नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि मणिपुर विधानसभा, मणिपुर संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन और भत्ते और विविध प्रावधान) निरसन अधिनियम में संसदीय सचिव के रूप में विधायकों की नियुक्ति के संबंध में अपवाद पेश करने के लिए सक्षम नहीं है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने हालांकि कहा कि यह 2012 के अधिनियम के तहत नियुक्तियों पर विराम लगने तक संसदीय सचिवों के कार्यों और उनके द्वारा लिए गए निर्णयों को प्रभावित नहीं करेगा।
शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि 2012 के अधिनियम के तहत नियुक्त संसदीय सचिवों द्वारा किए गए कार्यों के कारण जनता को प्रभावित करने वाले लेनदेन को रद्द करने से तीसरे पक्ष को गंभीर नुकसान होगा और सार्वजनिक कामकाज के संचालन में महत्वपूर्ण भ्रम एवं अनियमितता पैदा होगी।
मणिपुर सरकार ने 2012 में मणिपुर संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन और भत्ते, और विविध प्रावधान) अधिनियम, 2012 पारित किया था, जिसमें राज्य को संसदीय सचिव नियुक्त करने का अधिकार मिला था, जिसे रद्द कर दिया गया था।
बाद में, मणिपुर ने मणिपुर संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन और भत्ते, और विविध प्रावधान) निरसन अधिनियम, 2018 को निरसन अधिनियम में एक अपवाद जोड़ते हुए पारित किया था।
भाषा नेत्रपाल दिलीप
दिलीप
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