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Wednesday, 18 December, 2024
होमदेशक्यों शिल्पा शेट्टी को अभी तक रिचर्ड गेरे की 2007 की 'सार्वजनिक Kiss' पर कानूनी निजात नहीं मिली

क्यों शिल्पा शेट्टी को अभी तक रिचर्ड गेरे की 2007 की ‘सार्वजनिक Kiss’ पर कानूनी निजात नहीं मिली

दिल्ली में सन 2007 में एड्स जागरूकता इवेंट के दौरान हालीवुड अभिनेता रिचर्ड गेरे ने शिल्पा शेट्टी के गाल पर सार्वजनिक रूप से चुंबन लिया था. इस बात को लेकर काफी हाहाकार मचा और कुछ लोगों ने इसे अश्लील करार दिया था.

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नई दिल्लीः ठीक पंद्रह साल पहले हजारों ट्रक ड्राइवरों की उपस्थिति में हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेरे ने बालीवुड की अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के दोनों गालों पर चुंबन लिया था. दोनों कलाकार दिल्ली के बाहरी इलाके के संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में एड्स जागरूकता अभियान के कार्यक्रम एकत्र हुए थे. उस दिन की तारीख 15 अप्रैल 2007 थी.

इस घटना के बाद 2007 की खबरें बताती हैं कि स्व-घोषित नैतिक अभिभावकों का पूरा हुजूम इस घटना के बाद सड़कों पर उतर आया था और दोनों कलाकारों के पुतले जलाए थे. मैं आई हूं यूपी बिहार लूटने जैसे आइटम सांग पर थिरकने वाली भारतीय अदाकारा, शिल्पा और गेरे को लेकर उत्तर प्रदेश के कई शहरों में आंदोलन हुए जिसमें कानपुर, गाज़ियाबाद और वाराणसी शहर शामिल थे. इसके अलावा भोपाल, इंदौर, जयपुर, मुंबई और दिल्ली में भी काफी हंगामा मचा था.

इसके बाद, 15 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई चली, जो जयपुर, अलवर, और गाज़ियाबाद में दाखिल शिकायतों के आधार पर नई दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची और इसका समापन शेट्टी के घरेलू शहर मुंबई के मैट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के यहां हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले पर पहले चार सालों के लिए रोक लगा दी. वहीं, यह शिकायत मुंबई कोर्ट में छह सालों बाद 2017 में पहुंची जिसकी वजह शेट्टी के वकीलों ने प्रशासनिक कारण बताई थी.

पिछले महीने 18 जनवरी को मुंबई कोर्ट ने शेट्टी को इनमें से एक में से अंतिम रूप से मुक्त कर दिया. लेकिन, इस निर्णय के बाद भी अभी दो और शिकायतें लंबित हैं जिसमें शेट्टी को हाई कोर्ट और लोअर कोर्ट में लड़ाई लड़नी है तब जाकर उनको इस केस से राहत मिलेगी.

दिप्रिंट ने पूरे मामले को ध्यानपूर्वक देखा है और यह बताने की कोशिश की है कि शिल्पा शेट्टी के सामने अभी क्या-क्या कानूनी अड़चने आएंगी.

भारतीय संस्कृति के खिलाफ

चुंबन की घटना के बाद शेट्टी के खिलाफ राजस्थान के अलवर, जयपुर, और गाज़ियाबाद में शिकायत दर्ज़ की गई थी.

दिप्रिंट ने पाया कि अलवर की शिकायत दो अधिवक्ताओं भूप सिंह और जगन्नाथ ने दायर की थी जिसमें शेट्टी, गेरे और एक टीवी चैनल (जिसने चुंबन वाले वीडियो को कई बार दिखाया था) के नाम थे. शिकायत में कहा गया था कि यह घटना भारतीय संस्कृति के खिलाफ़ है और आपत्ति जताई गई थी कि शेट्टी ने गेरे की इस हरकत का कोई विरोध नहीं किया था.

यह शिकायत भारतीय दंड संहिता की धारा 292 (अश्लील किताबों की बिक्री आदि से संबंधित), धारा 293 (युवा को अश्लील सामग्री की बिक्री), धारा 294 (सार्वजनिक रूप से अश्लील हरकतें करना जो दूसरे लोगों को खराब लगें) और धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के साथ ही संचार तकनीकी एक्ट के अनुच्छेद 67 (इलेक्ट्रानिक माध्यम में अश्लील सामग्री का प्रकाशन या दिखाना) महिलाओं को गलत ढंग से दिखाने (निषेध) एक्ट 1986, के तहत धारा 4 (ऐसी किसी पुस्तक, पैम्फलेट आदि के सार्वजनिक वितरण या प्रकाशन पर निषेध) लगाई गई थी.

