मुंबई : सभी बड़े महानगरों में, कुछ अनोखी और प्रतिष्ठित चीज़ें होती हैं, जो रोज़मर्रा के जीवन में अंदर तक बैठ जाती हैं. कई पीढ़ियों से जो एक चीज़ मुम्बई की पहचान रही है, वो है शहर की डबल डेकर बसें- लाल रंग की धीमी रफ्तार से चलतीं मुम्बईवासियों की चहेती. लेकिन, पिछले कुछ सालों में सड़कों पर इन बसों की संख्या में काफी कमी आ गई है.
अब, बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति और परिवहन (बेस्ट) उपक्रम ने, जो शहर में सार्वजनिक बस सेवा चलाता है, शहर में बड़े पैमाने पर बिजली-चालित बसें शुरू करने का फैसला किया है, जिसके साथ ही डबल डेकर्स के चाहने वाले एक उपहार के इंतज़ार में हैं. 2023 तक 2,100 बिजली -चालित बसें लाने के अलावा, बेस्ट 900 डबल डेकर वातानुकूलित बिजली-चालित बसें भी लाने जा रहा है.
बेस्ट की योजना 2017 तक बिजली-चालित बसों का एक पूरा बेड़ा हासिल करने की है. बड़ी संख्या में सभी तरह की बिजली-चालित बसें लाने का एक बड़ा कारण, पिछले कुछ सालों में बेस्ट बसों के यात्रियों की संख्या में आ रही निरंतर गिरावट को रोकना है.
मुम्बई उपनगरीय रेल नेटवर्क के बाद, शहर के अंदर यात्रा के लिए बेस्ट नागरिकों की दूसरी पसंद है. बेस्ट बसें तक़रीबन 400 मार्गों पर चलती हैं, और फिलहाल हर दिन 28 लाख यात्री इनमें सफर करते हैं.
बेस्ट के जन संपर्क अधिकारी मनोज वराडे ने कहा, ‘कोविड लहरों के दौरान, जब बहुत सी टेक्सियां, ट्रेनें, और ऑटोरिक्शा नहीं चल रहे थे, तो ये बेस्ट की बसें ही थीं जो यात्रियों को, शहर में एक जगह से दूसरी जगह ले जा रहीं थीं’.
बिजली-चालित बसें ख़रीदने के साथ ही, सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट प्रदाता को और अधिक यात्रियों के उसकी ओर आकर्षित होने की उम्मीद है. हाल ही में अपने बजट में बृहन्मुम्बई नगर निगम (बीएमसी) ने, जो बेस्ट को वित्त-पोषित करती है, इसके लिए 800 करोड़ रुपए रखे हैं.
सुनहरे दिनों से घटते यात्रियों तक
बेस्ट मुम्बई के इतिहास का हिस्सा है. इसकी मूल पेरेंट बॉम्बे ट्रामवे लिमिटेड थी, जिसका गठन 1973 में एक निजी इकाई के रूप में हुआ था.
1926 में, बेस्ट की पहली सिंगल डेकर बस सड़क पर उतारी गई, और 1937 में डबल डेकर बस चालू कर दी गई. आने वाले दशकों में डबल डेकर्स ने भारी लोकप्रियता हासिल की, और 1990 के दशक तक बेस्ट के डबल डेकर बेड़े में बसों की संख्या लगभग 900 तक पहुंच गई.
लेकिन, उसी दशक से हर साल ज़्यादा से ज़्यादा पुरानी डबल डेकर बसें, चलन से बाहर की जाने लगीं और उनकी जगह नई बसें नहीं आईं. उनकी संख्या में भारी कमी आ गई, और फिलहाल डबल डेकर बसों की संख्या केवल 48 रह गई है, जो शहर में कुछ विशिष्ट मार्गों पर चलती हैं.
वराडे ने कहा कि इन बसों को चलाने में भारी रख-रखाव, और जगह की बढ़ती तंगी की वजह से, इनके बेड़े की संख्या घटती चली गई.
इनकी बजाय, पिछले दशक में बेस्ट ने अपने मिडी और मिनी फ्लीट को बढ़ाने पर ज़्यादा ज़ोर दिया है. फिलहाल उसके बेड़े में 3,460 बसें हैं.
वराडे ने दुख के साथ कहा कि एक दशक पहले तक, बेस्ट बसें हर रोज़ लगभग 45 लाख लोगों को लाती ले जाती थीं, लेकिन सड़कों पर कारों और एप-आधारित टैक्सियों, साझा टैक्सियों, और ऑटोरिक्शाओं की बढ़ती संख्या के चलते, इनमें सफर करने वाले यात्रियों की संख्या कम होने लगी.
वराडे ने बताया कि कोविड का समय आने से पहले ही, ये संख्या घटकर 32 लाख रह गई थी. उन्होंने कहा, ‘कोविड के कारण हमने यात्रियों की संख्या को सीमित रखा हुआ है, इसलिए ये 28 लाख है, लेकिन ये बढ़ रही है’.
