नयी दिल्ली, नौ फरवरी (भाषा) इस्पात एवं एल्युमिनियम समेत विभिन्न क्षेत्रों में संचालित बिजली संयंत्रों को इस समय कोयले की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है और हालात जल्द ही नहीं सुधरने पर कई औद्योगिक इकाइयों को बंद करना पड़ सकता है जिससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी पैदा होगी।
भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के महासचिव संजय कुमार सिंह ने बुधवार को पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में यह आशंका जताई।
उन्होंने कहा कि कोयला मुहैया कराने में स्वतंत्र बिजली उत्पादक कंपनियों (आईपीपी) को तरजीह दी जा रही है, कैप्टिव बिजली संयंत्रों (सीपीपी) को नहीं।
सिंह ने कहा, ‘‘अगर किसी संयंत्र का कोयला उपयोग सौ फीसदी है तो हमें 20 प्रतिशत कोयला ही मिल पा रहा है। अगर हालात ऐसे ही बने रहते हैं तो छोटी कंपनियों के बंद होने की स्थिति पैदा हो जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में हालात ज्यादा बिगड़े हैं। लिहाजा सरकार को कोयला उत्पादन वाले राज्यों में सक्रिय उद्योगों को कोयला उपलब्ध कराने की प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोयला उत्पादक राज्यों के उद्योगों की जरूरतें पूरी करने के बाद गैर-उत्पादक राज्यों को कोयला आपूर्ति की जानी चाहिए।
इंटक महासचिव ने कहा, ‘‘हमने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि पहले कोयला उत्पादक राज्यों में सक्रिय उद्योगों की जरूरतें पूरी की जाएं और फिर अन्य राज्यों को कोयला भेजा जाए।’’ उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने पर लोग विरोध पर उतारू हो सकते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों को कोयला आपूर्ति करने की चर्चाओं पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘घरेलू उद्योग की जरूरतें ही पूरी नहीं हो पा रही हैं। ऐसा नहीं है कि कोयला उत्पादन कम हो रहा है। दरअसल, सरकार की नीति ही गलत है। अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले दिनों में लोगों की नौकरियां जा सकती हैं जिससे हर राज्य में अशांति पैदा होगी।’’
कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गत सोमवार को कहा था कि देश में तापीय बिजली संयंत्रों में कोयले की कोई किल्लत नहीं है।
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प्रेम अजय
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