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Sunday, 17 November, 2024
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एनएसई मामले की जांच के दायरे में अनुचित लाभ, तरजीही आंकड़ों तक पहुंच भी शामिल

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नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) प्रमुख शेयर बाजार एनएसई की पूर्व मुखिया चित्रा रामकृष्ण के कथित रूप से किसी रहस्यमय योगी के प्रभाव में आकर काम करने से जुड़े मामले की बहु-एजेंसी जांच तेज होने के साथ अब चुनिंदा ब्रोकरों को तरजीही सर्वर एवं डेटा पहुंच देने और उनके संदिग्ध दुरुपयोग वाले पहलू की भी जांच की जा रही है।

घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि यह पूरा मामला क्रिकेट के किसी सट्टेबाजी घोटाले की तरह बेहद परिष्कृत तरीके से अंजाम दिया जा रहा था। इसलिए जांच शुरू होने के बाद इससे जुड़े सभी पहलुओं की भी जांच की जा रही है ताकि सारी गड़बड़ियों को उजागर किया जा सके।

हालांकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने यह मामला सामने आने के बाद कहा है कि उसने समय-समय पर बाजार नियामक के निर्देशों के अनुरूप अपने तकनीकी ढांचे को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि नई जानकारियां सामने आने के बाद इसकी भी विस्तृत जांच करना जरूरी हो गया है कि उच्च पदों पर बैठे कुछ लोगों ने तरजीही ट्रेडिंग स्लॉट देकर गैरकानून लाभ तो नहीं अर्जिंत किए हैं।

अगर किसी शेयर कारोबारी को कुछ पलों की भी तेजी से पहुंच मिल जाती है तो उसे बड़ा लाभ हो सकता है। आरोप है कि तरजीही पहुंच ने न सिर्फ एनएसई सर्वरों तक नजदीकी संपर्क दी बल्कि सभी कारोबारों एवं ऑर्डर के बारे में बारीक ब्योरे वाले टीबीटी (टिक बाई टिक) डेटा तक तेजी से पहुंचाया गया।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस पूरे सिस्टम के कामकाज का ब्योरा देते हुए कहा, ‘इस बेहद तकनीकी मसले को समझने का सबसे बेहतर तरीका क्रिकेट सट्टेबाजी है। अपने सामान्य टर्मिनल पर ट्रेडिंग करने वाला एक आम निवेशक या ब्रोकर तो टीवी पर या स्टेडियम में बैठकर मैच देखने वाला दर्शक भर होता है। लेकिन उस स्थिति की कल्पना कीजिए जब आपको किसी भी दूसरे व्यक्ति से पहले हरेक खिलाड़ी के अगले कदम एवं रणनीति के बारे में पता हो।’

इस अधिकारी ने कहा, ‘हम अभी मैच फिक्सिंग का तो जिक्र भी नहीं कर रहे हैं। परिष्कृत एल्गोरिद्म बड़े पैमाने पर डेटा तक वास्तविक समय में पहुंच को संभव बना देता है। इसमें आधुनिक कंप्यूटर सिस्टम और उच्च प्रौद्योगिकी वाले सॉफ्टवेयर भी मददगार होते हैं।’

उन्होंने इस दावे को भी नकार दिया कि इस दौरान असल में निवेशकों को कोई नुकसान नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि वास्तविक निवेशकों को तो इस व्यवस्था में नुकसान ही होना था क्योंकि इसमें कुछ चुनिंदा लोगों को आंकड़े तक त्वरित पहुंच की वजह से कम भाव पर शेयर खरीदने और ऊंचे भाव पर बेचने की सुविधा दी जा रही थी।

इस अधिकारी ने कहा, ‘यह फर्क एक व्यक्तिगत निवेशक के लिए कुछ पैसे प्रति शेयर का ही हो सकता है लेकिन बड़े पैमाने पर होने वाली शेयरों की खरीद-फरोख्त को देखें तो चुनिंदा ब्रोकरों को कुछ वर्षों में ही सैकड़ों-हजारों करोड़ रुपये का फायदा हो गया होगा।’

इस मामले की जांच के दायरे में एक्सचेंज के कुछ शीर्ष अधिकारियों को हुए संभावित लाभ और बिचौलियों की भूमिका के अलावा विवादित ‘को-लोकेशन’ के परिचालन एवं परिष्कृत एल्गोरिद्म आधारित ‘हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग’ सुविधाएं भी रखी गई हैं।

भाषा

प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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