नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच बीते सप्ताह देशभर के तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए, जबकि दूसरी ओर मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने से सरसों तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट आई।
बाजार सूत्रों ने कहा कि ब्राजील और अर्जेंटीना में सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित होने की वजह से विदेशों में खाद्य तेलों के भाव काफी मजबूत हुए हैं। सोयाबीन डीगम के कांडला डिलिवरी का भाव बढ़कर 1,620 डॉलर प्रति टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। विदेशों की इस तेजी का असर घरेलू कीमतों पर भी दिखा तथा सोयाबीन तेल-तिलहन के भाव मजबूत हो गये।
उन्होंने कहा कि सरसों के उपभोक्ताओं को अगले 15-20 दिनों में और राहत मिलेगी। मंडियों में नई सरसों फसल की आवक बढ़ने से कीमतों में नरमी है और आगे और नरमी आने के आसार हैं।
सूत्रों ने कहा कि तेल-तिलहन उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने की सख्त आवश्यकता है और इसके लिए विदेशों पर निर्भरता ठीक नहीं है।
उल्लेखनीय है कि भारत खाद्य तेल की अपनी जरूरत का 60-65 प्रतिशत आयात से पूरा करता है और विदेशों की घटबढ़ के असर से देश अछूता नहीं रह सकता। इस आयात के लिए भारत को भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। वर्ष 2019-20 के आयात खर्च के मुकाबले चालू वित्त वर्ष 2021-22 में इसके लगभग दोगुना हो जाने की संभावना है। सरकार को आयात शुल्क कम- ज्यादा करने के बजाय किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाकर तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा।
सूत्रों ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में देश का खाद्य तेलों का आयात खर्च लगभग 71,625 करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2021-22 में इस खर्च के बढ़कर लगभग 1.45 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार की तरफ से सहकारी संस्था हाफेड और नेफेड को बाजार भाव पर और जरूरत पड़े तो बोनस का भुगतान करते हुए भी सरसों की खरीद कर 20-25 लाख टन का स्टॉक कर लेना चाहिये क्योंकि सरसों तिलहन जल्दी खराब नहीं हो सकता और ऐन जरूरत के समय यह काफी मददगार साबित हो सकता है।
सूत्रों ने बताया कि बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 80 रुपये घटकर 8,275-8,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गया, जो पिछले सप्ताहांत 8,325-8,380 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 20 रुपये लुढ़ककर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 16,580 रुपये क्विंटल रह गया। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमत क्रमश: 10 रुपये और पांच रुपये टूटकर क्रमश: 2,445-2,490 रुपये और 2,645-2,740 रुपये प्रति टिन रह गईं।
सूत्रों ने कहा कि दूसरी ओर समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 300 रुपये और 275 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 7,050-7,100 रुपये और 6,800-6,965 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी सुधार रहा। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 450 रुपये, 450 रुपये और 480 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 14,550 रुपये, 14,300 रुपये और 13,180 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाना का भाव 300 रुपये के सुधार के साथ 6,125-6,220 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली सॉल्वेंट के भाव के भाव क्रमश: 650 रुपये और 195 रुपये सुधरकर क्रमश: 13,550 रुपये प्रति क्विंटल और 2,185-2,370 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार दिखा। सीपीओ का भाव 450 रुपये बढ़कर 12,600 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव भी 400 रुपये का सुधार दर्शाता 14,000 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 300 रुपये के सुधार के साथ 12,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
बिनौला तेल का भाव भी 450 रुपये का सुधार दर्शाता 13,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश
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