नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) भारतीय ऋण शोधन अक्षमता और दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) ने स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया के संचालन से जुड़े प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव किया है। इसका उद्देश्य परिसमापक के लिये हितधारकों की सूची तैयार करने की अवधि घटाकर 15 दिन करने समेत स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करना है।
इसके अलावा आईबीबीआई स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया के तहत अनुपालन प्रमाणपत्र से संबंधित नियमनों में संशोधन पर भी गौर कर रहा है।
इस संदर्भ में परिचर्चा पत्र जारी किया गया है और संबंधित पक्षों से 22 फरवरी तक सुझाव मांगे गये हैं।
आईबीबीआई ने कहा, ‘‘प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य विभिन्न गतिविधियों पर लगने वाले अनुचित समय को कम कर स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया को जल्द- से- जल्द पूरा करना है। इससे संबंधित कंपनी से जुड़ी इकाई तेजी से कारोबार से बाहर निकल सकेगी और निष्क्रिय संसाधनों को उत्पादक कार्यों के लिये उपयोग में लाया जा सकेगा।’’
परिचर्चा पत्र के अनुसार, जिन मामलों में कर्जदाताओं से कोई दावा प्राप्त नहीं होता, संबंधित पक्षों की सूची तैयार करने के लिये परिसमापक के पास दावा प्राप्त करने की तारीख से 15 दिन का समय होगा।
एक अन्य प्रस्ताव यह है कि जो भी राशि प्राप्त होगी, उसका संबंधित पक्षों के बीच वितरण अवधि मौजूदा छह महीने से घटाकर 30 दिन की जा सकती है।
भाषा रमण अजय
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