(प्रकाश कुमार)
नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने हाल में हरिद्वार में हुई धर्म संसद में अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित रूप से नफरती भाषण दिये जाने की निंदा की और कहा कि भड़काऊ व विभाजनकारी भाषण देने वालों को बिना किसी अपवाद के कानून के अनुसार सजा दी जानी चाहिये।
कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हालिया टिप्पणी कि एक ‘हिंदुत्ववादी’ ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी, को लेकर उनपर निशाना साधा और कहा कि यह भी ‘घृणा भाषण’ है।
कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में ”नफरत की राजनीति” को ”भ्रष्टाचार” के समान करार दिया और सभी राजनीतिक दलों व उनके नेताओं से नफरत फैलाने तथा समाज के एक वर्ग को दूसरे वर्ग के खिलाफ खड़ा करने से बचने का आह्वान किया।
आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ने कहा कि किसी भी समुदाय, जाति या समूह के खिलाफ भड़काऊ और विभाजनकारी टिप्पणी करने के बजाय, उन्हें देश व उसके लोगों के सर्वोत्तम हित में ‘भाईचारे और विकास की राजनीति’ करनी चाहिए।
उन्होंने उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद और हाल ही में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इसी तरह के एक कार्यक्रम में दिए गए कथित तौर पर घृणा फैलाने वाले भाषणों पर उनके विचार पूछे जाने पर कहा, “किसी भी तरह की नफरती बयानबाजी निंदनीय है। सभी नफरती बयानों की निंदा की जानी चाहिए और कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए। किसी को भी अपवाद नहीं माना जाना चाहिए।”
कुमार ने कहा कि नफरती बयानबाजी के कई उदाहरण हैं और ऐसे सभी विभाजनकारी कृत्यों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना समय की आवश्यकता है क्योंकि वे देश का माहौल खराब करते हैं।
उन्होंने कहा, ”आज देश ऐसी जगह है, जैसा लगता है की हर समय बस लड़ो और टूटो… ये तो ठीक नहीं है।”
उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के लिए आरएसएस और उसकी विचारधारा को जिम्मेदार ठहराने के लिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना करते हुए कहा कि ‘‘वे निराधार आरोप लगा रहे हैं’’ जबकि उनके पास इन्हें साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
कुमार ने कहा, “60 साल से ज्यादा समय हो गया, हम सुनते आ रहे हैं कि महात्मा गांधी की हत्या के पीछे आरएसएस और उसकी विचारधारा का हाथ था… संघ पर प्रतिबंध भी लगाया गया था। लेकिन इतने सालों तक सत्ता में रहने के बाद भी कांग्रेस और अन्य दल इसे (आरोप) साबित नहीं कर सके।”
आरएसएस के खिलाफ उनके ”निराधार” आरोप भी नफरती बयान के समान हैं। उन्होंने पूछा कि अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हालिया टिप्पणी के लिए भी कांग्रेस पर निशाना साधा कि एक ‘हिंदुत्ववादी’ ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिये बना कहा, ”अब, वे कहते हैं कि हिंदुत्ववादियों ने गांधी को मार डाला। यह भी नफरती बयान है।”
उन्होंने तर्क दिया कि लोगों के एक वर्ग या संगठन के खिलाफ नफरत पैदा करने वाले निराधार आरोपों को भी ‘घृणा फैलाने वाला भाषण’ माना जाना चाहिए।
कुमार ने कहा, “सभी नफरती बयानों को एक ही चश्मे से देखा जाना चाहिए। हम घृणित, उत्तेजक और विभाजनकारी बयानों पर कार्रवाई को लेकर अंतर नहीं कर सकते हैं, जबकि दोनों प्रकृति और सार में समान हैं।
उन्होंने कहा, “नफरती बयान देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, चाहे वे कितने भी बड़े और प्रभावशाली हों या किसी पार्टी या समूह के हों। यह समय की जरूरत है। ”
आरएसएस नेता ने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद हो सकते हैं लेकिन ”मनभेद” नहीं होने चाहिए।
उन्होंने कहा, ”चुनावों के दौरान जाति और धर्म के आधार पर समाज में विभाजन पैदा करना, नफरत फैलाना, लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काना, यह भ्रष्ट राजनीति है। चुनावी राजनीति में, पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाती हैं। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो एक ऐसा राजनीतिक माहौल बनेगा, जिसमें सब साथ मिलकर विकास की राह पर चलने लगेंगे। उससे देश में भाईचारे का माहौल बनेगा।”
कुमार संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक भी हैं, जिसका उद्देश्य मुसलमानों और हिंदुओं को करीब लाना है। ईसाई समुदाय तक पहुंचने के लिए, उन्होंने कुछ साल पहले आरएसएस के मुस्लिम शाखा की तर्ज पर एक और संगठन, ईसाई राष्ट्रीय मंच की स्थापना की थी।
उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनावों से पहले, आरएसएस समर्थित दोनों संगठन भाजपा के लिए प्रचार कर रहे हैं।
भाषा जोहेब अर्पणा
अर्पणा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.