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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेश‘एक और हाथरस’? परिवार का दावा- ब्राह्मणों ने लड़की का बलात्कार कर उसे मार डाला

‘एक और हाथरस’? परिवार का दावा- ब्राह्मणों ने लड़की का बलात्कार कर उसे मार डाला

जनवरी में कथित तौर पर एक ब्राह्मण व्यक्ति ने 16 वर्षीय लड़की की गोली मारकर हत्या कर दी थी. परिवार का दावा है कि स्थानीय विधायक का संरक्षण प्राप्त कुछ सवर्णों ने उसके साथ बलात्कार किया था. पुलिस ने इससे इनकार करते हुए इसे गुस्से में आकर की गई हत्या का मामला बताया है.

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बुलंदशहर : वह चारपाई पर मृत पड़ी थी और उसका कथित हत्यारा अचेत अवस्था में उसके बगल में पड़ा था, उसकी कलाई और गले पर चोट के निशान थे. उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के गांव धराऊ में 21 जनवरी की इस घटना ने क्षेत्र में एक बार फिर जाति विभाजन को सुर्खियों में ला दिया है, जिसमें कथित तौर पर ब्राह्मण व्यक्ति ने पिछड़े समुदाय की 16 वर्षीय लड़की की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

परिवार का दावा है कि उनकी लड़की का अपहरण किया गया और फिर कुछ ब्राह्मण पुरुषों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे मार डाला. परिवार का आरोप है कि बलात्कार और हत्या में शामिल ब्राह्मणों को कथित तौर पर स्थानीय विधायक अनिल शर्मा का संरक्षण हासिल है जो भारतीय जनता पार्टी के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री भी हैं. परिवार के मुताबिक, घटना के बाद पुलिस ने 2020 के हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड की तरह ही रात में जबरन शव का अंतिम संस्कार करा दिया.

हालांकि, पुलिस ने कहना है कि लड़की की हत्या में सिर्फ एक युवक का हाथ है और पोस्टमार्टम में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है. पुलिस का ये भी कहना है कि कथित सामूहिक बलात्कार की घटना की पुष्टि के लिए कोई प्रत्यक्षदर्शी सामने नहीं आया है और जबरन दाह संस्कार के आरोप पूरी तरह निराधार हैं.

पुलिस ने बताया कि इस केस में आरोपी 25 वर्षीय सौरभ शर्मा का लड़की के साथ प्रेम संबंध था और उसने ‘गुस्से में’ आकर उसे गोली मार दी क्योंकि उसे लग रहा था कि लड़की ने धोखा दिया है. इसके बाद उसने अपना गला और कलाई काटकर जान देने की कोशिश भी की.

सौरभ एक बेरोजगार युवक, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है, और उस पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के साथ-साथ अपहरण और हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

दिप्रिंट ने फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज के जरिये लगातार मंत्री अनिल शर्मा से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन लगातार बंद जा रहा था.

यह घटना सोशल मीडिया पर तब सुर्खियों में आई जब बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के कार्यालय के बाहर लड़की के परिजनों ने विरोध प्रदर्शन किया.

‘पहले उसे गोली मारी और फिर अपना गला काट लिया.

दिप्रिंट को मिली इस मामले की एफआईआर के मुताबिक, पुलिस को इस घटना के बारे में एक राहगीर के फोन कॉल से पता चला जिसने धराऊ में गोली चलने की आवाज सुनी थी.

एफआईआर में कहा गया है कि जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो धाराऊ के सरपंच महेंद्र शर्मा के बताए जा रहे खेत के पास लड़की का शव चारपाई पर पड़ा था और आरोपी अर्ध-चेतन अवस्था में उसके बगल में पड़ा था, उसकी कलाई और गले पर चोट के निशान थे.

पुलिस का कहना है कि लड़की के बाएं कान से खून बह रहा था और आरोपी ने उसे गोली मारने की बात स्वीकारी है.

पुलिस ने कहा कि सौरभ ने उसकी हत्या इसलिए की क्योंकि उसे संदेह था कि लड़की ने उसे धोखा दिया है.

एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने फोन पर दिप्रिंट को बताया, ‘आरोपी सौरभ शर्मा ने स्वीकार किया है कि वह पिछले दो सालों से लड़की के साथ रिश्ते में था. उसका दावा है कि उसने लड़की के व्हाट्सएप पर कुछ संदेश देखे थे जिससे वह गुस्से से भड़क उठा और उसे तमंचे से गोली मार दी.’

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया—‘निजी अंगों पर कोई चोट नहीं’

पिता का दावा है कि सौरभ ने 21 जनवरी को दोपहर करीब 3 बजे उनके गांव गलीमपुर से उनकी लड़की का अपहरण किया. वह उसे करीब 16 किलोमीटर दूर धराऊ ले गया, जहां उसने अपने अन्य ब्राह्मण दोस्तों के साथ मिलकर सामूहिक बलात्कार किया और फिर उसे मार डाला.
हालांकि, पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है.

दिप्रिंट को मिली पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, ‘निजी अंगों पर कोई चोट नहीं’ पाई गई है. मौत का कारण ‘गोली के कारण लगी बाहरी चोट’ को बताया गया है.

एसएसपी सिंह ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि यह ‘बलात्कार का मामला नहीं लगता है’

उन्होंने कहा, ‘पोस्टमार्टम के दौरान बलात्कार का कोई संकेत नहीं मिला है. लेकिन हमने (पोक्सो की) धाराएं जोड़ीं हैं क्योंकि वह नाबालिग थी.’

