मुंबई, 15 फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को फंसे कर्ज को लेकर एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) समेत सभी बैंकों के लिये पिछले साल नवंबर में जारी नियमों में कुछ राहत दी है। इसके तहत एनपीए (गैर-निïष्पादित परिसंपत्ति या फंसा कर्ज) खाते को सामान्य खाते में बदलने के संबंध में दिशानिर्देश को क्रियान्वित करने की समयसीमा बढ़ाकर सितंबर, 2022 कर दी गयी है। लेकिन इसके लिये जरूरी है कि सभी बकाये संबंधित बैंक को मिल गये हों।
आरबीआई ने 12 नवंबर, 2021 को जारी परिपत्र में सभी कड़े नियमों को लागू करने की समयसीमा 31 दिसंबर, 2021 तय की थी।
एनबीएफसी से मिले प्रतिवेदनों पर गौर करने के बाद केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को संशोधित परिपत्र जारी किया। इसके अनुसार, ‘‘नया परिपत्र किसी भी रूप से एनबीएफसी द्वारा लागू किये जाने वाले भारतीय लेखा मानकों को लेकर जारी दिशानिर्देश में हस्तक्षेप नहीं करता….एनपीए के तहत रखे गये कर्ज खातों को उन्नत कर सामान्य खाते की श्रेणी में रखा जा सकता है, लेकिन इसके लिये जरूरी है कि ब्याज और मूल राशि समेत पूरा बकाया कर्जदार लौटा दे। एनबीएफसी के पास इस प्रावधान को लागू करने के लिये समयसीमा 30 सितंबर, 2022 तक है।’’
आय पहचान, संपत्ति वर्गीकरण और कर्ज को लेकर प्रावधान के संदर्भ में आरबीआई का 12 नवंबर, 2021 का परिपत्र उसके एक अक्टूबर, 2021 को जारी परिपत्र को लेकर सुधार था। इसके तहत शीर्ष बैंक ने सभी बैंकों को केवल ब्याज भुगतान होने पर एनपीए खाते को सामान्य खाते की श्रेणी में रखने से मना किया था।
रिजर्व बैंक ने यह पाया था कि कुछ बैंक एनपीए खाते पर ब्याज और मूल राशि पर कुछ रकम मिलने पर उसे सामान्य खाते की श्रेणी में डाल रहे हैं। उसके बाद उक्त निर्देश जारी किया गया था।
संशोधित परिपत्र में यह भी कहा गया है कि नवंबर, 2021 के परिपत्र में स्पष्ट किये गये ‘आउट ऑफ ऑर्डर’ की परिभाषा ओवरड्राफ्ट सुविधा के रूप में पेश सभी ऋणों पर लागू होगी।
नये परिपत्र में सभी बैंकों के लिये यह भी अनिवार्य किया गया है कि वे कर्ज समझौतों में ऋण की वास्तविक तिथि और मूल राशि तथा ब्याज एवं अन्य के बारे अलग-अलग जानकारी देंगे। वे केवल यह नहीं बताएंगे कर्ज भुगतान की तिथि क्या थी।
भाषा
रमण अजय
अजय
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