नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय एक आईएफएस अधिकारी से जुड़े मामले में सोमवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की नयी दिल्ली स्थित प्रधान पीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें उसने अधिकारण की नैनीताल सर्किट पीठ के समक्ष आईएफएस अधिकारी द्वारा दायर आवेदन को स्वयं के पास स्थानांतरित कर लिया था।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र की याचिका पर भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारी को नोटिस जारी किया, जिनकी याचिका पर उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में फैसला सुनाया था। पीठ ने मामले में अन्य पक्षों को भी नोटिस जारी किया।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पास नयी दिल्ली में कैट की प्रधान पीठ के अध्यक्ष द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र नहीं है।
इसके बाद पीठ ने कहा कि वह याचिका पर नोटिस जारी कर रही है। वहीं, मेहता ने अनुरोध किया कि आदेश पर रोक लगाई जाए अन्यथा नैनीताल पीठ मामले की सुनवाई शुरू कर देगी।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘इस बीच, नैनीताल पीठ के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया जाता है।’
आईएफएस अधिकारी ने कैट की नैनीताल पीठ के समक्ष एक मूल आवेदन दायर कर केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव और इससे ऊपर के स्तर पर अधिकारियों के चयन में इस्तेमाल की जाने वाली वर्तमान मूल्यांकन प्रणाली को रद्द करने के आग्रह सहित मामले में दिशा-निर्देश मांगा था।
उन्होंने भविष्य में अनुबंध प्रणाली के माध्यम से संबंधित प्राधिकरण को संयुक्त सचिव या समकक्ष रैंक के पदों और केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव के पद से ऊपर के पदों को भरने से रोकने का भी आग्रह किया था।
मेहता ने सोमवार को दलीलों के दौरान शीर्ष अदालत से कहा कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष आया सवाल उच्च न्यायालय के क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार के बारे में है।
उन्होंने कहा कि नैनीताल पीठ के समक्ष एक मूल आवेदन दायर किया गया था जिसमें कई आधार थे जो केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई नीति से संबंधित हैं।
मेहता ने कहा कि केंद्र ने नयी दिल्ली में कैट की प्रधान पीठ से आग्रह किया था कि वह मामले को नैनीताल पीठ से अपने पास स्थानांतरित कर ले।
उन्होंने कहा कि प्रधान पीठ ने मामले को नैनीताल पीठ से नयी दिल्ली स्थानांतरित कर दिया।
मेहता ने पीठ से कहा कि नयी दिल्ली स्थित प्रधान पीठ के आदेश को दी गई चुनौती को देखने का क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र केवल दिल्ली उच्च न्यायालय का होगा।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव के मामले में भी शीर्ष अदालत के समक्ष भी इसी तरह का मुद्दा उठा था।
उन्होंने शीर्ष अदालत के छह जनवरी के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के एक आवेदन को कोलकाता से नयी दिल्ली पीठ में स्थानांतरित करने के कैट की प्रधान पीठ के आदेश को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया गया था।
सुनवाई के दौरान पीठ ने प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम की धारा 25 का हवाला दिया, जो मामलों को एक पीठ से दूसरी पीठ में स्थानांतरित करने की अध्यक्ष की शक्ति से संबंधित है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस बड़े सवाल पर विचार कर सकती है कि प्रधान पीठ के अध्यक्ष की शक्तियां क्या हैं और शक्तियों का इस्तेमाल करने के लिए क्या दिशानिर्देश हैं।
भाषा
नेत्रपाल दिलीप
दिलीप
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