रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ विपक्षी दलों पर फिर आरोप लगाया कि वे ‘आतंकवादियों के प्रति मेहरबान’ हैं. आखिर, चुनावों का मौसम फिर से जो आ गया है! उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक रैली में मोदी ने पिछले साल दिसंबर में लुधियाना की एक अदालत में हुए बम विस्फोट का जिक्र किया. उन्होंने जब यह भाषण दिया तब पंजाब में मतदान चल रहा था और उनका भाषण तमाम टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा था. यह और बात है कि उस दौरान चुनाव आयोग के आदेश से ’48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार बंद’ की अवधि चल रही थी. वैसे, इस डिजिटल युग में यह आदेश भी एक मज़ाक बनकर ही रह गया है.
मोदी ने सपा और कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया कि वे आतंकवाद के प्रति नरम रहे हैं, लेकिन इस आरोप की गर्मी पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) को जरूर महसूस हुई होगी. शमशाद बेगम का गाना ‘कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना’ तो आपको याद होगा ही.
मोदी के हरदोई वाले भाषण से 48 घंटे पहले भाजपा नेताओं के बयानों और गतिविधियों पर ध्यान दीजिए. ऐसा लगता है कि पंजाब में आप ने भाजपा को ज्यादा चिंतित कर दिया है.
पंजाब की सियासत UP से
‘इंडियन एक्स्प्रेस’ की खबर के मुताबिक, शुक्रवार को अबोहर की रैली में मोदी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आप के बागी नेता कुमार विश्वास के आरोपों का हवाला देते हुए पंजाब की जनता को चेतावनी दी थी कि आप तो ‘अलगाववादियों और राष्ट्र विरोधी तत्वों से भी हाथ मिला सकती है.’
उसी दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विश्वास के आरोपों के बारे में पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के राजनीतिक संकेत और लोगों से आप को वोट देने की अलगाववादी गुट ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (एसजेएफ) की अपील के जवाब में कहा कि सरकार इसकी जांच करेगी.
दरअसल, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने लुधियाना बम कांड में एसजेएफ के एक सदस्य का हाथ होने का संदेह व्यक्त किया है और रविवार को मोदी जब हरदोई में रैली को संबोधित कर रहे थे तब पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्वनी शर्मा का कथित ‘वोट फॉर कांग्रेस वीडियो’ वायरल हो रहा था.
तो भाजपा पंजाब में आप को लेकर इतनी घबराई हुई क्यों है? केंद्र में सत्ता में बैठी पार्टी का पंजाब के चुनाव में वैसे भी कोई बड़ा दांव नहीं लगा है. वह उम्मीद लगा रही है कि वहां उसे दहाई अंकों वाली संख्या में सीटें मिल जाएं और शिरोमणि अकाली दल को इतनी सीटें मिल जाएं कि दोनों बिखरे हुए सहयोगी फिर गद्दी की आस लगा सकें.
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AAP से अरुचि
संघ परिवार के अंदर चल रहे विचार-विमर्श से परिचित सूत्रों का कहना है कि भाजपा पंजाब में आप को ‘रोकने’ का मन बना चुकी है. ऐसे ही एक सूत्र ने कहा, ‘जरूरत हुई तो हम अपने (यानी हिंदू) वोट कांग्रेस को ट्रांसफर करवा देंगे मगर आप को सत्ता में नहीं आने देंगे.’
यह आप को जरूर सावधान कर देगा. पंजाब विधानसभा के 2017 के चुनाव में उसने अलगाववादी तत्वों के साथ जो कथित हेलमेल जैसा रखा था उसकी भारी कीमत उसे चुकानी पड़ी थी. इस कारण हिंदू मतदाता उससे छिटक गए थे और 117 सीटों वाली विधानसभा में उसे केवल 20 सीटें मिली थीं. इसका सबसे ज्यादा लाभ कांग्रेस को मिला था. तब उसके राजनीतिक विरोधियों का कहना था कि भाजपा और आरएसएस ने उसकी सहायता की थी.