वर्तमान कानून के तहत अगर शेट्टी दोषी पाई जाती हैं तो उन्हें अधिकतम तीन वर्ष के कारावास की सजा, दंड के साथ सुनाई जा सकती है.

जयपुर में दाखिल की गई शिकायत, जिसकी प्रति दिप्रिंट के पास है, अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी ने दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि इस घटना की वजह से वह काफी आहत हुई हैं. यह शिकायत भारतीय दंड संहिता की धारा 294 और धारा 120 बी के तहत दर्ज की गई थी.


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गेरे की कामुकता में शिल्पी का सहयोग

इस घटना के कुछ दिनों बाद, 26 अप्रैल को जयपुर की कोर्ट ने गेरे के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया और शेट्टी को भी कोर्ट में हाजिर रहने का आदेश दिया.

घटना के वीडियो फुटेज़ देखने के बाद सहायक मुख्य ज्युडीशियल मजिस्ट्रेट दिनेश गुप्ता ने गेरे के व्यवहार को आपत्तिजनक करार देते हुए उसे बहुत ही कामोत्तेजक बताया. साथ ही, यह भी कहा कि चुंबन ने अश्लीलता की सारी सीमाएं पार कर दी हैं और भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर बड़ा कुठाराघात किया है. उन्होंने यह भी कहा कि शेट्टी का गेरे के प्रति रूझान काफी सहयोगी रहा है. इस आदेश के पारित होने के पहले ही गेरे देश छोड़कर जा चुके थे.

उसी साल 1 मई को गाज़ियाबाद की अदालत ने भी शेट्टी के खिलाफ समन जारी किया और उन्हें कोर्ट में हाजिर रहने का आदेश दिया.

इसके बाद, शेट्टी ने 12 मई को सुप्रीम कोर्ट की गुहार लगाई और मांग की कि उनके खिलाफ दाखिल किए गए सभी मामलों को मुंबई ट्रांसफर किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी शिकायतों पर कार्रवाई करने की रोक 15 मई 2007 को लगा दी और तीन दिन बाद शेट्टी को विदेश यात्रा करने की भी छूट दे दी. 14 मार्च, 2008 को कोर्ट ने गेरे के मामले में गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी जब वे भारत आकर धर्मगुरू दलाई लामा से मिलना चाहते थे.

अगले चार वर्षों में सुप्रीम कोर्ट ने 24 आदेश पारित किए, साथ ही तीन शिकायतों को 21 नवंबर 2011 में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, मुंबई को ट्रांसफर करने का आदेश भी अंतिम रूप से जारी कर दिया.

अदालत ने अपने एक संक्षिप्त आदेश में यह भी कहा कि चूंकि सारे मामले ट्रांसफर कर दिए गए हैं लिहाजा राजस्थान और गाज़ियाबाद के कोर्टों के जारी आदेशों को नहीं माना जाएगा.

प्रशासनिक देरी

फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के डेढ़ साल बाद जयपुर की शिकायत, मुंबई कोर्ट में 12 जुलाई 2013 को दाखिल की गई. कोर्ट में 72 बार इसकी लिस्टिंग हो चुकी है. इसपर अंतिम निर्णय आना अभी बाकी है.

अलवर के आदेश को मुंबई कोर्ट पहुंचने में थोड़ा और समय लगा, जब शेट्टी के ट्रांस्फर संबंधी आवेदनपत्र अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन था, राजस्थान की पुलिस ने चुपचाप अलवर की शिकायत को 2008 में दिल्ली पुलिस को यह कहते हुए ट्रांसफर कर दिया कि चूंकि यह घटना दिल्ली में घटी है लिहाजा उसकी जांच दिल्ली में होनी चाहिए.

कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक यह शिकायत, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के छह साल बाद मुंबई कोर्ट को जुलाई 2017 में भेजी गई थी और इसकी पहली सुनवाई 9 अगस्त 2017 को हुई. कोर्ट के रिकार्डों के मुताबिक यह मामला शेट्टी के पिछले महीने छूट जाने के पहले कोर्ट में 40 बार आया था.

