(अंजलि पिल्लै)
नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) कोविड-19 के नये स्वरूप ओमीक्रोन के कारण फैली तीसरी लहर के दौरान प्रत्येक केंद्रीय कारागार के कैदियों में कोरोना संक्रमण के मामले पाये गये, लेकिन राजधानी के मंडोली स्थित 16 नंबर महिला जेल की कहानी कुछ अलग है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘हमारी कोई भी कैदी संक्रमित नहीं हुई, इनमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह सब कोविड प्रोटोकॉल के कठोर अनुपालन एवं पिछले साल आई दूसरी लहर से मिली सीख के कारण संभव हो सका है।
जेल के कैदियों एवं चिकित्सकों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि कोविड प्रोटोकॉल के अलावा अधिकारियों ने दवाओं की उपलब्धता के अलावा प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के लिए अधिकृत औषधियों वाली चाय या काढ़े तथा हल्दी युक्त दूध की उपलबधता भी सुनिश्चित की।
उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई होम्योपैथी दवाएं भी कर्मचारियों और कैदियों को दी गयी।
वर्ष 2017 में स्थापित केंद्रीय कारा नंबर 16 में 174 महिला कैदी हैं, जिनमें 162 विचाराधीन कैदी और 12 दोषसिद्ध कैदी हैं। इसे सामान्य तौर पर मंडोली महिला जेल भी कहा जाता है। इस जेल में 60 साल से अधिक उम्र की चार कैदी, 18 विदेशी महिलाएं और 10 बच्चियां शामिल हैं। इन बच्चों में पांच बच्चियां छह साल से कम उम्र की है।
अधिकारियों ने कहा कि तीसरी लहर में जेल की महिला कैदियों में कोविड संक्रमण नहीं हुआ है। लेकिन यदि किसी को संक्रमित पाया जाता है तो स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी इलाज के दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, यह सुनिश्चित किया गया था कि प्रत्येक कैदी और कर्मचारी हैंड सेनिटाइजर, मास्क का इस्तेमाल करे और साबुन से नियमित तौर पर हाथ धोएं। इतना ही नहीं जेल में प्रतिदिन दो बार कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता था।
कुछ वर्षों से इस जेल में तैनात महिला चिकित्सक डॉ. श्वेता सिंह ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ‘क्या करें, क्या न करें’ की जानकारी देने वाले पोस्टर दीवारों पर लगाये गये थे। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे कोविड योद्धा अब भी प्रत्येक वार्ड में तैनात हैं, ताकि कैदियों में लक्षण की पहचान होने पर तत्काल बैरक को सील किया जा सके और उन्हें पृथकवास में रखा जाए।’’
सिंह ने कहा कि उनके पास महामारी से निपटने के लिए ऑक्सीजन सिललेंडर से लेकर पीपीई तक पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं।
भाषा सुरेश माधव
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