मुंबई, छह फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के मद्देनजर अपनी अगली और बजट 2022-23 के बाद पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम सकता है।
विशेषज्ञों का हालांकि यह मानना है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) नीतिगत रुख को ‘उदार’ से ‘तटस्थ’ में बदल सकती है और नकदी के सामान्यीकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में रिवर्स-रेपो दर में बदलाव कर सकती है।
अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा आगामी बुधवार को होगी। इससे पहले सोमवार से एमपीसी में तीन दिन तक विचार-विमर्श चलेगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि बजट में वृद्धि को लेकर दिए गए आश्वासन और कच्चे तेल की कीमतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका को देखते हुए ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत (25 आधार अंक) की वृद्धि करके सामान्यीकरण की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।’’
उन्होंने कहा कि इस बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि अगले वर्ष इसमें 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है।
कोटक महिंद्रा बैंक में उपभोक्ता बैंकिंग की समूह अध्यक्ष शांति एकमबराम ने भी उम्मीद जताई कि केंद्रीय बैंक रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी का बदलाव कर सकता है। उन्होंने कहा कि रेपो दर में वृद्धि किए जाने की उम्मीद नहीं है हालांकि एमपीसी अपना रूख ‘उदार’ से बदलकर ‘तटस्थ’ कर सकती है।
पिछली एमपीसी दिसंबर, 2021 में हुई थी। तब केंद्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा था। कोविड-19 के नये स्वरूप ओमीक्रोन को लेकर अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के इरादे से केंद्रीय बैंक ने लगातार नौवीं बार नीतिगत दर को रिकॉर्ड निचले स्तर पर कायम रखने का फैसला किया था।
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