श्रीदेवी के निधन से, देश ने पुरूष प्रधान इंडस्ट्री की बहुत सी अदृश्य बाधाएं पार करने वाली महिला व बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक, को खो दिया है.
आखिरी बार श्रीदेवी को जब सार्वजनिक व सामाजिक मीडिया पोस्ट में देखा गया तो वे शानदार हरे परिधन में, हमेशा की तरह खूबसूरत नज़र आईं. आर्कषक व गरिमापूर्ण. और फिल्म उद्योग चाहे वह हिन्दी हो, तमिल, तेलगु या मलयालम, उन्हें इसी तरह याद रखेगा. वह एक अत्यन्त प्रतिभाशाली अभिनेत्री के रूप में स्क्रीन और इसके बाहर, दोनों ही जगह यादगार रही हैं.
अपने 48 वर्ष से भी लम्बे करियर में, श्रीदेवी ने ऐसी फिल्मों में यादगार किरदार निभाए हैं, जोकि बॉक्स आफिस पर बहुत सफल रही हैं. उन्होंने चार वर्ष की उम्र में 1969 में थुनायवन में बाल कलाकार के रूप में पहली बार अभिनय किया, जिसमें उन्होंने लोर्ड मुरुगन का एक छोटा सा रोल किया. फिल्म एक संगीतमय हिट थी. जब वे बड़ी हुई तो उन्होंने दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम किया. छः साल बाद, उन्होंने बॉलीवुड में अपना पहला अभिनय, बाल कलाकार के रूप में, सुपर हिट फिल्म जूली में किया.
1979 में, श्रीदेवी ने एक तमिल फिल्म ‘सोहलवां सावन’ के रीमेक में प्रमुख भूमिका निभाई. फिल्म बाॅक्स आफिस पर सफल नहीं हो पाई, और 1983 में श्रीदेवी को ‘हिम्मतवाला’ में ही पहचान मिल पाई और वह हिन्दी फिल्म उद्योग पर अपनी छाप छोड़ पाईं. यह फिल्म 1980 के दशक की सबसे बड़ी हिट फिल्म मानी गई है. उसी वर्ष मवाली भी रिलीज़ हुई और 1984 में ‘तोहफा’. और जितेंद्र व श्रीदेवी की जोड़ी हिट हो गई. उसी समय में कमल हसन के साथ ‘सदमा’ भी आई जिसमें उन्होंने एक ऐसी लड़की की भूमिका निभाई जो एक चोट के बाद वापिस बचपन में चली जाती है. इस फिल्म ने आलोचकों की तारीफ हासिल की और श्रीदेवी को एक निपुण अभिनेत्री के रूप में कायम कर दिया.
1987 में, शेखर कपूर के निर्देशन में बनी ‘मिस्टर इंडिया’ में श्रीदेवी इंडस्ट्री की महिला सुपर स्टार के रूप में उभर कर सामने आईं. चाहे ‘हवा हवाई’ हो या ‘काटे नहीं कटते’ श्रीदेवी लाखों दिलों की धड़कन बन गईं. एक कामुक गीत को अपने बलबूते पर बिना किसी अभिनेता के, पकड़ में रखना एक नई बात थी. चाहे फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ के नाम से है परन्तु उनकी चार्ली चैपलिन के रूप में, फिल्म में भूमिका, दिलकश थी व इसे आज भी श्रीदेवी की बेहतरीन भूमिकाओं में से एक माना जाता है.
‘चालबाज’ में श्रीदेवी ने हास्य कला का प्रदर्शन किया व ‘चाँदनी’ से वह देशभर की प्रिय बन गईं. दो साल बाद, ‘लम्हे’ आई जो कि ऐसा मुश्किल रोल था, जिसे करने की हिम्मत ज्यादा लोगों में नहीं थी. उन्होंने माँ और बेटी दोनों की भूमिका निभाई, जिसमें बेटी, माँ के प्रशंसक को चाहती है.
जल्द ही, श्रीदेवी ने प्रोड्युसर बोनी कपूर से शादी कर ली व इंडस्ट्री से लगभग 15 साल का विश्राम ले लिया, सिवाय होम प्रोडक्शन में अनिल कूपर के साथ की फिल्म ‘जुदाई’ के. वह 2012 में गौरी शिन्दे की ‘इंगलिश विंगलिश’ के साथ लौटी व देशभर ने अपनी पंसदीदा अभिनेत्री की वापसी का गर्मजोशी से स्वागत किया.
श्रीदेवी एक अभिनेत्री के रूप में ही अपनी जगह बनाने में कामयाब नहीं हुई बल्कि व्यावसायिक रूप से भी सफल रहीं. अपने परिवार में मान्यता पाने के लिए अंग्रेज़ी सीखने वाली एक घरेलु स्त्री का उनका अभिनय बहुत हिट रहा. एक साल बाद उन्हें ‘‘पदमश्री’’ से सम्मानित किया गया.
पिछले साल वह ‘मॉम’ में नज़र आईं, जिसमें बलात्कार के मुद्दे को लिया गया था और उनके काम की शानदार प्रंशसा हुई थी. हाल ही में उन्होंने शाहरुख खान की फिल्म ‘ज़ीरो’ के लिए, जो इस वर्ष के अन्त में रिलीज़ होगी, में एक विशेष रोल की शूटिंग खत्म की थी.
श्रीदेवी ने हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री की कई अनदेखी मुश्किलों को पार कर लिया. उनकी सफलता की चरम सीमा के समय पुरुष प्रधान बॉलीवुड में पहले यह बात अनसुनी थी कि स्क्रिप्ट श्रीदेवी को ध्यान में रखकर लिखे जाते व प्रोड्युसरों की कतारें लगी रहती थीं. उनके सभी निर्देशकों व साथी कलाकरों के अनुसार वह सिनेमा से दूर तो शान्त व अलग थलग रहने वाली थीं, तथा कैमरे सामने एकदम तबदील हो जातीं. उन्होंने सभी सुपरस्टारों के साथ, अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख खान तक, काम किया.
श्रीदेवी की असामयिक मृत्यु के सदमे से उनके प्रशंसक, अलोचक व सहयोगी अभी उभर रहे हैं. केवल 54 वर्ष आयु में, अभी उनमें इन्डस्ट्री में दिखाने लायक बहुत प्रतिभा थी, जहां वह हमेशा एक प्रथम महिला सुपरस्टर व प्रतिष्ठित अभिनेत्री के रूप याद की जाएंगी.
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