कोलकाता, 22 फरवरी (भाषा) कलकत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रथम वर्ष के छात्रों को पारंपरिक हिप्पोक्रेटिक शपथ के बजाय चरक की शपथ दिलाये जाने को लेकर उठे विवाद के बीच प्रतिष्ठित कॉलेज के प्राचार्य डॉ रघुनाथ मिश्रा ने मंगलवार को कहा कि ऐसा 187 साल पुराने इस मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के पत्राचार को समझने में हुई भूल के चलते हुआ है।
कॉलेज प्रशासन की ओर से यह स्पष्टीकरण इस प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान के प्रथम वर्ष के छात्रों को ‘चरक शपथ’ (एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा संहिता के लेखक के नाम पर शपथ) के लिए कहे जाने के एक दिन बाद आया है। इस ‘चरक शपथ’ का विभिन्न चिकित्सा मंचों ने अतीत में भी विरोध किया है।
चरक शपथ का संदर्भ आयुर्वेद से संबंधित एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ चरक संहिता में मिलता है, जो प्राचीन भारतीय चिकित्सा में चिकित्सकों के लिए एक आचार संहिता निर्धारित करता है।
मिश्रा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘कुछ दिन पहले, एनएमसी के अधिकारियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस हुई थी। उस सम्मेलन के दौरान चरक शपथ का एक संदर्भ था। हमारे कर्मचारियों और अधिकारियों ने भूलवश इसे एक आधिकारिक दिशानिर्देश (अनिवार्य रूप से पालन किया जाने वाले) समझा और प्रथम वर्ष के छात्रों को इसकी शपथ दिलाई गई।”
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी ओर से भूल थी… हमने एक संदर्भ को भूलवश आधिकारिक दिशानिर्देश समझ लिया।’’
प्राचार्य ने कहा कि प्रशिक्षुओं को हिप्पोक्रेटिक शपथ दिलाई जाती है, जो दुनिया भर के चिकित्सकों के लिए सदियों पुरानी आचार संहिता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जहां हमने ‘चरक शपथ’ दिलाई हो। हम केवल हिप्पोक्रेटिक शपथ दिलाने की सदियों पुरानी प्रणाली का पालन करते हैं।’’
चिकित्सकों के एक संगठन मेडिकल सर्विस सेंटर और कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की डीएसओ इकाई ने मंगलवार को प्रथम वर्ष के छात्रों को दिलाई गई ‘‘चरक’’ शपथ के विरोध में प्रदर्शन करने की धमकी दी है।
मेडिकल सर्विस सेंटर के सचिव डॉ. अंगशुमान मित्रा ने कहा, ‘‘यह चिकित्सा पेशे की लंबे समय से स्थापित परंपराओं की भावना के खिलाफ है, जहां प्रशिक्षु छात्र हिप्पोक्रेटिक शपथ लेते हैं। यह आरएसएस और भाजपा द्वारा प्रचारित सिद्धांत को लागू करने का एक प्रयास है।’’
आईडीएसओ मेडिकल यूनिट के प्रवक्ता डॉ. सौम्यदीप रॉय ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”हम हैरान हैं कि देश के एक प्रमुख मेडिकल कॉलेज में ऐसा कैसे हो गया।” उन्होंने कहा कि उनका फोरम इस फैसले को लेकर विरोध दर्ज कराएगा।
भाषा सुरेश मनीषा
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