नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) कर्नाटक में हिजाब विवाद पर बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में एक नई याचिका दायर की गई, जिसमें संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में धर्म का पालन करने के अधिकार के मुद्दे को उठाया गया है।
यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास और पत्रकारिता के एक छात्र ने यह याचिका दायर की है। इसमे कहा गया है कि मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है और जिस तरह कई राज्यों में घटनाएं हो रही हैं इसके और आगे फैलने की संभावना है ऐसे में यह बेहतर और उचित होगा कि शीर्ष अदालत मुद्दे का संज्ञान ले।
याचिका में कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों में विभिन्न उच्च न्यायालय परस्पर विरोधी आदेश पारित कर सकते हैं।
इसमें कहा गया, “हर किसी को अपनी पसंद के कपड़े/पगड़ी-टोपी आदि पहनने और अपने धर्म, अपने रीति-रिवाजों व परंपराओं का पालन करने का अधिकार है। अगर एक छोटी लड़की को “हिजाब” पहने देखा जाता है, तो यह ‘अपनी पसंद से नहीं’ हो सकता है, लेकिन बड़ी और वयस्क लड़कियों और महिलाओं में जहां यह उनकी पसंद है, उनके अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए। धर्म में विश्वास एक बात है लेकिन धार्मिक कट्टरता एक और पहलू है।”
अधिवक्ता रूपेश सिंह भदौरिया और मारीश प्रवीर सहाय के जरिये दायर याचिका में कहा गया, “धार्मिक कट्टरता के परिणाम सही नहीं होंगे, चाहे यह कट्टरता किसी भी धर्म से जुड़ी हो। कम से कम स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों को धार्मिक कट्टरता के खिलाफ लड़ाई के लिए युद्ध का मैदान नहीं बनाया जाना चाहिए।”
इसने कहा कि “हिजाब” या सिर पर दुपट्टा इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं, इससे संबंधित विवाद केवल शीर्ष अदालत के विचार और शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक समान ड्रेस कोड के मुद्दे पर समाप्त हो सकता है।
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प्रशांत अनूप
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