मुंबई, 18 फरवरी (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह 2003 में ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत मामले में 22 मार्च तक किसी नए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) की नियुक्ति नहीं करेगी। इस मामले में बर्खास्त सचिन वाजे सहित चार पुलिसकर्मी सुनवाई का सामना कर रहे हैं।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने यह बयान न्यायमूर्ति पी. बी .वराले और न्यायमूर्ति एस. पी. तावडे की पीठ के समक्ष दिया। यह पीठ यूनुस की मां आसिया बेगम द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें पिछले एसपीपी धीरज मिराजकर को मामले से हटाने को चुनौती दी गई है।
बेगम ने 2018 में मिराजकर को हटाए जाने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
कुंभकोनी ने शुक्रवार को पीठ से कहा कि राज्य के अधिकारियों ने मिराजकर से बातचीत की थी और उन्होंने कई कारणों से मामले में एसपीपी बने रहने में असमर्थता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा, ‘हमने मामले में पिछली सुनवाई के बाद उनसे (मिराजकर से) फोन पर बात की थी और उन्होंने स्वास्थ्य सहित कई कारण बताए…।’’
हालांकि, बेगम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मिहूर देसाई ने पीठ से कहा कि याचिकाकर्ता की इच्छा भी मिराजकर से बात करने और यह पुष्टि करने की है कि वह मामले में एसपीपी बने रह सकते हैं या नहीं।
देसाई ने अदालत से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि राज्य तब तक कोई नया एसपीपी नियुक्त नहीं करे।
कुंभकोनी ने पीठ से अनुरोध किया कि राज्य सरकार को मिराजकर की पुनर्नियुक्ति पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कुछ समय दिया जाए। उन्होंने कहा, ‘तब तक हम (राज्य सरकार) अदालत के समक्ष दिए गए अपने पिछले बयान पर कायम रहेंगे कि हम इस मामले में कोई नया एसपीपी नियुक्त नहीं करेंगे।’
पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के बयान को स्वीकार कर लिया और मामले को 22 मार्च को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर यूनुस को दिसंबर 2002 में मुंबई के उपनगर घाटकोपर में हुए बम विस्फोट के तुरंत बाद हिरासत में लिया गया था।
भाषा
अविनाश नरेश
नरेश
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