नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक साल के इंटर्नशिप की समय सीमा 31 मई से आगे बढ़ाने की मांग रहे एमबीबीएस छात्रों से मंगलवार को कहा कि वे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को एक प्रतिवेदन दें। नीट-पीजी-2022 परीक्षा में बैठने के लिए अभ्यर्थियों को एक साल का अनिवार्य इंटर्नशिप पूरा करना एक अनिवार्य शर्त है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि अभ्यर्थियों के सामने आई मुश्किलों पर विचार करते हुए मंत्रालय प्रतिवेदन सौंपे जाने की तारीख से एक हफ्ते के अंदर इस पर फैसला कर सकता है।
पीठ ने कहा, चूं‘‘कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे के लिए तथ्यों के साथ-साथ नीतिगत पहलुओं के निर्धारण के कुछ तत्वों की आवश्यकता होती है, (ऐसे में) हमारा विचार है कि याचिकाकर्ताओं को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को एक प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की अनुमति देकर ही न्याय का लक्ष्य पूरा किया जाएगा।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम, इसलिए आग्रह करते हैं कि प्रतिवेदन पर उसके दायर करने के एक सप्ताह के भीतर ही विचार किया जाए।’’ पीठ ने कहा कि वह इस समय मुद्दे पर कोई विचार प्रकट नहीं कर रही है।
एमबीबीएस छात्रों की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि परीक्षा आगे बढ़ा दी गई है लेकिन इस महत्वपूर्ण अर्हता पर विचार किये जाने के जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अर्हता यह है कि परीक्षा में शामिल हो रहे छात्रों को 31 मई 2022 तक एक साल का अनिवार्य इंटर्नशिप पूरा करना होगा, ताकि वे नीट-पीजी-22 परीक्षा में बैठने के पात्र हो सकें।
उन्होंने कहा, ‘‘इस मई 31 की समय सीमा को एक या दो महीने बढ़ाया जा सकता है।’’ उन्होंने आगे कहा कि अलग-अलग चिकित्सा संस्थानों में इंटर्नशिप के लिए भिन्न-भिन्न कार्यक्रम हैं। कुछ ने मई 2021 में यह कार्यक्रम शुरू किया तो किसी ने जून 2021 और किसी ने जुलाई 2021 में।
रोहतगी ने कहा, ‘‘अंतिम लॉट सितम्बर 2021 का हो सकता है।’’ उन्होंने कहा कि मार्च 2022 में परीक्षा होनी थी, जिसे कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अब मई 2022 के लिए स्थगित कर दी गयी है। इसलिए इस तिथि को भी एक या दा माह बढ़ाया जा सकता है।
पीठ ने कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय में हस्तक्षेप करने जैसा होगा क्योंकि इंटर्नशिप शुरू करने के लिए कोई एक तारीख नहीं है।
शीर्ष अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा, ‘‘मान लिया कि हम 31 मई की अंतिम तारीख को एक या दो माह बढ़ाते हैं तो भी कोई ऐसा छात्र-समूह हो सकता है कि वह तब भी एक वर्ष के इंटर्नशिप कार्यक्रम को पूरा नहीं कर पाता है। यह नीतिगित निर्णय है। सरकार को अपने प्रतिवेदन पर विचार करने दें।’’
न्यायालय ने इस बात का जिक्र किया कि मार्च में आयोजित होने वाले नीट-पीजी-22 कार्यक्रम की तारीख आगे बढ़ा दी गई है।
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सुरेश अनूप
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