नयी दिल्ली, 1 फरवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) अधिनियम के स्थान पर नया कानून लाया जाएगा, जो उद्यमों तथा सेवा केन्द्रों के विकास में राज्यों को सहयोगी बनाने में सक्षम बनाएगा।
संसद में 2022-23 का बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि इसमें सभी बड़े वर्तमान तथा नए औद्योगिक ‘एनक्लेव’ कवर किए जाएंगे, ताकि वे उपलब्ध अवसंरचना का अधिकतम उपयोग कर सकें और निर्यात स्पर्धा बढ़ा सके।
गौरतलब है कि विशेष आर्थिक क्षेत्र देश में ऐसे क्षेत्र हैं जहां अलग तरह के आर्थिक नियमन होते हैं । इन क्षेत्रों के माध्यम से विदेश निवेश को प्रोत्साहित किया जाता है, साथ ही ये निर्यात केंद्र के रूप में भी काम करते हैं। इन क्षेत्रों में परिचालन करने वाली कंपनियों को कर राहत मिलती है और माल के निर्यात करने पर कम शुल्क देना पड़ता है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम वर्ष 2006 में लागू किया गया था। हालांकि, न्यूनतम वैकल्पिक कर व्यवस्था लागू होने एवं कर छूट हटाने संबंधी उपबंध पेश किये जाने के बाद इसका महत्व कम हो गया ।
उद्योगों की ओर से बार-बार मांग की गई कि इन कानूनों के तहत कर लाभ जारी रखा जाए। विशेष आर्थिक क्षेत्र को पहले पांच वर्ष के लिये निर्यात से आय पर 100 प्रतिशत आय कर छूट मिलती रही थी। इसके आगे पांच वर्षों तक यह छूट 50 प्रतिशत मिलती थी ।
मंत्री ने कहा, ‘‘ हम विशेष आर्थिक क्षेत्र में सीमा शुल्क प्रशासन में सुधार करेंगे। यह पूरी तरह से आईटी संचालित होगा तथा बेहतर सुविधा दिए जाने के साथ जोखिम आधारित जांच के साथ सीमा-शुल्क के राष्टूीय पोर्टल पर काम करेगा।’’
यह सुधार 30 सिंतबर से लागू होगा ।
भाषा दीपक
दीपक अजय
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