हैदराबाद, पांच फरवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन से किसानों को सुरक्षित करने के प्रयासों के तहत केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती और ‘‘डिजिटल कृषि’’ को बढ़ावा दे रही है और वर्ष 2022-23 के आम बजट में इस पर जोर दिया गया है।
राजधानी स्थित पाटनचेरु में अर्द्ध उष्ण कटिबंधीय के लिये अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीआरआईएसएटी) की 50वीं वर्षगांठ के समारोह की शुरुआत करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 80 प्रतिशत से अधिक छोटे किसान हैं और उनके लिए जलवायु परिवर्तन एक बहुत बड़ा संकट बन जाती है।
उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में ‘क्लाइमेट एक्शन’ को बहुत अधिक प्राथमिकता दी गई है और यह बजट हर स्तर पर, हर क्षेत्र में ‘ग्रीन फ्यूचर’ की भारत की प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित करने वाला है।
उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन चुनौती से अपने किसानों को बचाने के लिए हमारा मुख्य ध्यान बुनियाद की ओर लौटने और भविष्य की ओर बढ़ने के मिश्रण पर है। हमारा ध्यान देश के उन 80 प्रतिशत से अधिक छोटे किसानों पर है, जिनको हमारी सबसे अधिक जरूरत है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन वैसे तो दुनिया की हर आबादी को प्रभावित करता है लेकिन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित लोग वह होते हैं जो समाज के आखिरी पायदान पर होते हैं और जिनके पास संसाधनों की कमी है।
उन्होंने कहा कि भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 2070 तक ‘‘नेट जीरो’’ का लक्ष्य तो रखा ही है, साथ ही पर्यावरण के लिए जीवनशैली के महत्व को रेखांकित किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का लक्ष्य सिर्फ अनाज का उत्पादन बढ़ाना ही नहीं है बल्कि भारत के पास खाद्यान्न का सरप्लस है और देश में खाद्य सुरक्षा के कार्यक्रम भी चला रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम खाद्य सुरक्षा के साथ ही पोषण सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसी दूरदृष्टि के साथ पिछले सात सालों में हमने अनेक जैव संवर्धित किस्मों का विकास किया है।’’
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का विशेष ध्यान देश के 80 प्रतिशत से अधिक छोटे किसानों पर है और वह उन्हें हजारों कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में संगठित करके एक जागरूक और बाजार की बड़ी ताकत बनाना चाहती है।
उन्होने कहा, ‘‘ये सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है बल्कि भारत सरकार के कामों में भी प्रदर्शित होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बदलते हुए भारत का एक महत्वपूर्ण पक्ष है डिजिटल एग्रीकल्चर। यह हमारा भविष्य है और इसमें भारत के प्रतिभावान युवा बहुत बेहतरीन काम कर सकते हैं। डिजिटल प्रौद्योगिकी से कैसे हम किसान को सशक्त कर सकते हैं, इसके लिए भारत में प्रयास निरंतर बढ़ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ हम मोटे अनाज का दायरा बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं, रसायन मुक्त खेती पर बल दे रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ सोलर पंप से लेकर किसान ड्रोन तक आधुनिक प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित कर रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जल संचयन के माध्यम से नदियों को जोड़कर एक बड़े क्षेत्र को सिंचाई के दायरे में लाने और कम सिंचित क्षेत्रों में जल के इस्तेमाल की दक्षता बढ़ाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई पर जोर देने की दोहरी रणनीति पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत में हम एफपीओ और एग्रीकल्चर वैल्यू चेन के निर्माण पर भी बहुत फोकस कर रहे हैं। देश के छोटे किसानों को हज़ारों एफपीओ में संगठित करके हम उन्हें एक जागरूक और बड़ी मार्केट फोर्स बनाना चाहते हैं।’’
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने पौधा संरक्षण पर आईसीआरआईएसएटी के जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र और आईसीआरआईएसएटी के रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट केंद्र का भी उद्घाटन किया।
उन्होंने आईसीआरआईएसएटी के विशेष रूप से डिजाइन किए गए प्रतीक चिह्न का भी अनावरण किया और इस अवसर पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया।
आईसीआरआईएसएटी एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में विकास के लिए कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान करता है।
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी और तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन सहित कई गणमान्य हस्तियां उपस्थित थीं।
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ब्रजेन्द्र पवनेश
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