नयी दिल्ली, 18 फरवरी (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-दिल्ली के शोधकर्ताओं ने विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए संभावित औषधि अणु विकसित करने के लिए एक नयी रणनीति तैयार कर उसका प्रदर्शन किया है।
शोध दल के अनुसार, उन्होंने प्रोटीन इंटरफेस को लक्षित करने वाले अणुओं को विकसित करने के लिए कार्बनिक रसायन विज्ञान और बायोफिजिक्स के उपकरणों का उपयोग किया।
आईआईटी दिल्ली के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर वी हरिदास ने कहा, ”औषधियां ज्यादातर कार्बनिक अणु होती हैं जो मानव शरीर में मौजूद अणुओं के साथ मिलीजुली रहती हैं। शरीर में अणु आकार में बड़े होते हैं और आमतौर पर मैक्रोमोलेक्यूल्स कहलाते हैं। ये अणु या तो प्रोटीन या न्यूक्लिक एसिड होते हैं। वर्तमान में, एक विशेष प्रोटीन को लक्ष्य बनाकर अणु खोजने के लिए कंप्यूटर सहायता प्राप्त तर्कसंगत औषधि खोज का उपयोग किया जाता है। फिर भी, इसमें काफी समय लगता है।”
उन्होंने कहा, ”शोधकर्ता मैक्रोमोलेक्यूलर मिमिक्री के आधार पर एक रासायनिक रणनीति लेकर आए हैं। अणुओं में वस्तुओं की तरह ही आकार होते हैं। विभिन्न आकृतियों वाले अणुओं को तैयार और संश्लेषित करना अपने आप में एक कला है। विशिष्ट आकार के छोटे अणुओं द्वारा मैक्रोमोलेक्यूलर इंटरफ़ेस की नकल करना (नकल करना) अनुसंधान समूह द्वारा अपनाया गया एक दृष्टिकोण है।
हरिदास ने कहा, ”हमने औषधि के अणुओं को तैयार करने के लिए इस रणनीति का इस्तेमाल किया, जो जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस (जेईवी) के इलाज के लिए उपयोगी हो सकता है। जेईवी दक्षिणपूर्व एशियाई देशों में वायरल एन्सेफलाइटिस का मुख्य कारण है। इसके अलावा यह प्रोटीन एकत्रीकरण रोग जैसे अल्जाइमर के इलाज में भी कारगर हो सकता है … हमने जेईवी अवरोधक दवा अणु का भी पेटेंट कराया है।‘’
भाषा जोहेब नरेश
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