रायपुर, 20 फरवरी (भाषा) रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आईजीकेवी) के कुलपति की नियुक्ति को लेकर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और राज्य की कांग्रेस सरकार आमने-सामने हैं।
राज्यपाल अनुसुइया उइके ने हाल ही में पत्रकारों से बात करते हुए पूछा था कि क्या इस राज्य में इस पद के लिए केवल एक समुदाय के लोगों पर विचार किया जाना चाहिए, जबकि 32 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की, 14 प्रतिशत अनुसूचित जाति समुदायों की और अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी भी है।
राज्यपाल ने कहा था, ‘‘छत्तीसगढ़ के 14 विश्वविद्यालयों में केवल एक समुदाय के लोगों को कुलपति की जिम्मेदारी दी गई है। राज्य के अन्य समुदायों के लोगों को भी मौका मिलना चाहिए।’’
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए कहा था कि राज्यपाल को इस मुद्दे पर ‘राजनीति करना बंद कर देना चाहिए’ और यह भी कहा था कि लोगों की मांग को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
बघेल ने कहा था, ‘राज्यपाल हमारे हैं। वह हमारी संवैधानिक प्रमुख हैं। उन्हें इस मुद्दे पर राजनीति करना बंद कर देना चाहिए, यह छत्तीसगढ़ के हित में नहीं है।’
डॉ एस के पाटिल ने हाल ही में आई जी के वी के कुलपति के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया था, जिसके बाद डॉ एस एस सेंगर को विश्वविद्यालय का प्रभारी प्रमुख बनाया गया था।
हालांकि, हाल ही में आईजीकेवी शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने उइके से मुलाकात कर स्थानीय कुलपति नियुक्त किये जाने की मांग की थी।
राजभवन से जारी एक बयान के अनुसार, उइके ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि आईजीकेवी को नियंत्रित करने वाले नियमों और अधिनियम के अनुसार कुलपति का चुनाव बिना किसी भेदभाव के किया जाएगा।
इस बीच, विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक ने उनके बयान के लिए मुख्यमंत्री पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस इस तरह से राज्य के प्रमुख संस्थानों को बदनाम करने की लगातार कोशिश कर रही है।
कांग्रेस के संचार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा को आईजीकेवी संकाय द्वारा एक स्थानीय व्यक्ति को कुलपति के रूप में नियुक्त करने की मांग पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
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सुरेश रंजन
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