स्वर्ण मंदिर के अंदर एक व्यक्ति की कथित लिचिंग के मामले में आठ हफ्ते बाद भी पंजाब पुलिस अभी तक पीड़ित या हत्यारों में से किसी की पहचान नहीं कर पाई है. धार्मिक हिंसा के अधिकांश मामलों की तरह, पुलिस ने कानून की तुलना में राजनीतिक सुविधा को तरजीह दी है. यह खतरनाक रास्ता हमें भीड़ के शासन की ओर ले जाएगा.