ये पूछने पर कि बेस्ट बसों में यात्रियों की संख्या क्यों घट रही है, वराडे ने कहा कि मुम्बई में बढ़ता ट्रैफिक, और बसों के फेरों में कमी इसके प्रमुख कारण हैं.
जनवरी में पेश किए गए 2022-23 के लिए अपने सालाना बजट में, बेस्ट ने 2,236.48 करोड़ का घाटा दिखाया, जिसमें से 2,110.47 करोड़ उसके ट्रांसपोर्ट विंग से था. 2015 के बाद से, बीएमसी वित्तीय रूप से बेस्ट की सहायता करती आ रही है.
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समर्पित बस लेन्स
एक पब्लिक ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट अशोक दतार, जिन्होंने मुम्बई के सिस्टम्स को स्टडी किया है, पराडे से सहमत थे. लेकिन, दतार ने इस पर मायूसी का इज़हार किया, कि बेस्ट बसों के लिए ज़्यादा कुछ नहीं किया गया, और उनकी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘असली चीज़ जो बेस्ट कर सकती है, वो है अलग से एक बस लेन. एक पायलट रन के दौरान इनका प्रदर्शन शानदार रहा है’. उनका कहना है कि बस लेन्स के लिए मुम्बई एक सुविधाजनक शहर है.
बेस्ट के वराडे ने इस विचार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘हमारे यहां कोई समर्पित लेन नहीं है. बेस्ट बसों के लिए एक समर्पित बस लेन की लंबे समय से चली आ रही हमारी मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है, इसलिए बसों के लिए ज़्यादा समय इंतज़ार करना पड़ता है.
मसलन, वराडे ने कहा कि नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया, और हाजी अली के बीच का फासला तय करने के लिए, पीक टाइम के दौरान एक बस को आमतौर से डेढ़ घंटा लगता था. उन्होंने बताया, ‘लेकिन जब हमने समर्पित लेन के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट किया, तो ये दूरी 10 मिनट में तय कर ली गई.’
भविष्य बिजली है
फिलहाल, बेस्ट के 3,460 बसों के मौजूदा बेड़े में, 386 बिजली-चालित बसें हैं. बेस्ट ने ये भी ऐलान किया है कि धीरे धीरे 2027 तक, वो अपने पूरे बेड़े को पर्यावरण-अनुकूल और शोर रहित बिजली-चालित बसों में तब्दील कर देगा.
शुरुआत के लिए पर्यावरण और मुम्बई उपनगर संरक्षक मंत्री आदित्य ठाकरे ने ऐलान किया, कि इसी साल आने वाले महीनों में बेस्ट 900 बिजली-चालित डबल डेकर बसें लेकर आएगी. इस साल मार्च तक, ऐसी क़रीब 200 बसें सड़कों पर आ जाएंगी, और 2023 तक सभी 900 बसें ख़रीद ली जाएंगी.
एक डबल डेकर बस में 78 यात्रों के बैठने की क्षमता होती है, जिसकी अपेक्षा सिंगल डेकर बस में केवल 45 यात्री बैठ सकते हैं. अंत में, बेस्ट के बेड़े में सभी प्रकार की कुल 10,000 बिजली-चालित बसें हासिल करने की योजना है.
‘चलो’ एप, सोशल मीडिया आउटरीच
वराडे ने कहा कि ‘चलो’ एप शुरू किए जाने से, यात्रियों को बसों की सही जानकारी हासिल करने में मदद मिलती है, जिसमें इंतज़ार का समय और आगमन का अपेक्षित समय शामिल है, जिससे बेस्ट को यात्रियों को आकर्षित करने में मदद मिली. इसके अलावा, रूट्स को युक्तिसंगत बनाने से बसों के फेरे बढ़ाने में भी मदद मिली है. और अधिक यात्रियों को आकर्षित करने के लिए, बेस्ट सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल कर रहा है.
लेकिन एक्सपर्ट दतार, जो बस लेन्स की पैरवी करते हैं, पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘सिर्फ बिजली-चालित बसें लाने से कोई बड़ा बदलाव नहीं होने वाला है. जब तक बसों के फेरे नहीं बढ़ाए जाते, और इंतज़ार का समय कम नहीं होता, तब तक लोग यातायात के साधन के रूप में बसों का रुख़ नहीं करेंगे’.
उन्होंने कहा कि समर्पित लेन्स के बाद, हर एक मिनट पर बस आएगी, और उसकी रफ्तार भी 25 प्रतिशत बढ़ जाएगी. दतार ने कहा कि ट्रेनों में भी तीन मिनट का इंतज़ार होता है. उन्होंने आगे कहा कि ऊंची और स्थिर रफ्तार के साथ, ईंधन प्रबंधन भी पहले से बेहतर हो जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘बिजली-चालित बसें एक सही समाधान हो सकती हैं, लेकिन उन्हें वास्तव में बेस्ट बसों की ख़राब छवि को ठीक करने की ज़रूरत है, जिसका कारण कम फेरे और कम रफ्तार हैं. उनमें कोई दूरदृष्टि नहीं है और वो मुम्बई को नीचा दिखा रहे हैं.’
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