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Friday, 22 November, 2024
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UK में सामने आया डेल्टा x ओमीक्रॉन का मिक्स वेरिएंट, भारत के जाने-माने वायरस विज्ञानी ने कहा चिंता की बात नहीं

UK की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने ‘डेल्टा x ओमीक्रॉन रीकॉम्बिनेंट (UK)’ को उन कोविड वेरिएंट्स की सूची में जोड़ दिया है, जिनकी निगरानी और जांच की जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे क्रॉस म्यूटेशंस अपेक्षित हैं.

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नई दिल्ली: यूनाइटेड किंग्डम में सार्स-कोव-2 के रीकॉम्बिनेंट डेल्टा व ओमीक्रॉन वेरिएंट्स के क्लस्टर्स सामने आए हैं. एक भारतीय वायरस विज्ञानी ने कहा कि ऐसे क्रॉस म्यूटेशंस अपेक्षित हैं, और अभी चिंतित होने की कोई वजह नहीं है.

रीकॉम्बिनेंट वेरिएंट्स वायरस के नए वेरिएंट्स होते हैं, जो दो अलग अलग वेरिएंट्स के जिनेटिक म्यूटेंट्स से बनते हैं.

11 फरवरी को यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने ‘डेल्टा x ओमीक्रॉन रीकॉम्बिनेंट (UK)’ को कोविड-19 वेरिएंट्स की सूची में जोड़ दिया, जिनकी निगरानी और जांच की जा रही है.

इस बीच ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने भी अपने देश से अपलोड की गई जिनोमिक सीक्वेंसेज़ के बीच, डेल्टा x ओमीक्रॉन की सात सीक्वेंसेज़ की ख़बर दी है.

रीकॉम्बिनेशन तब हो सकता है, जब दो वेरिएंट्स एक ही मेज़बान सेल को संक्रमित कर दें. कोविड वेरिएंट्स के बीच जिनेटिक मैटीरियल की अदला-बदली, उस तरीक़े के कारण होती है जिससे आरएनए वायरस जिनोम्स की नक़ल करते हैं. नक़ल के लिए वायरस जिस एंज़ाइम का इस्तेमाल करते हैं, वो अंत में विभिन्न वेरिएंट्स के टुकड़ों को एक जगह जोड़ सकता है.


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डेल्टा x ओमीक्रॉन वैसा नहीं है जैसा डेल्टाक्रॉन होता है, जिसकी ख़बर शोधकर्ताओं की एक टीम ने साइप्रस से दी थी. जनवरी में कुछ सिलसिलेवार ख़बरों में दावा किया गया कि डेल्टाक्रॉन एक नया वेरिएंट था, लेकिन वैश्विक स्तर पर वायरस विज्ञानियों ने इस दावे की वैज्ञानिक वैधता का खंडन किया. बाद में सीक्वेंसेज़ के विश्लेषण से संकेत मिला कि डेल्टाक्रॉन केवल एक दूषित नमूना था और ख़ुद कोई वेरिएंट नहीं था.

क्या कहते हैं भारतीय विशेषज्ञ

दिल्ली में सीएसआईआर के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के एक शोधकर्ता विनोद स्कारिया ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर एक थ्रेड में समझाया कि डेल्टा x ओमीक्रॉन रीकॉम्बिनेंट्स मौजूद तो हैं, लेकिन उन्हें डेल्टाक्रॉन नहीं कहा जाता.

स्कारिया ने कहा, ‘इस पल में कुछ नहीं कहा जा सकता कि इन रीकॉम्बिनेंट्स में ओमीक्रॉन के मुक़ाबले कोई अतिरिक्त फायदा है. और अधिक महामारी विज्ञान डेटा का इंतज़ार है, चूंकि दुनिया भर से ज़्यादा से ज़्यादा जिनोम्स की ख़बरें आ रही हैं’.

उन्होंने ये भी कहा कि सार्स-कोव-2 में रीकॉम्बिनेशंस उतने नहीं होते, जितने इनफ्लुएंज़ा वायरसों में देखे जाते हैं, लेकिन कोविड महामारी में रीकॉम्बिनेशन की बहुत सी घटनाएं देखने में आई हैं. मसलन, पहले से नामित कुछ वंशावलियों में, एक्स-ए, एक्स-बी और एक्स-सी शामिल हैं.

उन्होंने आगे कहा कि अधिक महामारी विज्ञान डेटा का इंतज़ार है, चूंकि दुनिया भर से ज़्यादा से ज़्यादा जिनोम्स की ख़बरें आ रही हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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