नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की नई कुलपति (वीसी) के तौर पर प्रो. शांतिश्री धूलिपुडी पंडित की नियुक्ति की घोषणा किए जाने के थोड़ी देर बाद ही कथित तौर पर उनके नाम वाले एक ट्विटर अकाउंट के कुछ पुराने ट्वीट सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने लगे, जो जेएनयू के छात्रों की आलोचना और भाजपा सरकार के समर्थन से जुड़े थे.
सोशल मीडिया पर वायरल इन ट्वीट में से एक में जेएनयू के पीएचडी स्कॉलर शर्जील इमाम, जो राजद्रोह के केस में इस समय जेल में है, को ‘आईआईटी-बांबे और जेएनयू में तैयार जिहादी’ बताया गया था, जबकि एक अन्य ट्वीट में जेएनयू छात्रों को ‘लूजर’ करार दिया गया. वहीं एक अन्य में किसान आंदोलन का विरोध किया गया था. इसमें निजी जीवन से जुड़े कुछ ट्वीट भी शामिल हैं जिसमें एक में कथित तौर पर पंडित की मां की तस्वीर थी.
हालांकि, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह अकाउंट प्रो. पंडित का ही है या नहीं. ये ट्वीट्स एक अनवैरीफाइड हैंडल @SantishreeD से पोस्ट किए गए थे, जिसमें उनका पूरा नाम था. लेकिन प्रोफाइल पिक्चर की जगह एक देवी की तस्वीर थी, न कि खुद उनकी. मई 2021 के बाद से इस एकाउंट से कोई ट्वीट नहीं किया गया है. सोमवार को पुराने ट्वीट वायरल होने के कुछ ही घंटों बाद इस अकाउंट को डिलीट कर दिया गया. लेकिन इससे लिए गए स्क्रीनशॉट अभी भी सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं.
दिप्रिंट ने फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज के जरिये जेएनयू की नई वीसी प्रो. पंडित से संपर्क साधा लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी—जहां पंडित अभी प्रोफेसर हैं—में वीसी नितिन कर्मलकर से भी संपर्क साधा गया लेकिन उन्होंने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उनकी प्रतिक्रियाएं मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
यह भी पढ़ें: पटना के कोचिंग हब में छोटे-छोटे कमरों में रहते हैं लाखों युवा, सरकारी नौकरी से उम्मीदें अब टूट रहीं हैं
जेएनयू के साथ-साथ किसान आंदोलन और गोडसे का भी जिक्र
दिप्रिंट ने अपनी तरफ से इस ट्विटर अकाउंट की स्वतंत्र पड़ताल में पाया कि इसके जरिये भाजपा समर्थक और आरएसएस समर्थक ट्विटर हैंडल के साथ नियमित संवाद होता था और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अलावा कांग्रेस और वामपंथी बुद्धिजीवियों की आलोचना भी की जाती थी.
2020 में पोस्ट एक ट्वीट में जेएनयू के छात्रों को ‘नियंत्रण से बाहर हो चुके लूजर’ करार दिया गया था और ‘जामिया और सेंट स्टीफंस’ जैसे संस्थानों की फंडिंग रोकने की मांग की गई थी.
लेखक शेफाली वैद्य के 2021 के एक ट्वीट—जिसमें उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत के एक बयान को साझा करते हुए लिखा था ‘अगर कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो वह आत्महत्या कर लेंगे’—के जवाब में प्रोफेसर पंडित के नाम वाले ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया गया था, ‘मैं उन्हें ऐसा करने के लिए एक रस्सी दे दूंगी.’
कई यूजर्स ने भाजपा और उसके आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के समर्थन में @SantishreeD हैंडल से किए गए कुछ पुराने ट्वीट्स भी शेयर किए.
ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने भी कुछ पुराने ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट साझा किए—जो 2015 में इस अकाउंट से पोस्ट हुए थे और जिनमें सुन्नी इस्लाम को ‘कट्टरपंथी’ बताया गया था.
Newly appointed Vice Chancellor of JNU. pic.twitter.com/tkxv9wAG4Z
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) February 7, 2022
उन्होंने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के समर्थन में उसी अकाउंट से पोस्ट एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट भी साझा किया. इसमें लिखा गया था, ‘मैं गांधी और गोडसे दोनों से सहमत हूं, दोनों ने गीता पढ़ी, उसमें आस्था रखते थे और परस्पर विरोधाभासी सबक लिए. गोडसे ने सोचा कि कर्म महत्वपूर्ण है और उनकी नजर में अविभाज्य भारत का समाधान एक व्यक्ति महात्मा गांधी की हत्या में निहित था. हालांकि, यह दुखद है.’
Also a Godse Bhakt.
'Godse thought action was important and identified the solution…..' pic.twitter.com/PDAk8lMIh5— Mohammed Zubair (@zoo_bear) February 7, 2022
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक अन्य ट्वीट में कहा गया है, ‘अगर भाजपा गोडसे की पार्टी है तो टीएमसी जैसी मुसलमानों का समर्थन करने वाली सभी पार्टियां तमाम आतंकवादियों, आक्रमणकारियों की पार्टियां हैं जिन्होंने बलात्कार किए और पवित्र हिंदू मंदिरों को नष्ट किया. वे बंगाल में नरसंहार को अंजाम देने वालों का समर्थन करते हैं.’
यह भी पढ़ें: कोरोना के कारण स्कूल बंद हुए तो अवैध शराब डिलिवर कर टाइम पास के साथ कमाई कर रहे बिहार के किशोर