जम्मू, 20 फरवरी (भाषा) पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने रविवार को लोगों से जम्मू-कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनाव में छह राजनीतिक दलों के गठबंधन पीएजीडी को वोट देने का आग्रह किया ताकि भाजपा और उसके सहयोगियों को हराया जा सके।
महबूबा ने कहा कि भाजपा और उसके सहयोगी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करने को लेकर शीर्ष अदालत में दाखिल मामले में बाधा डाल रहे हैं।
उन्होंने ”छीने हुए अधिकार” की बहाली के लिए एक शांतिपूर्ण संघर्ष के अपने आह्वान को दोहराया और कहा कि पांच अगस्त, 2019 की घटना भूकंप की तरह थी और इसके झटके अब भी महसूस किये जा रहे हैं तथा सरकार रोजाना हमसे कुछ न कुछ छीन रही है।
पीएजीडी, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और माकपा सहित छह दलों का गठबंधन है, जो जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की मांग कर रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने पांच अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करते हुये जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया था। सरकार के इस फैसले को कई दलों ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
महबूबा ने पुंछ जिले के सुरनकोट में पार्टी के एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘’हम एकजुट हों या अलग-अलग लड़ें, आपको उन्हें वोट देना है जो विधानसभा में आपके वोट के साथ विश्वासघात न करें। मैं आपसे इस संदेश को हर नुक्कड़ तक ले जाने का अनुरोध करती हूं कि हमें पीएजीडी घटकों में से एक को चुनना है और उनके उम्मीदवारों को वोट देना है।‘’
उन्होंने कहा कि लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है और परिसीमन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट हिंदुओं बनाम मुसलमानों, मुसलमानों बनाम मुसलमानों, गुर्जरों बनाम पहाड़ी भाषी लोगों और एक बनाम दूसरे को खड़ा करने की प्रक्रिया का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि इन प्रयासों का उद्देश्य भाजपा और उसके लोगों के लिए पर्याप्त सीटें प्राप्त करना है ताकि वे जम्मू-कश्मीर में अगली सरकार बनाकर 5 अगस्त, 2019 के फैसले के खिलाफ ”उच्चतम न्यायालय में हमारे मामले” को कमजोर कर सकें।
महबूबा ने कहा कि 5 अगस्त 2019 का फैसला जम्मू-कश्मीर की जनता के लिये भूकंप की तरह था।
उन्होंने कहा, “भूकंप कुछ ही मिनटों में समाप्त हो जाता है लेकिन हम अभी भी इसके झटके महसूस कर रहे हैं। हमारी पहचान, संस्कृति और परंपराओं को खत्म करने के लिए वे आज भी हमसे रोजाना कुछ न कुछ छीन रहे हैं। वे लोगों से जबरन जमीन छीन रहे हैं।”
भाषा जोहेब रंजन
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