बेंगलुरु, नौ फरवरी (भाषा) कर्नाटक की कैबिनेट ने बुधवार को हिजाब विवाद पर कोई भी फैसला लेने से पहले उच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार करने का फैसला किया।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उडुपी जिले के एक सरकारी प्रि-यूनिवर्सिटी कॉलेज की पांच छात्राओं द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई फिर शुरू कर दी। इन याचिकाओं में कॉलेज में हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध पर सवाल उठाए गए हैं।
कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा, ‘हमने (कैबिनेट में) हिजाब विवाद पर चर्चा की, पर चूंकि उच्च न्यायालय इस मामले में सुनवाई कर रहा है, लिहाजा हमें लगा कि कैबिनेट का आज इस मुद्दे पर निर्णय लेना उचित नहीं होगा। कोई भी फैसला लेने से पहले अदालत के फैसले का इंतजार करने का निर्णय लिया गया।’
संवाददाताओं को कैबिनेट के फैसलों के बारे में बताते हुए मधुस्वामी ने कहा कि मामला विचाराधीन है, इस पर चर्चा करना उचित नहीं होगा ।
कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में हिजाब के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन तेज होने तथा कुछ जगहों पर इसके हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद सरकार ने राज्य के सभी हाईस्कूलों और कॉलेजों में तीन दिन का अवकाश घोषित कर दिया था।
पिछले हफ्ते कर्नाटक सरकार ने राज्यभर के स्कूलों और प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में छात्रों के लिए अपने या निजी संस्थानों के प्रबंधन द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म को अनिवार्य बनाने का आदेश जारी किया था।
अन्य फैसलों में कैबिनेट ने कर्नाटक स्टांप (संशोधन) विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी है, जिसमें एक कंपनी के विलय या विभाजन के दौरान मूल्यांकन और शेयर धारण पर स्टांप शुल्क के रूप में अधिकतम 25 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है, जो महाराष्ट्र के बराबर है।
मंत्री ने कहा, चूंकि स्टांप शुल्क अधिक था, इसलिए विलय और विभाजन के दौरान कई बड़ी कंपनियां कर्नाटक में पंजीकरण कराने से बचती थीं, ऐसे में शुल्क को दोबारा तय करने का निर्णय लिया गया।
मधुस्वामी ने बताया कि कैबिनेट ने बेंगलुरु पेरिफेरल रिंग रोड परियोजना को जल्द से जल्द लागू करने की भी सहमति दी है। इसके अलावा उत्तर कन्नड़ जिले के कुमटा में मिनी विधान सौध (सरकारी कार्यालयों के लिए) के निर्माण के लिए 16.28 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान को भी मंजूरी दे दी गई है।
भाषा पारुल उमा
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