पांच साल बाद आज जब पंजाब में बड़ी संख्या में लोग ‘बदलाव’ (पुरानी पार्टियों से छुटकारा) चाह रहे हैं और आप उनकी पसंद के रूप में उभर रही थी, तब मोदी-शाह की जोड़ी उसका खेल खराब करने पर आमादा दिख रही है. पंजाब में जब आप भाजपा नेताओं से यह पूछेंगे कि वे आप पार्टी से ‘अरुचि’ क्यों रखते हैं, तब वे कहेंगे कि यह सीमावर्ती राज्य है और उन्हें इसकी सुरक्षा की चिंता है. वैसे, साफ तौर पर यह भी कहा जा सकता है कि त्रिशंकु विधानसभा उभरी तो उन्हें राष्ट्रपति शासन के अंतर्गत भाजपा के विस्तार का मौका मिलेगा.
वे यह कबूल नहीं करेंगे कि आप अगर एक और राज्य में सत्ता में आ गई तो पंजाब के बाहर इसका जो प्रभाव पड़ सकता है, उसकी उन्हें ज्यादा चिंता है. बहरहाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर जिस तरह तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों से बात कर रहे है उस पर भाजपा बहुत खुश होकर नज़र रख रही है. भाजपा विरोधी और कांग्रेस विरोधी इस संभावित मोर्चे के आंतरिक विरोधाभास इसे शुरू से ही कमजोर कर रहे हैं. भाजपा इस बात से भी खुश है कि गांधी परिवार किस तरह बस इंतजार कर रहा है कि लोग मोदी को या भविष्य में कभी मोदी के उत्तराधिकारी को चुनाव में हरा देंगे.
भाजपा यह नहीं चाहती कि कोई छोटा मोदी उभरे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 10 मार्च को गोवा विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं का शायद ज्यादा यथार्थपरक आकलन करेंगी. लेकिन उस दिन अगर आप ने चमत्कार कर दिया तो केजरीवाल भी ज्यादा जोश में आ जाएंगे और उनकी आप भाजपा और कांग्रेस का सबसे प्रामाणिक विकल्प बनकर उभर जाएगी. भाजपा को मालूम है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी की लोकप्रियता के बावजूद 62 फीसदी मतदाताओं ने विपक्ष को वोट दिया था. भाजपा कतई नहीं चाहेगी कि कोई छोटा मोदी उभरे और भविष्य में एक चुनौती बन जाए.
इसीलिए, भाजपा पंजाब में आप को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक खतरा साबित करने पर जी-जान सी जुटी है. क्या केजरीवाल भाजपा की बाजी उसी तरह पलट सकते हैं जिस तरह मोदी ने कांग्रेस की बाजी तब-तब पलटी जब-जब किसी कांग्रेसी नेता ने उन्हें ‘मौत का सौदागर’ या ‘चायवाला’ या ‘चोर चौकीदार’ कहा? दिल्ली के मुख्यमंत्री दिल्ली के मुख्यमंत्री ने खुद को हमले का शिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए इतना कुछ करने वाला ‘दुनिया का सबसे प्यारा आतंकवादी‘ बताकर यही करने की कोशिश की है.
अब 10 मार्च को ही पता लगेगा कि बाजी मोदी जीतते हैं या छोटा मोदी. उस दिन आने वाले चुनावी नतीजे भारतीय राजनीति को नया रूप दे सकते हैं. आप या तो राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत तीसरे विकल्प के रूप में उभर सकती है या लंबे समय तक एक शहर की पार्टी बनकर रह जा सकती है. अगर दूसरी बात होती है तो कांग्रेस फिर यह इंतजार करने लगेगी कि लोग कांग्रेस को वोट न देने की गलती आज-न-कल महसूस करेंगे और इस गलती को सुधारेंगे.
(यहां व्यक्त विचार निजी हैं)
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