मुंबई, 10 फरवरी (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा है कि तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर हत्या कांड में गिरफ्तार आरोपी वीरेंद्रसिंह तावड़े और अन्य का मकसद ‘हिंदू विरोधियों ’ तथा दक्षिणपंथी समूह सनातन संस्था और हिंदू जनजागृति समिति की मान्यताओं और रिवाजों का विरोध करने वालों का उन्मूलन करना था।
सीबीआई ने यह भी कहा कि आरोपी का मकसद ‘हिंदू विरोधी, बुराई करने वालों, धर्मद्रोही या दुर्जन’ माने जाने वाले लोगों की हत्या कर समाज में आतंक पैदा करना था।
जांच एजेंसी ने दाभोलकर हत्या मामले में एक मुख्य आरोपी, तावड़े की जमानत याचिका के जवाब में दाखिल अपने हलफनामे में यह दावा किया है।
सीबअीआई के मामले के अनुसार, तावड़े मुख्य षडयंत्रकारी था, जिसने शूटर सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर तथा अधिवक्ता संजीव पूनालेकर और विक्रम भावे के साथ मिलकर दाभोलकर की हत्या की साजिश रची थी।
दाभोलेकर अंधविश्वास के खिलाफ अपने संगठन अंधश्रद्धा निर्मूल समिति के जरिये जागरूकता फैला रहे थे। उनकी 20 अगस्त 2013 को मोटरसाइकिल सवार दो लोगों ने गोली मार कर उस वक्त हत्या कर दी, जब वह सुबह की सैर पर निकले थे।
तावड़े को सीबीआई ने जून 2016 में गिरफ्तार किया था।
जांच एजेंसी ने दावा किया है कि दाभोलकर और अन्य सक्रियतावादियों-गौरी लंकेश, गोविंद पानसरे तथा एम एम कलबुर्गी की हत्या के बीच संबंध थे।
सीबीआई ने कहा, ‘‘इसका(हत्याओं का) मकसद व्यक्तियों या समूहों का भयादोहन करना था, जो सनातन संस्था और हिंदू जागृति मंच के मूल्यों एवं रिवाजों का विरोध करते हैं।’’
एजेंसी ने कहा कि जांच के दौरान इन आरोपियों की तीन अन्य हत्याओं-पानसरे, लंकेश, कलबुर्गी- के साथ तार जुड़े होने का खुलासा हुआ और ये हत्या की महज सामान्य घटनाएं नहीं थी, बल्कि आतंकवाद का कृत्य था।
सीबीआई ने कहा, ‘‘इसलिए इन मामलों में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के प्रावधान लगाये गये। ’’
जांच एजेंसी ने तावड़े की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उसे जमानत पर रिहा करने से समाज को खतरा होगा क्योंकि मौजूदा मामला वैचारिक हत्या का है जिसमे राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय निहितार्थ हैं।
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