(ललित के. झा)
वाशिंगटन, चार फरवरी (भाषा) अमेरिका ने कहा है कि वह चीन की आक्रामकता के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है। वाशिंगटन की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब चीन ने शीतकालीन बीजिंग ओलंपिक के लिए उस सैन्य अधिकारी को मशाल वाहक बनाया है जो 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला करने वाले चीनी सैनिकों में शामिल था।
चीन ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ जून 2020 की झड़प में शामिल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक रेजिमेंट कमांडर को बीजिंग ओलंपिक के लिए बुधवार को मशाल वाहक के रूप में उतारा। इस पर भारत ने शुक्रवार से शुरू हो रहे इस खेल कार्यक्रम के उद्घाटन और समापन समारोह के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बृहस्पतिवार को एक दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ जहां तक बात भारत-चीन सीमा विवाद की है, हम सीधे संवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना जारी रखेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमने पहले भी अपने पड़ोसियों को डराने-धमकाने के चीन के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की है। जैसा कि हम हमेशा करते हैं, हम दोस्तों के साथ खड़े हैं। हम हिंद-प्रशांत में अपनी साझा समृद्धि, सुरक्षा तथा मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए भागीदारों और सहयोगियों के साथ खड़े हैं।’’
इससे पहले दिन में, दो शीर्ष अमेरिकी सांसदों मार्को रुबियो और जिम रिश ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के रेजिमेंटल कमांडर क्वी फाबाओ को ओलंपिक मशाल वाहक बनाने के फैसले पर चीन की आलोचना की।
फ्लोरिडा से सीनेटर मार्को रूबियो ने कहा, “भारतीय सैनिकों पर 2020 में घात लगाकर किए गए हमले में शामिल रहे एक सैनिक को मशाल वाहक के रूप में चुनने का निर्णय भयावह और जानबूझकर किया गया भड़काऊ प्रयास है।” उन्होंने कहा कि वह भारत के साथ हैं।
वहीं, अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य जिम रिश ने एक ट्वीट में कहा कि अमेरिका भारत की संप्रभुता का समर्थन करना जारी रखेगा।
रिश ने कहा, ‘यह शर्मनाक है कि बीजिंग ने ओलंपिक 2022 के लिए एक ऐसे व्यक्ति को मशाल वाहक चुना है जो 2020 में भारतीय सैनिकों पर हमला करने वाली सैन्य कमान का हिस्सा था और जो और उइगरों के खिलाफ नरसंहार नीति को अंजाम देता रहा है। अमेरिका उइगर स्वतंत्रता और भारत की संप्रभुता का समर्थन करना जारी रखेगा।’
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने आरोप लगाया कि चीन की सरकार और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ओलंपिक का इस्तेमाल चीन में मानवाधिकारों के हनन से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए कर रही है।
चीनी सेना का रेजिमेंट कमांडर क्वी फाबाओ 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ सीमा पर हुई हिसंक झड़प में घायल हो गया था और चीन ने ओलंपिक समारोह में उसे मशाल वाहक के रूप में चुना है।
गलवान घाटी संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। पिछले वर्ष फरवरी में चीन ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि इस झड़प में उसके पांच सैन्य अधिकारी तथा जवान मारे गए थे जबकि व्यापक तौर पर यह माना जाता है कि चीन के मरने वाले सैनिकों की संख्या कहीं अधिक थी।
मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई पश्चिमी देशों द्वारा राजनयिक बहिष्कार किए जाने के बीच बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक का आयोजन कर रहा है।
भाषा नेत्रपाल पवनेश
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