नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी के बीचो-बीच स्थित होटल, दि अशोक को बेचने की योजना को अमलीजामा पहनाने की शुरुआत कर दी है- जिसके तहत इसके संचालन और प्रबंधन के मुद्रीकरण पर एक कैबिनेट नोट तैयार किया गया है. वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक उन्हें कैबिनेट मंजूरी मिल जाएगी.
अधिकारी ने कहा कि ये प्रस्ताव सरकार के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिनमें उन संपत्तियों को तेज़ी से मंजूरी दी जाएगी जिन्हें संपत्ति मुद्रीकरण योजना के तहत निजी इकाइयों को बेचा या पट्टे पर दिया जा सकता है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह 6 लाख करोड़ की नेशनल मॉनिटाइज़ेशन पाइपलाइन (एनएमपी) का अनावरण किया, जिसमें ब्राउनफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर एसेट्स शामिल थीं- ऐसी परियोजनाएं जिन पर कुछ काम पहले हो चुका है लेकिन जो धन की कमी या दूसरे कारणों से रुकी हुई हैं- जिनका वित्त वर्ष 2024-25 में स्वामित्व नियंत्रण के बिना मुद्रीकरण किया जाएगा. अशोक होटल एनएमपी का हिस्सा था. इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनएमपी ने कोई विशेष समय सीमा निर्धारित नहीं की थी.
केंद्र ने निजी क्षेत्र के साथ मिलकर 2021-22 में सरकारी संपत्तियों के मुद्रीकरण से 88,000 करोड़ रुपए जुटाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने आगे कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में वो इस लक्ष्य में से 26,000 करोड़ रुपए जुटाने में कामयाब हो गए हैं.
वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘योजना ये है कि हमें उम्मीद है कि इस महीने कैबिनेट की मंजूरी मिल जाएगी. उसके बाद हम रोड शोज़ आयोजित करेंगे, जिसके बाद मौजूदा वित्त वर्ष में सौदे को आकार दिया जाएगा’. लेकिन, उन्होंने आगे कहा कि हो सकता है कि बिक्री प्रक्रिया 2021-22 में पूरी न हो पाए.
अधिकारी के अनुसार इस सप्ताह कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में होने वाली एक बैठक में होटल को एक लंबे पट्टे पर बेचने पर चर्चा हो सकती है, जिससे सरकार को करीब 7,500 करोड़ रुपए हासिल हो सकते हैं. बाद में अंतिम मंजूरी के लिए इसे आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) के पास भेजा जाएगा.
अशोक होटल को बेचने के पहले भी प्रयास हो चुके हैं लेकिन श्रमिकों की समस्याओं और प्रतिष्ठान के पिछले अनुबंधों के चलते योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा था. मसलन, अटल बिहारी सरकार में विनिवेश मंत्री के नाते अरुण शौरी ने, होटल व्यवसाय से बाहर निकलने की व्यापक नीति के तहत होटल को बेचने की कोशिश की थी लेकिन बोलीकर्त्ताओं की कथित कमी के चलते, वो ऐसा करने में असमर्थ रहे.
यह भी पढ़ें: हुंडई पाकिस्तान का कश्मीर ट्वीट विवाद : कोरियाई विदेश मंत्री ने मांगी माफी, भारत ने राजदूत को तलब किया
आईटीडीसी की संपत्ति
25 एकड़ में फैला अशोक होटल जो नई दिल्ली के डिप्लोमैटिक एनक्लेव में स्थित है, लोक कल्याण मार्ग पर भारत के प्रधानमंत्री के सरकारी आवास और ब्रिटिश उच्चायोग के बगल में ही है.
1950 के दशक में बना पांच-सितारा प्रतिष्ठान, कभी प्रमुख विदेशी हस्तियों के भारत दौरे के दौरान या सरकार के न्योते पर आए राज्य के प्राधिकारियों के लिए मेज़बानी का काम करता था. होटल का स्वामित्व भारतीय पर्यटन विकास निगम (आटीडीसी) के पास है, जिसमें भारत सरकार की 87 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है.
होटल की बिक्री को अंजाम तक पहुंचाने का जिम्मा आवास एवं शहरी मामलों तथा पर्यटन के केंद्रीय मंत्रालयों कौ सौंपा गया है.
आईटीडीसी बहुत से स्थानों पर पर्यटकों के लिए होटल और रेस्टोरेंट्स चलाती है, जिसके अलावा वो ट्रांसपोर्ट सुविधाएं भी उपलब्ध कराती है. इसके नेटवर्क में चार अशोक समूह के होटल, चार संयुक्त उपक्रम के होटल, सात ट्रांसपोर्ट यूनिट्स जो यात्रा व पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा हैं, बंदरगाहों पर 14 ड्यूटी फ्री शॉप्स, एक साउंड एंड लाइट शो और चार केटरिंग आउटलेट्स शामिल हैं.
एनएमपी डॉक्यूमेंट में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2022 से 2025 के दौरान आईटीडीसी की सभी 8 होटल संपत्तियों को बेचने पर चर्चा की गई है. दीर्घ-कालिक पट्टा, विनिवेश, दीर्घ-कालिक ऑपरेट-मैनेज-एंड ट्रांसफर (ओएमटी) अनुबंध पर, मुद्रीकरण के संभावित मॉडल्स के तौर पर गौर किया जा सकता है, जिसका संपत्ति मूल्य के विस्तृत मूल्यांकन के हिसाब से विषयानुसार पता लगाया जा सकता है’.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: IEC का दावा- एडटेक ने 5 सालों में 75 हजार से ज्यादा नौकरियां पैदा कीं, Covid के दौरान रोज़गार संकट कम किया