धरौ में सिंचाई पंप जहां कथित बलात्कार और हत्या हुई थी | शुभांगी मिश्रा/ दिप्रिंट


‘एक और हाथरस’

लोधी-राजपूत जाति (ओबीसी) से संबंध रखने वाली लड़की के रिश्तेदारों ने यह दावा भी किया कि पुलिस ने ‘कानून-व्यवस्था’ का हवाला देते हुए जबरन आधी रात को अंतिम संस्कार कर दिया—जैसा 2020 में हाथरस में सवर्ण जाति के लोगों द्वारा एक दलित लड़की के बलात्कार और हत्या की घटना के दौरान हुआ था.

हालांकि, हाथरस की घटना के विपरीत इस मामले में परिवार का कहना है कि वे दाह संस्कार में मौजूद थे, लेकिन उनके पास उस रात की कोई फोटो या वीडियो नहीं है.

लड़की के एक चाचा ने कहा, ‘वे हमसे कहते रहे कि चुनाव का समय है, और हमें इसे जल्दी निपटा देना चाहिए. हमने उनसे कहा कि हिंदू रात में मृतकों का दाह संस्कार नहीं करते, लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी. जरा देर के लिए शव को घर लाया गया. हम उसे अंतिम विदाई भी नहीं दे सके.’ उन्होंने यह भी कहा कि गांव में राज घाट नामक जगह पर अंतिम संस्कार किया गया. हालांकि, पुलिस ने परिवार के आरोपों से इनकार किया है.

पुलिस ने कहा कि अंतिम संस्कार परिवार की सहमति से किया गया था.

एसएसपी सिंह ने कहा, ‘परिवार ने ही लड़की का अंतिम संस्कार किया था, हमने कोई जल्दबाजी नहीं की. लड़की का अंतिम संस्कार सुबह गंगा घाट पर किया गया.’

पीड़िता के दादा-दादी ने भी कहा कि पुलिस ने उन्हें लाठियों से पीटा और जब उन्होंने शव देखने के लिए कहा तो उन्हें धक्का दे दिया. इस बात से भी पुलिस ने इनकार किया है.

एसएसपी ने कहा, ‘किसी को भी पीटा नहीं गया और न ही किसी तरह की जबर्दस्ती की गई.’

‘ब्राह्मणों ने हमारी बच्ची से बलात्कार किया, कोई पूछने वाला तक नहीं’

ब्राह्मणों पर सामूहिक बलात्कार के आरोप की इस घटना ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में जातिगत विभाजन को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है.

परिवार का आरोप है कि धराऊ के सरपंच महेंद्र शर्मा के बेटे और उसके दोस्तों- जिनमें एक सौरभ भी है- ने लड़की के साथ बलात्कार किया और उन्हें भाजपा के मंत्री अनिल शर्मा द्वारा बचाया जा रहा है.

पीड़िता की चाची ने कहा, ‘हम लंबे समय से गांव में रह रहे हैं और सभी को जानते हैं. हमें अच्छी तरह पता है कि सौरभ को बाइक चलाना नहीं आता था. लड़की को यहां लाने के लिए उसने 16 किलोमीटर गाड़ी कैसे चलाई?’

उन्होंने आगे कहा, ‘यही नहीं लड़की का वजन 80 किलोग्राम से अधिक था. ऐसे में यह संभव नहीं है कि सिर्फ एक व्यक्ति उसका अपहरण कर सके और यहां तक गाड़ी चलाकर ला सके. इसमें और भी लोग शामिल हैं.’

उन्होंने कहा, ‘ब्राह्मणों ने हमारी लड़की के साथ बलात्कार किया और उन्हें बचाया जा रहा है क्योंकि पूरी व्यवस्था इन आठ प्रतिशत लोगों से ही चलती है. कोई हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है क्योंकि क्षेत्र में ब्राह्मण वोट मायने रखता है.’
लड़की के परिवार ने आगे कहा कि ऊंची जातियों के लोग उनके साथ ‘अमानवीय’ व्यवहार करती हैं क्योंकि वे बहुजन समाज से आते हैं और अपने समुदाय को बचाते हैं.

अन्य ग्रामीणों ने भी यही भाव जाहिर करते हुए कहा कि वे इससे परेशान हैं कि मामला सामने आने के बाद भी कोई राजनेता उनसे मिलने नहीं आया. एक ग्रामीण ने कहा, ‘राजनेताओं को डर है कि कहीं ब्राह्मण वोट न गंवा दें, इसलिए हमसे मिलने नहीं आ रहे. हमें पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है.’

एक स्थानीय कॉलेज में प्रोफेसर कृष्णा क्रांतिकारी ने कहा, ‘मुझे बताइए कि ऐसा केवल बहुजन समाज की लड़कियों के साथ ही क्यों होता है? स्थानीय मीडिया ने इस खबर को कवर तक नहीं किया. दिल्ली से कोई यह हमसे पूछने नहीं आया कि हम कैसे हैं.’ उन्होंने कहा कि केवल एक अंबेडकरवादी संगठन भीम आर्मी से जुड़े लोग यहां हाल जानने आए थे.

दिप्रिंट ने महेंद्र शर्मा तक पहुंचने की पूरी कोशिश की लेकिन उनका पता नहीं चल सका. जब रिपोर्टर ने गांव का दौरा किया तो वह गांव में नहीं थे और ग्रामीणों से भी उनका नंबर हासिल नहीं हो सका.

तनुश्री पांडे के इनपुट के साथ

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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