यूरोप तक भी पहुंच सकती हैं क्योंकि केवल इन चुनौतियों से दूर स्थित होना, इससे कोई बचाव नहीं है। उन्होंने क्षेत्र की चुनौतियों से सामूहिक रूप से निपटने के महत्व को रेखांकित किया ।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इस मंच की मेजबानी ऐसे समय में हो रही है जब यूरोप गंभीर संकट (यूक्रेन में) का सामना कर रहा है और यह हिन्द प्रशांत क्षेत्र के यूरोपीय संघ से जुड़ाव के महत्व को रेखांकित करता है।

यूरोपीय संघ सहित कई अन्य देशों के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में उन्होंने कहा, ‘‘ हिन्द प्रशांत बहु ध्रुवीय एवं पुन: संतुलन आधारित व्यवस्था का केंद्र है जो समकालीन बदलाव को रेखांकित करता है।’’

हिन्द प्रशांत क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह जरूरी है कि वृहद शक्ति एवं मजबूत क्षमता के साथ जिम्मेदारी एवं संयम आए ।

उन्होंने कहा, ‘‘ इसका मतलब अंतरराष्ट्रीय कानून, क्षेत्रीय अखंडता एवं सम्प्रभुता का सम्मान है ।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘इसका अर्थ अर्थव्यवस्था को दबाव से मुक्त और राजनीति को बल प्रयोग के खतरों से मुक्त बनाना है। इसका आशय वैश्विक नियमों एवं चलन का पालन करना तथा वैश्विक स्तर पर साझी चीजों पर दावा करने से बचना है।’’

उन्होंने कहा कि आज हम उन चुनौतियों को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं और विश्वास करें कि इसमें दूरी कोई बचाव नहीं है ।

जयशंकर ने कहा, ‘‘ हिन्द प्रशांत क्षेत्र में हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वह बढ़कर यूरोप तक जा सकती है। इसलिये हम क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान को लेकर यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि यह नौवहन शताब्दी है और हिन्द प्रशांत क्षेत्र का ज्वार निश्चित तौर पर उसके भविष्य को आकार देने में मदद करेगा ।

विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोपीय संघ की दृष्टि खुला, मुक्त, संतुलित एवं समावेशी हिन्द प्रशांत एवं आसियान की केंद्रीयता की भारत की दृष्टि के अनुरूप है ।

जयशंकर ने कहा कि भारत का रूख व्यापक है और इसमें बहुपक्षीयता, बहुलतावाद और सामूहिक कार्य पर जोर दिया गया है तथा ये हिन्द प्रशांत सागर में निहित हैं ।

उन्होंने कहा कि विश्व मामलों को आकार देने में यूरोप के व्यापक योगदान की भारत सराहना करता है । उन्होंने कहा कि हमारे वार्षिक शिखर बैठकों के जरिये हमने ईयू भारत सामरिक गठजोड़ को काफी मजबूत बनाया है तथा फ्रांस इस सामरिक भूगोल के महत्व को समझने वाले पहले कुछ देशों में शामिल था ।

हिन्द प्रशांत के संबंध में जयशंकर ने कहा कि साझे मूल्यों और सोच पर आधारित देश साथ काम करने के लिये बेहतर क्षेत्रीय संस्कृति सुनिश्चित कर सकते हैं ।

उन्होंने कहा कि इनमें एक महत्वपूर्ण बात यह है कि आकार से परे सभी देश सम्प्रभु विकल्प और पसंद रख सकते हैं और यह हमारे साझा प्रयासों का सार है ।

उल्लेखनीय है कि जर्मनी की दो दिवसीय यात्रा के बाद जयशंकर तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को फ्रांस पहुंचे । फ्रांस ने हिन्द प्रशांत पर यूरोपीय संघ (ईयू) मंत्रिस्तरीय मंच की मेजबानी की है।

भाषा दीपक दीपक नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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