नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत के अंतरिक्ष नियामक को प्रक्षेपण यानों और उपग्रहों के विनिर्माण से लेकर पृथ्वी पर्यवेक्षण एप्लीकेशन्स तक की गतिविधियों के लिए निजी क्षेत्र और शिक्षण संस्थानों से करीब 40 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आर्थिक समीक्षा पेश की। इसमें कहा गया है कि हाल में की गयी नीतिगत पहलों और निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र, वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बड़ी हिस्सेदारी रख सकता है। 2020 में वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 447 अरब डॉलर की थी।
इस समय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की केवल करीब दो प्रतिशत हिस्सेदारी है और वह अमेरिका तथा चीन जैसे देशों से काफी पीछे है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि अंतरिक्ष क्षेत्र में 100 से अधिक स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं जिनमें 47 ने 2021 में ही सरकार के साथ पंजीकरण कराया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी सोमवार को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में अंतरिक्ष क्षेत्र की उपलब्धियों को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि देश में अंतरिक्ष को निजी क्षेत्र के लिए खोलकर संभावनाओं का अनंत आकाश उपलब्ध करा दिया गया है और पिछले साल भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ‘इन-स्पेस’ का गठन ऐसा ही एक प्रमुख कदम है।
सरकार ने जून 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को संपूर्ण अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोल दिया था।
इन सुधारों के तहत सरकार ने अंतरिक्ष सेक्टर के देश के पहले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ‘न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड’ (एनएसआईएल) का गठन किया। इसी तरह भारत में गैर-सरकारी और निजी इकाइयों द्वारा अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों के नियामक के तौर पर ‘इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथोराइजेशन सेंटर’ (इन-स्पेस) का गठन किया गया।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘‘इस संबंध में पहला परिणाम हाल में तब सामने आया जब टाटा स्काई ने आगामी संचार उपग्रह जीसेट-24 की क्षमता का उपयोग करने के लिए एनएसआईएल के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये। जीसेट-24 का निर्माण इसरो करेगा और इसे एरियनस्पेस द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा।’’
इसमें इस बात का भी उल्लेख है कि इसरो के केंद्रों पर पांच निजी उपग्रहों का परीक्षण किया गया है।
भाषा वैभव उमा
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