शेट्टी के अधिवक्ता मधुकर दल्वी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के शिकायतों के ट्रांसफर संबंधी आदेश के बावजूद मामले की सुनवाई में काफी देरी, सिर्फ प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक कारणों से हुई.

उन्होंने आगे कहा कि पूनम चंद का मामला मुंबई कोर्ट में 2013 में आया था, जबकि अलवर का मामला मुंबई 2017 में आया था. यह सभी मामले जब मुंबई आए तब मजिस्ट्रेट ने अभियुक्तों के खिलाफ नोटिस जारी किए.

जहां तक गाज़ियाबाद की शिकायत का सवाल है तो दल्वी का कहना है कि शेट्टी को उस मामले में अभी कोई अपडेट नहीं मिला है और उसे अभी तक मुंबई कोर्ट में पहुंचने का इंतजार है.

सार्वजनिक रूप से चुंबन एक अश्लील कार्य

शेट्टी के अधिवक्ता ने फरवरी 2017 में अलवर में दर्ज शिकायत के मामले में और अप्रैल 2018 में जयपुर मामले में छूट को लेकर मुंबई कोर्ट में एक आवेदन किया था.

अलवर मामले के लिए आवेदन पत्र कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर की धारा 239 के तहत दिया गया, जिसमें उन परिस्थितियों का उल्लेख है जिसमें अभियुक्त को मुक्त किया जा सकता है. इसके तहत मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्टों और मामले के दस्तावेज को देखकर मामले का अंत कर सकता है. दोनों पक्षों की बात सुनने का अवसर देते हुए मजिस्ट्रेट को अभियुक्त को मुक्त करने का अधिकार है.

शेट्टी के अधिवक्ता ने अपने आवेदन पत्र में इन सभी आरोपों को आधारहीन और काल्पनिक बताया है.

इसका जवाब देते हुए अभियोजन पक्ष ने शेट्टी को छोड़ने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और अश्लीलता एक रिलेटिव और सब्जेक्टिव बात है. इस पक्ष का यह भी कहना था कि ग्रामीण भारत में सार्वजनिक रूप से चुंबन करना एक अश्लील कृत्य माना जाता है और इस धारा का उद्देश्य हमारे समाज में नैतिकता की रक्षा करना है.

एसिसटेंट पब्लिक प्रास्कियूटर ने आपत्ति जताते हुए कहा कि वे नहीं चाहते कि शेट्टी को इस मामले से बरी किया जाए क्योंकि उन्होंने चुंबन का विरोध करने की कोशिश नहीं की और चुंबन की प्रक्रिया दो पक्षों की रजामंदी से होती है.


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लोवर कोर्ट, हाई कोर्ट की लड़ाई अभी बाकी

शेट्टी को राहत देते हुए बालार्ड पीयर मुंबई की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट केतकी एम चौहान ने अलवर की शिकायत को विराम दे दिया. जज ने अपने आदेश में कहा कि शेट्टी, गेरे की इस कथित हरकत में महज एक शिकार हैं और उनके खिलाफ लगे आरोप बेबुनियाद हैं.

यह आदेश 18 जनवरी, 2022 को पारित किया गया और शेट्टी इस मामले से पूरी तरह से बरी हो गईं. अभियोजन पक्ष फिलहाल शेट्टी की रिहाई को सिटी सिविल और ग्रेटर बांबे के सेशन कोर्ट में चुनौती दे सकता है.

फिलहाल जयपुर की शिकायत को लेकर जो छूट का आवेदन किया गया था उसे जज ने तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया है. जज का कहना है कि ऐसे मामले में छूट की गुंजाइश नहीं रहती क्योंकि यह सम्मन ट्रायल का मामला है. ऐसे मामलों में अधिकतम दो साल की कारावास का प्रावधान है.

दल्वी ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान कहा कि वे कोड आफ क्रिमिनल प्रोसिजर की धारा 482 के तहत बांबे हाई कोर्ट में जाने का विचार कर रहे हैं. इसमें शेट्टी को जयपुर की शिकायत रद्द करने की मांग संबंधी एक याचिका दाखिल की जाएगी. फिलहाल गाज़ियाबाद की शिकायत अभी तक मुंबई नहीं पहुंच सकी है, तो अभी भी अदालती लड़ाई की संभावनाएं खुली हुई हैं.

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