नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में कहा गया है कि सरकार की ओर से उठाए गए प्रदूषण रोधी कदमों के कारण देशभर के 96 शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। सरकार की ओर से सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि सरकार ने वाहन उत्सर्जन में कटौती समेत अन्य कदम उठाए हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक सरकार ने एफएएमई योजना के दूसरे चरण को भी अनुमति दे दी है, जिसके तहत 1 अप्रैल 2019 से लेकर आगामी पांच सालों में 10 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सर्वेक्षण में स्पष्ट किया गया है कि यह कदम इलेक्ट्रिक वाहन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और वायु प्रदूषण कम करने के प्रयास के तहत उठाया गया है। कुल बजटीय सहायता में से 86 फीसदी राशि को इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ाने के लिए रखा गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया, ‘‘इस चरण का उद्देश्य 7,090 ई-बसों, पांच लाख ई-तीन चक्का वाहन, 55 हजार ई-यात्री कार (मजबूत हाइब्रिड समेत) और 10 लाख ई-दो चक्का वाहन का समर्थन करके मांग को उत्पन्न करना है।।’’ यह भी कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परमिट की जरूरत को हटा दिया गया है। इसके मुताबिक सरकार के इन कदमों के परिणाम स्वरूप 96 शहरों की हवा में पीएम-10 कण वर्ष 2020-21 में वर्ष 2019-20 के मुकाबले कम हो गए। इसमें बताया गया है कि राष्ट्रीय परिवेशीय वायु गुणवत्ता मानक (पीएम-10 प्रति घन मीटर 60 ग्राम) के तहत आने वाले शहरों की संख्या वर्ष 2019-20 के मुकाबले वर्ष 2020-21 में 18 से बढ़कर 27 हो गई। हालांकि 36 शहरों में प्रदूषण एक बड़ी चिंता के रूप में उभरा क्योंकि इन शहरों में वर्ष 2019-20 के मुकाबले वर्ष 2020-21 में पीएम-10 का स्तर बढ़ गया।
वाहन प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए अन्य कदमों का ब्योरा देते हुए सर्वेक्षण में कहा गया कि देश में ईंधन और वाहनों के लिए अप्रैल 2020 में बीएस-4 से सीधे बीएस-6 मानक लागू कर दिए गए। इसमें अधिक से अधिक शहरों में सार्वजनिक यातायात के लिए मेट्रो रेल नेटवर्क को बढ़ावा दिए जाने का भी जिक्र है। यह भी बताया गया है कि सीएनजी, एलपीजी और पेट्रोल और एथेनॉल मिश्रित ईंधन का विकल्प मुहैया कराया गया है। इसके अलाव सरकार ने कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रो में उत्सर्जन संबंधी कड़े नियम लागू किए हैं। सर्वेक्षण में बताया गया कि सरकार ने जुलाई 2018 से ही पेट्रोलियम कोयला के आयात पर कुछ अपवाद को छोड़कर प्रतिबंध लगा दिया है। यह भी बताया कि प्रदूषण पर सतत ऑनलाइन निगरानी के लिए अधिक प्रदूषण वाले उद्योगों में उपकरण लगाए गए हैं। इसके अलावा सरकार ने अपशिष्ट प्रबंधन के छह नियम लागू किए हैं जिसके तहत ठोस, प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक, बोयो मेडिकल, निर्माण तथा ध्वंस और खतरनाक पदार्थ संबंधी कचरों का निस्तारण किया जाता है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि जैव ईंधन और कचरा को जलाने पर रोक लगा दिया गया है।
भाषा संतोष रंजन उमा
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